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Pitru Visarjan 2022: पहली बार करने जा रहे हैं पिंडदान तो जान लीजिए ये जरूरी विधि, पूर्वज होंगे तृप्त

Pitru Visarjan 2022: सनातन परंपरा में यह मान्यता है कि आत्मा अजर और अमर होती है. ऐसे में मृत्यु के बाद मनुष्य का शरीर तो नष्ट हो जाता है, जबकि आत्मा दर-बदर भटकती रहती है.   

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(फाइल फोटो)
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Zee Bihar-Jharkhand Web Team|Updated: Sep 11, 2022, 08:24 AM IST

पटनाः Pitru Visarjan 2022: श्राद्ध पक्ष में पितरों की मुक्ति के लिए इन दिनों पिंडदान किया जाता है. पितृ पक्ष के दौरान गया में पिंडदान करने से पितर तृप्त होते हैं और इसी के साथ ही वो घर में अच्छी संतान के होने का आशीर्वाद भी प्रदान करते हैं. श्राद्ध पक्ष में लोग अपने पितरों का तर्पण करते हैं और उन्हें जल देकर तृप्त करते हैं. अगर आप पहली बार पिंडदान करने जा रहे हैं तो आपके लिए यह जानना जरूरी है कि पिंडदान कैसे करना चाहिए और इसकी क्या विधि है. 

ऐसे करें पिंडदान
जब भी मृत व्यक्ति के घरवाले मृतक का पिंडदान करें तो सबसे पहले चावल या फिर जौ के आटे में दूध और तिल को मिलाकर उस आटे को गूथ लें. इसके बाद उसका गोला बना लें. जब भी आप तर्पण करने जाएं तो ध्यान रखें कि आप पीतल के बर्तन लें या फिर पीतल की थाली लें. उसमें एकदम स्वच्छ जल भरें. इसके बाद उसमें दूध व काला तिल डालकर अपने सामने रख लें. इसी के साथ अपने सामने आप एक और खाली बर्तन भी रखें. अब आप अपने दोनों हाथों को मिला लें. इसके बाद मृत व्यक्ति का नाम लेकर तृप्यन्ताम बोलते हुए अंजुली में भरे हुए जल को सामने रखे खाली बर्तन में डाल दें. जल से तर्पण करते समय आप उसमें जौ, कुशा, काला तिल और सफेद फूल अवश्य मिला लें. इससे मृत आत्मा को शांति मिलती है. ऐसा करने से पितर तृप्त हो जाते हैं. इसके बाद आप ब्राह्मणों को भोजन करवाएं और उन्हें दान दक्षिणा दें.

पितृ दोष भी होता है समाप्त
सनातन परंपरा में यह मान्यता है कि आत्मा अजर और अमर होती है. ऐसे में मृत्यु के बाद मनुष्य का शरीर तो नष्ट हो जाता है, जबकि आत्मा दर-बदर भटकती रहती है. भटकती हुई आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध एवं पिंडदान की क्रियाएं की जाती है. श्राद्ध में तर्पण करने के लिए तिल, जल, चावल, कुशा, गंगाजल आदि का उपयोग अवश्य ही किया जाना चाहिए. उड़द, सफेद पुष्प, केले, गाय के दूध, घी, खीर, स्वांक के चावल, जौ, मूंग, गन्ने आदि का इस्तेमाल करते हैं श्राद्ध में तो पितर प्रसन्न होते हैं इसके अलावा वह परिवारीजनों को तरक्की का आशीर्वाद भी देते हैं. इससे पितृ दोष भी समाप्त होता है.

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