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IAS अधिकारी छवि रंजन पर कसा ED का शिकंजा, अवैध भूमि बिक्री मामले में पूछताछ के लिए किया तलब

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कथित अवैध भूमि बिक्री से संबद्ध धन शोधन जांच के सिलसिले में झारखंड के आईएएस अधिकारी छवि रंजन को इस सप्ताह के अंत में पूछताछ के लिए तलब किया है. आधिकारिक सूत्रों ने सोमवार को यह जानकारी दी.

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 (फाइल फोटो)
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Zee Bihar-Jharkhand Web Team|Updated: Apr 18, 2023, 08:39 AM IST

Ranchi: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कथित अवैध भूमि बिक्री से संबद्ध धन शोधन जांच के सिलसिले में झारखंड के आईएएस अधिकारी छवि रंजन को इस सप्ताह के अंत में पूछताछ के लिए तलब किया है. आधिकारिक सूत्रों ने सोमवार को यह जानकारी दी. सूत्रों ने बताया कि भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के 2011 बैच के अधिकारी को 21 अप्रैल को राज्य की राजधानी रांची में एजेंसी के कार्यालय में बयान देने के लिए कहा गया है. 

एजेंसी ने पिछले सप्ताह उनसे संक्षिप्त पूछताछ की थी, जब इस मामले में झारखंड, बिहार और पश्चिम बंगाल में उनके तथा अन्य के परिसरों में छापेमारी की गई थी.  सूत्रों ने बताया कि पश्चिम बंगाल सरकार के एक सहायक रजिस्ट्रार को भी दो मई को गवाही देने के लिए कहा गया है. एजेंसी ने छापेमारी के बाद झारखंड सरकार के एक अधिकारी समेत कुल सात लोगों को गिरफ्तार किया है. 

 

बाबूलाल मरांडी ने साधा था निशाना 

इस छापेमारी के दौरान राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने हेमंत सरकार पर हमला बोला था. उन्होंने ट्वीट किया था,'खबर आ रही है कि हेमंत राज में राँची में हुए 10 हज़ार करोड़ रूपये के ज़मीन घोटाले के मुख्य किरदार आईएएस(पूर्व डीसी) छवि रंजन के राँची, जमशेदपुर सहित दूसरे राज्यों के कुल 22 ठिकानों पर #ED की रेड चल रही है. ये वही अफ़सर है जिसने कोडरमा में डीसी रहते किमती सरकारी सागवान के पेड़ों की चोरी की थी. इस मामले में चार्जशीटेड यह अफ़सर हाईकोर्ट से ज़मानत पर है.

 

उन्होंने आगे ट्वीट में लिखा कि हेमंत सोरेन को राजधानी रांची में डीसी जैसे महत्वपूर्ण पद के लिये ऐसे ही अफ़सर की ज़रूरत थी. “प्रेम” की कृपा बरसी और छवि रांची में ज़मीन लूटपाट के लिये ही लाये गये. इनसबों ने देश और मातृभूमि की रक्षा करने वाली सेना तक की ज़मीन को बेच खाने में कोई कसर उठा नहीं रखा. इनकी करतूतों और इनके ख़िलाफ़ उच्चाधिकारियों की जांच एवं कार्रवाई की रिपोर्ट को दबाये बैठे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जी को मैं ने कई बार पत्र लिखकर कार्रवाई का अनुरोध किया लेकिन वो चुप्पी साधे रहे. हेमंत, अपराध करना और और अपराधी को बचाना समान जुर्म है. इस जॉंच की ऑंच भी अगर आपतक पंहुचेगी तो आदिवासी होने की दुहाई मत देने लगियेगा. 

(इनपुट भाषा के साथ)

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