Muzaffarpur News: दिव्यांगजनों को जीवन व्यापन करने के लिए ट्राई साइकिल काफी जरूरी होती है. यही वजह है कि कई सरकारी योजनाओं के माध्यम से जरूरतमंदों को ट्राई साइकिल मुहिया कराई जाती है, लेकिन सभी दिव्यांग इसका फायदा नहीं उठा पाते हैं. इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह अधिकारियों की लापरवाही है. इस कथन को सच साबित करने वाला एक मामला मुजफ्फरपुर के बेतिया से सामने आ रहा है. जहां ट्राइ साइकिल के लिए दो दिव्यांग पिछले 10 सालों से सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन अधिकारियों को उनका दुख दिखाई-सुनाई नहीं दे रहा है...
सालों से लगा रहे सरकारी दफ्तरों के चक्कर
दरअसल, योगापट्टी प्रखंड के गोरा बेलवा गांव में एक ही परिवार में दो दिव्यांग भाई मोहम्मद कलाम और मोहम्मद मोहर्रम रहते है जो बचपन से दोनों पैरों से दिव्यांग है. दोनों अपने भरण पोषण के लिए भीख मांगने पर मजबूर है क्योंकि उनके पास ट्राई साइकिल नहीं है, जिस वजह से वे कोई दूसरा काम करने में सक्षम नहीं है. परिवार वालों का कहना है कि पिछले दस साल से मोहम्मद कलाम और मोहम्मद मोहर्रम ब्लॉक मुखिया से लेकर विधायक तक के यहां चक्कर काट रहें है, लेकिन कुछ खास लाभ नहीं हुआ. दोनों ने बैटरी चलित ट्राई साइकिल के लिए भी आवेदन किया है, लेकिन वह भी नहीं मिल रहा है.
स्थानीय अधिकारियों को ठहराया जिम्मेदार
माँ आशमा खातून और नसीमा खातून ने बताया है कि दस साल पहले एक ट्राई साईकिल मिली थी, लेकिन वह कबाड़ हो गई है. उसके बाद से हम लोग कई बार अधिकारियों से मिले, लेकिन कुछ फायदा नहीं हुआ. स्थानीय लोकल अधिकारियों की तरफ से लापरवाही बरती जा रही है, जिस वजह से दोनों दिव्यांग योजनाओं से महरूम है
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रिपोर्ट:- धनंजय द्विवेदी