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UPA शासित कई राज्यों में लागू हो चुका है Old Pension Scheme, बिहार में कब होगा लागू?

Old Pension Scheme: देशभर में पुरानी पेंशन व्यवस्था को लागू करने की मांग लंबे समय से चल रही है. देशभर में एक जनवरी 2004 से नई पेंशन प्रणाली लागू की गई तो इसका विरोध तभी से शुरू हो गया था. दरअसल नई पेंशन व्यवस्था में अंशदाता के अंशदान के आधार पर पेंशन की व्यवस्था निर्धारित की गई है.

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(फाइल फोटो)
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Gangesh Thakur|Updated: Mar 04, 2023, 02:21 PM IST

पटना : Old Pension Scheme: देशभर में पुरानी पेंशन व्यवस्था को लागू करने की मांग लंबे समय से चल रही है. देशभर में एक जनवरी 2004 से नई पेंशन प्रणाली लागू की गई तो इसका विरोध तभी से शुरू हो गया था. दरअसल नई पेंशन व्यवस्था में अंशदाता के अंशदान के आधार पर पेंशन की व्यवस्था निर्धारित की गई है. यह अंशदान आधारित पेंशन योजना है. इसमें सरकार भी कर्मचारी के साथ-साथ सरकार भी अंशदान देती है. जबकि पुरानी व्यवस्था में सेवानिवृत्ति के समय जो पेंशनधारक का अंतिम वेतन होता था उसका 50 प्रतिशत पेंशन के रूप में दिया जाता था. आपको बता दें कि यह पूरी राशि सरकार की तरफ से दी जाती थी. 

पुरानी पेंशन व्यवस्था में दी जानेवाली पेंशन की राशि का सीधा बोझ सरकार पर पड़ता था. हालांकि नई व्यवस्था के तहत सरकार को इस अतिरिक्त बोझ से थोड़ी राहत मिली थी. लेकिन पुरानी पेंशन व्यवस्था को लागू करने को लेकर लगातार सरकारी कर्मचारियों की तरफ से आंदोलन किया जा रहा था. ऐसे में UPA और अन्य विपक्ष दल शासित कई प्रदेशों ने अपने यहां पुरानी पेंशन व्यवस्था को फिर से लागू करने का निर्णय ले लिया. 

ऐसा करने वाला देश का पहला राज्य कांग्रेस शासित राजस्थान बना, इसके अलावा छत्तीसगढ़, झारखंड, पंजाब और हिमाचल प्रदेश ने भी इस पेंशन योजना को लागू करने की घोषणा कर दी है. हालांकि इस योजना के लागू करने के साथ ही इन राज्यों पर वित्त का अतिरिक्त बोझ बढ़नेवाला है. इनमें से राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड, पंजाब और हिमाचल प्रदेश UPA शासित राज्य हैं तो वहीं पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार है जो केंद्र सरकार के खिलाफ विपक्ष की भूमिका में है.  

रिजर्व बैंक की तरफ से इस पुरानी पेंशन योजना को लेकर कहा गया था कि इसे लागू करने से राज्यों पर अतिरिक्त बोझ बढ़ेगा. हालांकि इस सब के बाद भी कर्मचारियों की मांग कम नहीं हो रही है. बिहार में भी झारखंड में इस पेंशन स्कीम के लागू होने की घोषणा के साथ इसको लेकर सुगबुगाहट तेज हो गई है. बिहार सरकार के द्वारा तो विधानसभा में यह तक कह दिया गया था कि सरकार इस योजना को लागू करने के मुड में नहीं है क्योंकि राज्य में नई पेंशन योजना चल रही है. 

हालांकि राजद के चुनावी घोषणा पत्र में यह साफ लिखा गया था कि उनकी सरकार बनने के बाद राज्य में पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू की जाएगा. फिर भी यह समझ नहीं आ रहा कि आखिर यहां महागठबंधन की सरकार के गठन के बाद भी यह पेंशन स्कीम लागू किए जाने की घोषणा क्यों नहीं की गई है. आपको बता दें कि जिन राज्यों में पुरानी पेंशन योजना लागू नहीं हैं, उसमें से UPA शासित राज्यों में बिहार भी है और वहां एक बार फिर से इसको लेकर बहस शुरू हो गई है.

हालांकि गाहे-बगाहे बिहार में नई सरकार के गठन के बाद उनके कई मंत्री इस बयान को दोहराते रहे हैं कि राज्य में जल्द पुरानी पेंशन व्यवस्था को लागू करने की घोषणा की जाएगी. हाल ही में राज्य के शिक्षामंत्री प्रो. चंद्रशेखर ने कहा था कि राज्य सरकार पुरानी पेंशन योजना लागू करने को लेकर गंभीर है. इसके बाद भी इसको लेकर कोई नतीजा नहीं निकल पाया है. इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह यह है बिहार सरकार के खजाने पर भी इसका अतिरिक्त बोझ उठाने की क्षमता नजर नहीं आ रही है. 

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