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अजब अनोखी दुनिया: भारत की एक ऐसी नदी जो बहती है उल्टी दिशा में, शिव का प्राप्त है इसे वरदान

भारत के बारे में आप सभी जानते हैं कि यहां नदियों को माता के रूप में पूजा जाता है. हालांकि इन नदियों में भी कई नदियां ऐसी हैं जिसका अपना अजब-गजब इतिहास रहा है.

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(फाइल फोटो)
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Gangesh Thakur|Updated: Jul 22, 2023, 03:47 PM IST

River of India that flows in the opposite direction: भारत के बारे में आप सभी जानते हैं कि यहां नदियों को माता के रूप में पूजा जाता है. हालांकि इन नदियों में भी कई नदियां ऐसी हैं जिसका अपना अजब-गजब इतिहास रहा है. आपको बता दें कि देश में एक ऐसी नदी भी है जो अपने उद्गम स्थान से निकलने के बाद ही गायब हो जाती है और आजतक इसके अस्तित्व की खोज की जा रही है. वहीं एक ऐसी नदी भी है जो हमेशा सूखी रहती है जिसके बालू को हटाकर इससे पानी निकालकर यहां आनेवाले श्रद्धालू अपने पूर्वजों का तर्पण करते हैं. 

वहीं इन सारी नदियों को जहां माता का दर्ज दिया गया है वहीं भारत के एक पुरुष नदी के बारे में आप कम ही जानते होंगे. दरअसल इस नदी का नाम ब्रह्मपुत्र नदी है जिसे ब्रहा का पुत्र कहा गया और इसलिए यह नदी पुरुष नदी है. इसी तरह देश में जहां सभी नदियां पश्चिम से पूर्व की तरफ बहती हैं वहीं एक ऐसी नदी भी है जो इसके विपरीत बहती है और सनातन धर्म की मानें तो इसके पीछे की वजह इसे भगवान शिव से मिला वरदान है. 

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बता दें कि इस नदी का नाम नर्मदा है जिसे भगवान शिव की पुत्री कहा जाता है. इस नदी का बहाव पूर्व से पश्चिम की ओर है. इस नदी को रेवा के नाम से भी जाना जाता है. बाकि की सारी नदियां जहां पश्चिम से पूर्व की ओर बहते हुए बंगाल की खाड़ी में जाकर गिरती है वहीं यह नर्मदा  नदी पूर्व से पश्चिम की ओर बहते हुए सीधे अरब सागर में समा जाती है. मध्य प्रदेश और गुजरात की यह मुख्य नदी अमरकंटक के शिखर से निकलती है और रिफ्ट वौली में होने के कारण उल्टा बहते हुए अरब सागर में जाकर गिरती है. 

ऐसे में इस नदी के उल्टा बहने के पीछे भी कई पौराणिक मान्यतां हैं जो वेदों और ग्रंथों में वर्णित हैं. कहते हैं कि नर्मदा और सोनभद्र का विवाह तय हुआ था लेकिन नर्मदा की सहेली जोहिला के कारण दोनों के बीच मतभेद बढ़ गया और नर्मदा ने आजीवन कुंवारी रहने का संकल्प ले लिया. वह विपरीत दिशा में बहने का निर्णय ले चुकी थी. बता दें कि सोनभद्र से एक नियत स्थान पर नर्मदा अलग भी होती है. वहीं भगवान शिव ने नर्मदा को यह वरदान भी दिया कि वह उनकी बेटी के रूप में जानी जाएगी और उसका एक-एक कंकड़ शंकर के रूप में पूजा जाएगा. ऐसे में नर्मदा की तेज धाराओं में अलग-अलग रंग के पत्थर अलग-अलग शिवलिंग की आकृतियों में पाए जाते हैं जिसे लोग घर में रखकर पूजा करते हैं और इसे नर्मदेश्वर शिवलिंग भी कहा जाता है.  

 

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