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BPSC EXAM: बिहार में सरकार बदली लेकिन बीपीएससी अभ्यर्थियों का नसीब नहीं?

अभ्यर्थियों की मांग है कि 67वीं परीक्षा की जो पेपर लीक हुई है उसकी सीबीआई जांच कराई जाए. बीपीएससी के परीक्षा नियंत्रक सह सचिव अमरेंद्र कुमार को बर्खास्त किया जाए. 

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बिहार में अब सरकारी नौकरी के लिए संघर्ष कर रहे अभ्यर्थियों की ये अनंत संघर्ष कथा हो गई है.
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Amita Kishor|Updated: Nov 22, 2022, 08:16 PM IST

पटना: BPSC का मतलब बिहार पब्लिक सर्विस कमीशन है या फिर बिहार पब्लिक समस्या कमीशन..एक बार फिर BPSC को लेकर बवाल हो रहा है. 67वीं प्रीलिम्स परीक्षा पेपर लीक की जांच और रिजल्ट में धांधली का आरोप लगाकर अभ्यर्थी प्रदर्शन कर रहे हैं. ये हमले BPSC पर हो रहे हैं लेकिन असल में अभ्यर्थी अपने वो जख्म दिखा रहे हैं जो अब नासूर बनते जा रहे हैं. 

अभ्यर्थियों की मांग है कि 67वीं परीक्षा की जो पेपर लीक हुई है उसकी सीबीआई जांच कराई जाए. बीपीएससी के परीक्षा नियंत्रक सह सचिव अमरेंद्र कुमार को बर्खास्त किया जाए. अभ्यर्थियों का आरोप है कि जो पीडीएफ फॉर्मेट में रिजल्ट जारी हुआ है उसमें और ओएमआर शीट में छेड़छाड़ की गई है. छात्रों के इस गुस्से की वजह सिर्फ ये नहीं है कि इस परीक्षा में गड़बड़ियों की आशंका है. दरअसल ये एक लावा है जो जाने कब से जमा है और फूट रहा है. 

मामला क्या है
बिहार हो या कोई और राज्य..हो ये रहा है कि नियुक्तियां वक्त पर निकलती नहीं. अगर निकल जाए तो परीक्षा में देरी होती है.परीक्षा होती है तो पेपर लीक हो जाता है. किसी तरह परीक्षा हो जाती है तो रिजल्ट लेट आता है. रिजल्ट आ भी जाए तो तैनाती में वक्त लगता है. और इस तरह से अभ्यर्थियों की उम्र, आरजू सब निकल जाती है. 

बीपीएससी में देरी का नमूना
बीपीएससी में देरी का नमूना देखिए. 2014 में एक साथ 56, 57, 58, 59 बैच के लिए बीपीएससी की परीक्षा हुई. 56-59 बैच का फॉर्म निकला सितंबर 2014 में. 749 पोस्ट के लिए अभ्यर्थियों ने पीटी दी. 15 मार्च 2015 को प्रीलिम्स की परीक्षा हुई. 21 नवंबर 2015 को पीटी का रिज़ल्ट आया. जुलाई 2016 में मेन्स परीक्षा हुई. जिसका रिजल्ट जनवरी 2018 तक नहीं आया. 

बेरोजगारों के साथ मजाक 
इस बीच बिहार प्रशानिक सेवा आयोग ने 2016 में फिर से वैकेंसी निकाली. 60, 61 और 62 बैच के 642 पदों के लिए फार्म मंगाए गए. फरवरी 2017 में पीटी हुआ. 31 सितंबर 2017 को पीटी का रिज़ल्ट आया. मेन्स का रिजल्ट आता इससे पहले दिसंबर 2017 में 63 बैच का फार्म गया. 2014 में 749 पद के लिए रिक्तियां निकली थीं लेकिन 2017 में पदों की संख्या घटकर 355 हो गई. यानी नियुक्ति तो देर हुई ही, रिक्तियां भी कम हो गईं. अब आखिर छात्र जाए तो कहां जाए. ऐसी शर्मनाक व्यवस्था का विरोध करे तो उसपर लाठियां चलाई जाती हैं.  ये बेरोजगारों के साथ मजाक नहीं तो क्या है? 

अभ्यर्थियों का नसीब नहीं बदला
सारे सबूत बता रहे हैं कि बिहार में निजाम बदला है लेकिन अभ्यर्थियों का नसीब नहीं. अभी कुछ दिन पहले बिहार BTET और CTET के पास अभ्यर्थियों ने शिक्षक पद पर बहाली को लेकर प्रदर्शन किया. अपने सिर मुंडवा लिए. अगस्त 2022 में राजधानी पटना की सड़कों पर शिक्षक अभ्यर्थियों ने प्रदर्शन किया था. पुलिस ने उनपर लाठीचार्ज किया. दौड़ा-दौड़ा कर पीटा. 

नौकरी की अनंत संघर्ष कथा
बिहार में अब सरकारी नौकरी के लिए संघर्ष कर रहे अभ्यर्थियों की ये अनंत संघर्ष कथा हो गई है. बेरोजगारी दूर करने का वादा-वादा करते तेजस्वी उपमुख्यमंत्री बन गए लेकिन बेरोजगार वहीं खड़ा है. तेजस्वी ने दस लाख नौकरियों का वादा किया है. उसे पूरा करें लेकिन चयन आयोग में जो दिक्कते हैं, परीक्षा कराने और रिजल्ट बनाने में जो आफते हैं, उन्हें भी दूर कीजिए. बेरोजगारों के सब्र की भी एक सीमा है.

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