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Jivitputrika Vrat 2022: 17 या 18 सितंबर किस दिन रखें जितिया व्रत, यहां दूर करें अपनी कन्फ्यूजन

Jivitputrika Vrat 2022: हर साल आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जीवित्पुत्रिका का व्रत मनाया जाता हैं. बिहार में इस पर्व को जीवित्पुत्रिका, जितिया, जिउतिया और ज्युतिया व्रत के नाम से भी जाना जाता है. 

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Jivitputrika Vrat 2022:  17 या 18 सितंबर किस दिन रखें जितिया व्रत, यहां दूर करें अपनी कन्फ्यूजन
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Zee Bihar-Jharkhand Web Team|Updated: Sep 15, 2022, 06:33 AM IST

पटना: Jivitputrika Vrat 2022: हर साल आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जीवित्पुत्रिका का व्रत मनाया जाता हैं. जीवित्पुत्रिका व्रत को भक्ति और उपासना के सबसे कठिन व्रतों में एक माना जाता है. बिहार में इस पर्व को जीवित्पुत्रिका, जितिया, जिउतिया और ज्युतिया व्रत के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन माताएं अपने बच्चों की लंबी उम्र और स्वस्थ जीवन के लिए व्रत रखती हैं. माताएं इस दिन  निर्जला व्रत रखती हैं. इस पर्व व्रत बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में विशेषकर मनाया जाता है. इसके अलावा पड़ोसी देश नेपाल में भी इस व्रत को मनाया जाता है. इस साल पंचांग के अलग-अलग मत के कारण व्रत की तिथि को लेकर ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है. 

जीवित्पुत्रिका व्रत 2022 तिथि

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल जितिया व्रत आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 18 सितंबर 2022 को पड़ रहा है. 18 सितंबर 2022 से आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि  शुरू होगी और इसका समापन 19 सितंबर 2022 को होने वाला है. व्रत रखने वाली माताएं 19 सितंबर, सोमवार की सुबह 06 बजकर 10 मिनट के बाद पारण कर सकती हैं.

जीवित्पुत्रिका व्रत 2022 शुभ मुहूर्त

16 सितंबर को आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि का प्रारंभ  दोपहर 1 बजकर 36 मिनट पर होगा.

अष्टमी तिथि 17 सितंबर को दोपहर 2 बजकर 56 मिनट पर प्रारंभ हो रही है 

8 सितंबर को दोपहर 04 बजकर 32 मिनट पर खत्म  कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का समापन

व्रत पारण का शुभ समय- 19 सितंबर 2022,सोमवार सुबह 06 बजकर 38 मिनट के बाद से माताएं पारण कर सकती हैं

जीवित्पुत्रिका व्रत पूजा विधि (Jivitputrika Vrat Puja Vidhi)

व्रत करने वाली महिलाएं सुबह में स्नान करने के बाद प्रदोष काल में गाय के गोबर से पूजा स्थल को साफ करें.

इसके बाद उस जगह पर छोटा सा तालाब बनाएं . फिर तालाब के पास एक पाकड़ की डाल लाकर खड़ा कर करें.

अब जल पात्र में शालिवाहन राजा के पुत्र धर्मात्मा जीमूतवाहन की कुशनिर्मित मूर्ति की स्थापना करें.

इसके बाद दीप, धूप, रोली ,अक्षत, और लाल और पीली रूई से उन्हें  सजाएं.

अब उनका भोग लगाएं.

मिट्टी या गोबर से मादा चील और मादा सियार की मूर्ति की निर्माण करें.

मादा चील और सियार को लाल सिंदूर अर्पित करें.

अब माताएं अपने पुत्र की प्रगति और कुशलता की कामना करें.

इसके बाद जितिया व्रत कथा सुनें और पढ़ें.

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