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Republic Day 2023: हाथ से लिखा गया था भारत का संविधान, जानें कहां रखी है मूल प्रति

Republic Day 2023: पूरा देश आज अपना 74वां गणतंत्र दिवस मना रहा है. हर एक भारतीय के लिए आज का दिन काफी महत्वपूर्ण है. ऐसे में पूरे देश में इस राष्ट्रीय पर्व को हर्षोल्लास और उत्साह के साथ मनाया जा रहा है.

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Republic Day 2023: हाथ से लिखा गया था भारत का संविधान, जानें कहां रखी है मूल प्रति
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Nishant Bharti|Updated: Jan 26, 2023, 07:27 AM IST

पटना: Republic Day 2023: पूरा देश आज अपना 74वां गणतंत्र दिवस मना रहा है. हर एक भारतीय के लिए आज का दिन काफी महत्वपूर्ण है. ऐसे में पूरे देश में इस राष्ट्रीय पर्व को हर्षोल्लास और उत्साह के साथ मनाया जा रहा है. ये दिन भारत में लोकतांत्रिक तरीके से लोगों द्वारा सरकार चुनने की उनकी शक्ति को दर्शाता है. यही वजह है कि इस दिन का हमारे देश में अपना अलग ही महत्व है. 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस क्यों मनाया जाता है इस बात को हम सभी लोग जानते हैं. भारत का संविधान इसी दिन लागू किया गया था. ऐसे तो आपने गणतंत्र दिवस के इतिहास से जुड़े कई सारे तथ्य आपने पढ़े और सुने भी होंगे.लेकिन, क्या आप जानते हैं कि हम हर साल जिस संविधान के लागू होने का जश्न मनाते हैं, उसे किसने लिखा था और उसकी मूल प्रति अभी कहां है? अगर नहीं तो 74 वें गणतंत्र दिवस के मौके पर आपको हम इससे जुड़ी सभी जरूरी बातें बताने जा रहे हैं. साथ ही हम आपको ये भी बताएंगे कि संविधान की पहली कॉपी कहां छापी गई थी.

हाथ से लिखा गया था संविधान

बहुत कम लोग ही इस बात को जानते होंगे कि भारत का संविधान हाथों से लिखा गया था. दरअसल भारत के संविधान को दिल्ली के रहने वाले प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने इटैलिक स्टाइल में लिखा था. इस हस्तलिखित संविधान पर 284 संसद सदस्यों ने 24 जनवरी, 1950 को हस्ताक्षर किए थे. हाथ से लिखी गई इस संविधान की मूल प्रति हमारे देश में आज भी मौजूद है. भारत की राजधानी नई दिल्ली के नेशनल म्यूजियम में यह हस्त लिखित संविधान की मूल प्रति सुरक्षित है, जिसे लोग संविधान लागू होने के कई साल बाद भी आसानी से देख सकते हैं.

यहां छापी गई थी संविधान की पहली कॉपी

भारत का संविधान दुनिया में सबसे बड़ा लिखित संविधान है. लेकिन क्या जानते हैं कि दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश जिस संविधान पर टिका हुआ है, उसकी पहली कॉपी कहां छापी गई थी. अगर नहीं तो आपको बता दें कि उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में भारतीय संविधान की पहली कॉपी छपी थी. संविधान की पहली कॉपी उस समय देहरादून के सर्वे ऑफ इंडिया की प्रेस में छापी गई थी. इस दौरान संविधान की 1000 प्रतियां छापी गई थीं. शहर के सर्वे ऑफ इंडिया के म्यूजियम में आज भी संविधान की पहली कॉपी सुरक्षित रखी हुई है.

2 साल 11 महीने और 18 दिन में बनकर तैयार

देश का संविधान बनाने के लिए एक संविधान सभा का गठन किया गया, जिसमें संविधान बनाने का काम 9 दिसंबर, 1946 से शुरू किया था. कुल 389 लोगों को इस सभा का सदस्य बनाया गया था. हालांकि देश का बंटवार होने के बाद सदस्यों की संख्या घटकर 299 हो गई. वहीं डॉ. राजेंद्र प्रसाद को इस सभा का अध्यक्ष चुना गया, जबकि डॉ. भीमराव अंबेडकर का चुनाव संविधान की ड्राफ्टिंग कमेटी के अध्यक्ष के रूप में किया गया. देश का संविधान बनाने में डॉ. भीमराव अंबेडकर का योगदान काफी अहम रहा है. यही वजह है कि संविधान निर्माता के नाम से भी उन्हें जाना जाता है. भारत का संविधान 2 साल 11 महीने और 18 दिन में बनकर तैयार हुआ था. इसमें 465 अनुच्छेद तथा 12 अनुसूचियां हैं और 22 भागों में यह विभाजित है. इसके अलावा अब तक 100 से ज्यादा बार इसमें संशोधन हो चुका है.

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