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मछलियों की संख्या कम होने से गंगा का पानी हो रहा प्रदूषित, अब सरकार ने की ये पहल

Bihar News: भागलपुर के सुल्तानगंज के पास गंगा नदी में रोहू, कतला, मृगल प्रजाति के करीब तीन लाख जीरा प्रवाहित किए जाएंगे. भागलपुर के जिला मत्स्य पदाधिकारी कृष्ण कन्हैया ने कहा है कि कमरगंज इलाके में जीरा डालने का काम किया जाएगा, जिससे नदी की धारा की वजह से सभी इलाकों में जीरा पहुंच सके.

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गंगा में कम हो रही मछली प्रजातियों की संख्या
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Shailendra |Updated: Jul 11, 2024, 12:26 PM IST

Ganga Water: बिहार की गंगा में कई प्रजातियों की मछलियों की कमी को देखते हुए अब इसकी संख्या को बढ़ाने को लेकर पहल शुरू कर दी गई है. इसके तहत अब कई क्षेत्रों में जीरा डालने की योजना बनाई गई है.

दरअसल, कहा जा रहा है कि गंगा में रोहू, कतला सहित कई प्रजातियों की मछलियों की संख्या कम होने के कारण गंगा का पानी भी प्रदूषित हो रहा है. मछलियों की संख्या बढ़ाने को लेकर कोलकाता के एक संस्थान से मदद ली जा रही है. इसके तहत विशेषज्ञों की एक टीम काम कर रही है.

बताया जाता है कि भागलपुर के सुल्तानगंज के पास गंगा नदी में रोहू, कतला, मृगल प्रजाति के करीब तीन लाख जीरा प्रवाहित किए जाएंगे. भागलपुर के जिला मत्स्य पदाधिकारी कृष्ण कन्हैया ने कहा है कि कमरगंज इलाके में जीरा डालने का काम किया जाएगा, जिससे नदी की धारा की वजह से सभी इलाकों में जीरा पहुंच सके.

उनका मानना है कि मछलियों की संख्या बढ़ने से डॉल्फिन को भी चारा मिल सकेगा. इन इलाकों में मछलियों की संख्या बढ़ाने को लेकर फिशरीज संस्थानों द्वारा लगातार काम किया जा रहा है.

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इधर, कहा जाता है कि हिलसा प्रजाति की मछलियां भी धीरे-धीरे कम हो रही हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि हिलसा प्रजाति की मछलियां ब्रीडिंग के समय साफ पानी में रहना पसंद करती हैं. ऐसे में वे उस समय फरक्का डैम की ओर चली जाती है. इसके बाद वे इस क्षेत्र में नहीं आ पाती हैं.

इनपुट: आईएएनएस

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