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Lok Sabha Election 2024: गुमला में कई गांवों के ग्रामीणों ने लोकसभा चुनाव बहिष्कार का ऐलान किया, जानें कारण

Gumla News: ग्रामीणों का कहना है कि उनके क्षेत्र में किसी तरह का विकास नहीं हुआ है. सड़क, पानी और बिजली की कोई व्यवस्था नहीं है. स्वास्थ्य और शिक्षा सुविधाओं का भी बुरा हाल है. 

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ग्रामीणों ने लोकसभा चुनाव बहिष्कार का ऐलान किया
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Zee Bihar-Jharkhand Web Team|Updated: Apr 09, 2024, 10:27 AM IST

Jharkhand Lok Sabha Election 2024: लोकतंत्र के महापर्व यानी लोकसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान में अब सिर्फ एक सप्ताह ही बचा है. चुनाव आयोग की ओर से तैयारियां बड़े जोर-शोर से चल रही है. इलेक्शन कमीशन की ओर से लगातार ज्यादा से ज्यादा मतदान करने की अपील की जा रही है. दूसरी ओर झारखंड के गुमला जिले के दर्जनों गावों के ग्रामीणों ने चुनाव बहिष्कार का ऐलान किया है. दरअसल, गुमला के घाघरा थाना क्षेत्र के कई अधिक गांव के ग्रामीणों महिला पुरुष सरांगो नवाटोली स्थित बगीचा में बैठक कर रोड नही तो वोट नही का निर्णय लिया. मौके पर मौजूद ग्रामीण संदीप उरांव ने कहा कि झारखंड गठन के बाद उम्मीद जगी थी कि कम से कम पानी, बिजली सड़क की जरूरत पूरी होगी लेकिन इटकिरी से भैसबथान तक करीब 15 किलोमीटर सड़क की स्थिति नारकीय है. 

उन्होंने कहा कि गर्मी के दिनों धूल से परेशानी होती है तो बरसात के दिनों में कीचड़ से यहां तक कि घर मे रखे खाने में भी धूल के कण समाहित होते है. एक अन्य ग्रामीण रामेश्वर राम ने कहा कि खराब सड़क का दुष्परिणाम यह है कि सीरियस मरीज हिचकोले खाते अस्पताल पहुंचने से पहले दम तोड़ देते है. सेरेनदाग, भैसबथान आदि गांव के बच्चे खराब सड़क के कारण अधिकतर देरी से स्कूल पहुंचते हैं. सेरेनदान की अनिता देवी ने कहा कि खराब सड़क के कारण कोई भी अपनी लड़की ब्याहना नही चाहता. गर्भवती महिलाओं को अक्सर परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

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ग्रामीणों ने बताया कि 1987 में एक बार सड़क का निर्माण हुआ था लेकिन वर्तमान में उसके अवशेष भी नहीं बचे हैं. अब सड़क के नाम पर सिर्फ मिट्टी और धूल भरा रास्ता बचा है. जिसमें आवागमन करना किसी जंग जितने से कम नही है. वक्ताओं सहित उक्त क्षेत्र में पड़ने वाले सभी 8 बूथ के ग्रामीण महिला पुरुषों ने एक स्वर में रोड नही तो वोट नहीं के नारे लगाते हुवे सड़क नही बन जाने तक आंदोलन जारी रखने की बात कही. मौके पर रतींद्र भगत, भरत साहू, संजीव भगत, कृष्णकांत यादव, सुमति देवी, रजिंता देवी, अनिता देवी, प्रतिमा उरांव, रोहित खेरवार, शनि उरांव सहित चमेली, चामा, सरांगो, नवाटोली, चटकपुर, नाथपुर, सेरेनदाग, भैस बथान, हाड़हापाट एवं केचकी के सैकड़ो महिला पुरुष ग्रामीण शामिल थे.

रिपोर्ट- रणधीर निधि

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