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टाटा स्टील ने 'वंदे भारत' ट्रेन के लिए तैयार की सीट, जानें सीट में क्या होगा खास

टाटा स्टील के उपाध्यक्ष देवाशीष भट्टाचार्य ने जानकारी के लिए बताया कि कंपनी के कंपोजिट प्रभाग को वंदे भारत एक्सप्रेस की 22 ट्रेनों के लिए सीटें मुहैया कराने का ऑर्डर मिला है. इस ऑर्डर का मूल्य करीब 145 करोड़ रुपये है. टाटा स्टील आर्डर के हिसाब से पहले चरण में सीटें बनाएगा

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टाटा स्टील ने 'वंदे भारत' ट्रेन के लिए तैयार की सीट, जानें सीट में क्या होगा खास
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Zee Bihar-Jharkhand Web Team|Updated: Aug 02, 2022, 07:09 AM IST

पटनाः Vande Bahrat Train Special Seat: टाटा स्टील कंपनी ने ‘वंदे भारत’ट्रेन के लिए खास सीटों को तैयार किया है. कंपनी जल्द ही टाटा स्टील इसी की आपूर्ति भी शुरू कर देंगा. बता दें कि यह देश में अपनी तरह की पहली सीट प्रणाली होगी. इससे पहले भी टाटा स्टील भारतीय रेलवे के अलावा अन्य कई संस्थानों के लिए अपनी सेवाएं दे चुका है.

22 ट्रेनों के लिए टाटा स्टील मुहैया कराया सीटें
टाटा स्टील के उपाध्यक्ष देवाशीष भट्टाचार्य ने जानकारी के लिए बताया कि कंपनी के कंपोजिट प्रभाग को वंदे भारत एक्सप्रेस की 22 ट्रेनों के लिए सीटें मुहैया कराने का ऑर्डर मिला है. इस ऑर्डर का मूल्य करीब 145 करोड़ रुपये है. टाटा स्टील आर्डर के हिसाब से पहले चरण में सीटें बनाएगा, जैसे ही जरूरत पढ़ी तो अन्य सीटों को जल्द से जल्द मुहैया कराने का प्रयास करेंगा.  उन्होंने कहा कि ये खास तौर पर डिजाइन की गई सीट हैं. ये 180 डिग्री तक घूम सकती हैं और इनमें विमानों की सीटों की तरह की सुविधाएं मुहैया कराई गई हैं. यह ट्रेन सीट की अपनी तरह की भारत में पहली आपूर्ति है. सितंबर से इन सीटों की आपूर्ति शुरू होगी और 12 महीनों में इसे पूरा किया जाएगा.

यात्रियों को सफर के दौरान नहीं होगी परेशानी
बता दें कि ट्रेन में लगने वाली ये सीट फाइबर रिइंफोर्स्ड पॉलिमर (एफआरपी) की बनी हैं और इनकी रखरखाव लागत भी काफी कम होगी. यह सुविधाजनक होने के साथ-साथ यात्रियों की सुरक्षा बढ़ाने में भी योगदान देगी. यात्रियों को सीट पर बैठकर यात्रा करने में किसी प्रकार की परेशानी नहीं होगी. 

130 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकती है ट्रेन
देवाशीष भट्टाचार्य के अनुसार यह पूरी तरह घरेलू स्तर पर विकसित वंदे भारत ट्रेन 130 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकती है. यह देश की सबसे तेज ट्रेनों में से एक है. टाटा स्टील की शोध एवं विकास गतिविधियों पर वर्ष 2025-26 तक 3,000 करोड़ रुपये खर्च करने की तैयारी है. यह वर्ष 2030 तक टाटा स्टील को वैश्विक स्तर पर शीर्ष पांच इस्पात कंपनियों में पहुंचाने के लक्ष्य का ही हिस्सा है. इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए कंपनी शोध एवं विकास पर काफी ध्यान दे रही है. उन्होंने कहा कि टाटा स्टील सैंडविच पैनल बनाने के लिए महाराष्ट्र के खोपोली में एक नया संयंत्र लगा रही है जिसमें नीदरलैंड की एक कंपनी तकनीकी साझेदार है. इस संयंत्र में बनने वाले सैंडविच पैनलों का इस्तेमाल रेलवे एवं मेट्रो के कोच में इंटीरियर के लिए किया जाएगा.

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