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Pavapuri Jal Mandir: जैन समाज का पवित्र धाम है पावापुरी, जानिए यहां कैसे बना महावीर मंदिर

Pavapuri Jal Mandir: महावीर स्वामी का जन्म वैशाली के पास कुंडग्राम (आधुनिक बिहार राज्य के मुजफ्फरपुर) जिले में हुआ था. पावापुरी उनकी समाधि स्थल के तौर पर प्रसिद्ध है.

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Pavapuri Jal Mandir: जैन समाज का पवित्र धाम है पावापुरी, जानिए यहां कैसे बना महावीर मंदिर
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Zee Bihar-Jharkhand Web Team|Updated: Sep 04, 2022, 06:07 AM IST

पटनाः Pavapuri Jal Mandir: बिहार की पवित्र भूमि में सिर्फ सनातन संस्कृति की ही जड़ें नहीं पनपीं, बल्कि इस पावन मिट्टी ने हर उस धर्म और मत को पनपने, फलने-फूलने का अवसर प्रदान किया जो कि मानवता का उपहार बन गए. इस वक्त जैन धर्म का पर्युषण महापर्व का समय चल रहा है. सभी जैन समाज के अनुयायी 10 दिन के इस पवित्र अनुष्ठान के दौरान जीवन में मौजूद 10 विकारों से मुक्ति पाने के लिए तप करते हैं. कैवल्य बन जाने, जिनवर के निकट हो जाने की इस कसक को ही जैन समाज ने पर्युषण कहा है, जिससे न सिर्फ शरीर, बल्कि आत्मा भी शुद्ध हो जाती है और हृदय से सिर्फ एक ही आवाज आती है, अहिंसा परमो धर्म:. 

जैन समाज की पवित्र धरती है बिहार
बात जैन समाज की हो रही है, तो यह बताना जरूरी है जैन मत परंपरा 24 तीर्थंकरों से धन्य रही है. महावीर स्वामी इस मत के 24वें तीर्थंकर हुए हैं. महावीर स्वामी का जन्म वैशाली के पास कुंडग्राम (आधुनिक बिहार राज्य के मुजफ्फरपुर) जिले में हुआ था. उस समय कुंडग्राम ज्ञातक नामक क्षत्रियों का गणराज्य था. भगवान वर्द्धमान महावीर के पिता का नाम सिद्धार्थ था, और वे इस गणराज्य के प्रमुख थे. भगवान वर्द्धमान महावीर की माता का नाम विशला देवी था जो वैशाली गणराज्य के अधीन छोटे से लिच्छवी नामक राज्य के राजा चेतक की बहन थी.

जल सरोवर में बना है मंदिर
वैशाली अगर महावीर स्वामी की जन्मभूमि है तो बिहार का स्थल पावापुरी उनकी समाधि स्थल के तौर पर प्रसिद्ध है. पावापुरी जिसे पावा (Pawa) भी कहा जाता है, भारत के बिहार राज्य के नालंदा ज़िले जिले में राजगीर और बोधगया के समीप स्थित एक स्थान है. यहां पर स्थित है पावापुरी जलमंदिर. ईसापूर्व 528 में भगवान महावीर ने यहां मोक्ष की प्राप्ति की थी. इस मंदिर को जल सरोवर में बनाया गया है. इसमें लाल रंग के कमल के फूल जब खिलते हैं तो यहां का नजारा देखने लायक होता है. ऐसा लगता है कि ज्ञान का सारे कपाट एक साथ खुल गए हों. 

मंदिर को कहते हैं अपापुरी
ऐसा कहा जाता है की इस मंदिर का निर्माण भगवान महावीर के बड़े भाई नन्दिवर्धन ने करवाया था. पावापुरी मेंकुल पाच प्रमुख मंदिर है उनमे इस मंदिर का नाम भी लिया जाता है. पावापुरी के इसमंदिर में भगवान महावीर की चरन पादुका को रखा गया है और इन्ही चरणों की भगवान मानकर पूजा की जाती है. बिहार में स्थित इस जल मंदिर को अपापुरी मंदिर भी कहा जाता है. यह मंदिर बहुत पवित्र है. किवदंती है की भगवान महावीर को मोक्ष की प्राप्ति होने के बाद में उन्होंने इसी पावापुरी में समाधि ली थी. जिस जगह पर भगवान महावीर ने समाधि ली थी उसी जगह पर से लोग उनकी पवित्र अस्थियों की मिट्टी लेकर जाते थे और इसी तरह यहां पर काफी गहरा गड्ढा हो गया. बाद में इसी गड्ढे में प्राकृतिक रूप से पानी भर गया और कुछ समय बाद उसे ही मंदिर में परिवर्तित कर दिया गया.

मंदिर तक ऐसे पहुंचे
मंदिर को पानी के इसी सरोवर में बनाया गया है. बिहार के नालंदा जिले में गंगा नदी के किनारे पर स्थित है. पानी के अंदर इस मंदिर को बनाने के लिए सफ़ेद संगेमरमर के पत्थरों से बनाया गया है, जो रात में इसे और आकर्षक बनाते हैं. यह मंदिर किसी विमान और रथ की तरह ही दिखता है. नदी के ऊपर से मंदिर तक जाने के लिए 600 फीट का लम्बा पुल बनाया गया है. बिहार की राजधानी पटना से यह मंदिर केवल 108 किमीकी दुरी पर स्थित है इसके अलावा यह सबसे नजदीकी हवाईअड्डा है. देश में से किसी भी जगह से यहां आने की सुविधा उपलब्ध है. बिहार शरीफ से सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन राजगीर है जो यहा से केवल 38 किमी की दूरी पर है.

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