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Pitru Paksh 2022: क्यों बढ़ जाता है श्राद्ध पक्ष में कौवों का मान, जानिए गरुण पुराण की कथा

Pitri Paksh 2022: पितृपक्ष और श्राद्ध तर्पण की शुरुआत 11 सितंबर से हो गई है. इस दौरान श्राद्ध, तर्पण के जरिए पितरों को संतुष्ट किया जाएगा. श्राद्ध पक्ष में नियम है कि इसमें पितरों के नाम से जल और अन्न का दान किया जाता है.

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Pitru Paksh 2022: क्यों बढ़ जाता है श्राद्ध पक्ष में कौवों का मान, जानिए गरुण पुराण की कथा
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Zee Bihar-Jharkhand Web Team|Updated: Sep 14, 2022, 06:06 AM IST

पटनाः Pitri Paksh 2022: पितृपक्ष और श्राद्ध तर्पण की शुरुआत 11 सितंबर से हो गई है. इस दौरान श्राद्ध, तर्पण के जरिए पितरों को संतुष्ट किया जाएगा. श्राद्ध पक्ष में नियम है कि इसमें पितरों के नाम से जल और अन्न का दान किया जाता है. इसके साथ ही उनकी निमित्त कौए को भी भोजन कराया जाता है. यही वजह है कि श्राद्ध पक्ष में लोग कौए को खोजते नजर आते हैं और उन्हें बुलाते हैं. उनके न मिलने पर लोग परेशान होते हैं. श्राद्ध पक्ष में कौए को भोजन कराने का इतना महत्व क्यों है इसे लेकर गरुड़ पुराण में विस्तार से बताया गया है.

कौए लेकर आते हैं पितृ संदेश
श्राद्ध के समय लोग अपने पूर्वजों को याद करके यज्ञ करते हैं और कौए को अन्न जल अर्पित करते हैं. दरअसल, कौए को यम का प्रतीक माना जाता है. गरुण पुराण के अनुसार, अगर कौआ श्राद्ध को भोजन ग्रहण कर लें तो पितरों की आत्मा को शांति मिलती है. साथ ही ऐसा होने से यम भी खुश होते हैं और उनका संदेश उनके पितरों तक पहुंचाते है.

यम ने दिया था वरदान

गरुण पुराण में बताया गया है कि कौवे को यम का वरदान प्राप्त है. यम ने कौवे को वरदान दिया था तुमको दिया गया भोजन पूर्वजों की आत्मा को शांति देगा. पितृ पक्ष में ब्राह्मणों को भोजन कराने के साथ साथ कौवे को भोजन करना भी बेहद जरूरी होता है. कहा जाता है कि इस दौरान पितर कौवे के रूप में भी हमारे पास आ सकते हैं.

श्रीराम से भी जुड़ी है कथा
इस बारे में एक और मान्यता प्रचलित है. कहा जाता है कि एक बार कौवे ने माता सीता के पैरों में चोंच मार दी थी. इसे देखकर श्री राम ने अपने बाण से उसकी आंखों पर वार कर दिया और कौए की आंख फूट गई. कौवे को जब इसका पछतावा हुआ तो उसने श्रीराम से क्षमा मांगी तब भगवान राम ने आशीर्वाद स्वरूप कहा कि तुमको खिलाया गया भोजन पितरों को तृप्त करेगा. भगवान राम के पास जो कौवा के रूप धारण करके पहुंचा था वह देवराज इंद्र के पुत्र जयंत थे. तभी से कौवे को भोजन खिलाने का विशेष महत्व है.

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