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Bihar News: लोक आस्था के पर्व छठ में भी धार्मिक सद्भावना की अनूठी मिसाल, ऐसे आरता पात तैयार होकर पहुंचता है मुस्लिम मोहल्ले से

Bihar News: लोक आस्था का महापर्व छठ दुनिया के जिस कोने में पूर्वांचली या बिहारी रहते हैं उनके लिए सबसे बड़ा त्योहार है. इसमें तमाम सामग्रियों का इस्तेमाल होता है और इन्हें समाज के हर वर्ग के लोग बनाते हैं. छठ पूजा में अरता का पात एक जरूरी सामग्री है.

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फाइल फोटो
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Zee Bihar-Jharkhand Web Team|Updated: Nov 06, 2023, 05:09 PM IST

छपरा: Bihar News: लोक आस्था का महापर्व छठ दुनिया के जिस कोने में पूर्वांचली या बिहारी रहते हैं उनके लिए सबसे बड़ा त्योहार है. इसमें तमाम सामग्रियों का इस्तेमाल होता है और इन्हें समाज के हर वर्ग के लोग बनाते हैं. छठ पूजा में अरता का पात एक जरूरी सामग्री है. आपको जानकर हैरानी होगी कि इसका निर्माण ज्यादातर मुस्लिम परिवार करते हैं.

छपरा के अवतार नगर थाना का झौआ गांव के कई मुस्लिम परिवार पिछले 100 साल से छठ पूजन के लिए आरता पात बनाने में लगे हुए हैं. छठ पूजा में प्रयोग होने वाला अरता पात छठ के लिए महत्वपूर्ण पूजन सामग्रियों में से एक है, लेकिन कम ही लोग जानते होंगे कि इसे बनाने वाले अधिकांश लोग मुस्लिम परिवारों के होते हैं. छपरा के झौंवा गांव में अरता पात का बड़े पैमाने पर उत्पादन होता है और यहां से बिहार के साथ-साथ देश के कई अन्य जिलों में भी जाता है.

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इस गांव के रहने वाले बताते हैं कि उनका परिवार पिछले कई पीढ़ियों से इस काम में लगा रहा है और उनके घर के बच्चे महिलाएं सभी मिलकर आरता का पात बनाते हैं. छठ एक ऐसा पर्व है, जिसमें सभी धर्म के लोगों का सहयोग दिखता है. अब झौवां गांव के शमीम भाई को ही लीजिए. इनका परिवार पिछले 100 साल से अरता पात बनाने में लगा हुआ है. हिंदुओं के सबसे महत्वपूर्ण पर्व में इन परिवारों की भूमिका काफी अहम होती है.

छोटे से गांव झौंवा की एक बड़ी आबादी इस काम में सालों भर लगी रहती है. वैसे तो कई अन्य पूजन कार्यों में भी सामग्री का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन छठ के दौरान अरता पात की खपत काफी बढ़ जाती है, जिसके कारण इस वक्त यहां इसे बड़े पैमाने उत्पादन किया जाता है और यहां से बनने वाला अरता पात देश के साथ-साथ विदेशों में भेजा जाता है पात निर्माण में कौमी एकता की मिसाल देखने को मिलती है. यहां के सैकड़ों मुस्लिम परिवार इस काम में सालों भर लगे रहते हैं.

छपरा जिला मुख्यालय से लगभग 30 किलोमीटर दूर स्थित है झौंवा गांव, यहां बनने वाले आरता पात को खरीदने के लिए दूसरे जिलों के लोग भी झौंवा गांव में पहुंचते हैं और यहां के लोगों को आर्थिक फायदा भी होता है. लेकिन, इस उद्योग के साथ एक काला सच भी जुड़ा हुआ है जो यहां के लोगों की जिंदगी को काफी कठिन बना देता है. अकवन के रुई से बनने वाला अरता पात यहां के लोगों में सांस संबंधित बीमारियां बढ़ा रहा है. इस गांव में टीवी के मरीज सबसे अधिक पाए जाते हैं.

बहरहाल, छठ को लेकर झौंवा गांव फिर सुर्खियों में है. यहां का बना आरता पात एक बार फिर बिहार के बाजारों में पहुंचने लगा है. आज परंपरा के साथ जुड़ा यह उद्योग कठिनाइयों के दौर से गुजरते हुए भी इस गांव का पहचान बन गया है और सांप्रदायिक सौहार्द्र का अनोखा मिसाल भी पेश कर रहा है.
RAKESH KUMAR SINGH

 

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