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Lakshmi Jayanti 2023: फाल्गुन पूर्णिमा के दिन ही प्रकट हुई थीं माता लक्ष्मी, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि

Lakshmi Prakatotsav 2023: फाल्गुन पूर्णिमा के दिन को हर साल लक्ष्मी माता के जन्म के उपलक्ष्य में लक्ष्मी जयंती (Lakshmi Jayanti) मनाया जाता है.

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Lakshmi Jayanti 2023: फाल्गुन पूर्णिमा के दिन ही प्रकट हुई थीं माता लक्ष्मी, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि
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Zee Bihar-Jharkhand Web Team|Updated: Mar 05, 2023, 02:14 PM IST

पटना: Lakshmi Prakatotsav 2023: फाल्गुन पूर्णिमा के दिन को हर साल लक्ष्मी माता के जन्म के उपलक्ष्य में लक्ष्मी जयंती (Lakshmi Jayanti) मनाया जाता है. शास्त्रों के अनुसार, दूधिया सागर के महान मंथन के दौरान फाल्गुन पूर्णिमा के दिन ही माता लक्ष्मी जी की उत्पत्ति हुई थी, इसे समुद्र मंथन के नाम से भी जाना जाता है. वहीं लक्ष्मी जयंती को मदन पूर्णिमा, वसंत पूर्णिमा लक्ष्मी प्रकटोत्सव और उत्तर फाल्गुनीनक्षत्रम जैसे नामों से भी जाना जाता है. लक्ष्मी जयंती इस साल मंगलवार 07 मार्च 2023 को है. इसी दिन होलिका दहन भी किया जाता है.

लक्ष्मी जयंती 2023 शुभ मुहूर्त (Lakshmi Jayanti 2023 Puja Muhurat)

फाल्गुन पूर्णिमा तिथि आरंभ: 06 मार्च 2023 (सोमवार), शाम 06:15

फाल्गुन पूर्णिमा तिथि समाप्त: 07 मार्च 2023 (मंगलवार), शाम 06:10

लक्ष्मी जयंती का महत्व

सनातन धर्म में लक्ष्मी माता की पूजा का विशेष महत्व है. वहीं लक्ष्मी जयंती के दिन मां लक्ष्मी की खास पूजा की जाती है. भविष्य पुराण के अनुसार, लक्ष्मी जयंती के दिन मां लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने से माता के आशीर्वाद से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है और इंसान को जीवन में कभी भी धन का अभाव नहीं रहता.

वहीं अगर आप नया व्यवसाय शुरू करना, कोई नया कार्य करना, नया घर खरीदना आदि जैसे कोई शुभ कार्य करना चाहते हैं तो लक्ष्मी जयंती का दिन इसके लिए बहुत शुभ होता है. इसके अलावा लक्ष्मी जयंती का दिन उन लोगों के लिए भी महत्वपूर्ण है जो अपनी वर्तमान वित्तीय स्थिति में बढ़ोतरी चाहते हैं.

लक्ष्मी जयंती पूजा विधि (Lakshmi Jayanti 2023 Puja Vidhi)

लक्ष्मी जयंती के दिन सुबह में उठकर स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहन लें. माता लक्ष्मी के साथ इस दिन भगवान विष्णु की भी पूजा की जाती है. पूजा के दौरान पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें. एक लकड़ी की चौकी तैयार करके इसमें गंगाजल छिड़कर इसे शुद्ध कर लें और उप पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं.

मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर को चौकी में स्थापित करें. इस दौरान इस बात का ध्यान रखें की मां लक्ष्मी कमल पर विरामान हों. लक्ष्मी माता को अब सिंदूर, कमल के फूल, मौसमी फल, रोली, अक्षत, चंदन, मिष्ठान या खीर और श्रृंगार का सामान अर्पित करें. एक चौमुखी दीपक जलाकर ‘ऊं ह्रीं महालक्ष्म्यै नमः’ मंत्र का जाप करें. इसके बाद लक्ष्मी माता की आरती करें.

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