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बिहार में शुरू होने के बाद अब इस राज्य में भी उठने लगी जातीय जनगणना की मांग

बिहार में जातीय जनगणना की शुरुआत के साथ इस बात के कयास लगाए जा रहे थे कि अब इसकी मांग देश के कई राज्यों में भी उठनी शुरू हो जाएगी. जहां एक तरफ केंद्र की पूर्व यूपीए और अभी की वर्तमान एनडीए सरकार इस मांग को खारिज कर चुकी है. वहीं अब बिहार में इस जनगणना की शुरुआत के साथ सियासत भी तेज हो गई है.

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(फाइल फोटो)
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Gangesh Thakur|Updated: Jan 10, 2023, 01:18 PM IST

पटना : बिहार में जातीय जनगणना की शुरुआत के साथ इस बात के कयास लगाए जा रहे थे कि अब इसकी मांग देश के कई राज्यों में भी उठनी शुरू हो जाएगी. जहां एक तरफ केंद्र की पूर्व यूपीए और अभी की वर्तमान एनडीए सरकार इस मांग को खारिज कर चुकी है. वहीं अब बिहार में इस जनगणना की शुरुआत के साथ सियासत भी तेज हो गई है. एक तरफ जहां भारतीय जनता पार्टी की तरफ से नीतीश सरकरा को इसके लिए घेरा जा रहा है और कहा जा रहा है कि इस तरह के सर्वे से समाज में खाई पैदा होगी अगर सर्वे कराना ही था तो आर्थिक आधार पर कराया जाना चाहिए था. वहीं महागठबंधन के दलों के नेताओं की तरफ से जवाब दिया जा रहा है कि जब विधानसभा में यह प्रस्ताव लाया गया था तो भाजपा ने भी इसका समर्थन किया था. 

अब बिहार सरकार के इस फैसले का महाराष्ट्र के कद्दावर नेता और एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने भी स्वागत किया है. शरद पवार कई बार जातीय जनगणना की मांग को दोहरा चुके हैं, अब उनके बयान के बाद से ही महाराष्ट्र में भी इसको लेकर सियासत गर्मा गई है. महाराष्ट्र में भाजपा सरकार से जातीय जनगणना की मांग ने तेजी पकड़ ली है.  

महाराष्ट्र में भी इस तरह की मांग जोर पकड़ती जा रही है, महाराष्ट्र एनसीपी के वरिष्ठ और ओबीसी समुदाय के प्रमुख नेता छगन भुजबल ने प्रदेश के सीएम और डिप्टी सीएम को पत्र लिखकर इस बात की मांग की है. उन्होंने पत्र लिखकर मांग की है कि ओबीसी समुदाय का सर्वे कराया जाए. 

छगन भुजबल ने अपने पत्र में बिहार का जिक्र करते हुए स्पष्ट लिखा है कि यहां ओबीसी की गणना के लिए स्वतंत्र रूप से सर्वे कराया जा रहा है. तमिलनाडु, छत्तीसगढ़ और अन्य राज्यों ने भी भी इस तरह के सर्वे की शुरुआत की है. यह राज्य के विकास के लिए उपयोगी है. महाराष्ट्र में हमारी पार्टी और मेरी तरफ से ओबीसी जनगणना कराने की मांग लंबे समय से लटकी हुई है. केंद्र सरकार की तरफ से इस तरह की जनगणना से पहले ही इनकार किया जा चुका है. ऐसे में राज्य सरकार को बिहार की तरह ही स्वतंत्र रूप से इसके लिए बीड़ा उठाना होगा. 

भुजबल ने अपने पत्र में ओबीसी, घुमंतू जनजाति और विशेष पिछड़ा वर्गके आंकड़े इकट्ठा किए जाने की मांग की है, उद्धव सरकार के समय महाराष्ट्र विधानसभा में देशभर में ओबीसी सर्वे करवाने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की गई थी. उन्होंने लिखा कि अभी 2021 की जनगणना होनी है ऐसे में ओबीसी के आंकड़े का कॉलम इसमें शामिल होना चाहिए. 

उन्होंने अपने पत्र में डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर की किताब ‘शुद्र कौन थे?’ का जिक्र करते हुए लिखा है कि वह भी ओबीसी जनगणना की मांग करते रहे थे. पत्र में यह भी कहा गया है कि 2010 में 100 से ज्यादा ओबीसी नेताओं ने संसद में इसका प्रस्ताव रखा था. 

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