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लालू का दावा, कहा- कर्पूरी ठाकुर के लिए मैंने उठाई आवाज तो केंद्र ने डर से दिया भारत रत्न

Bihar News: इस सर्वे की रिपोर्ट के आधार पर केंद्र सरकार ने इस घोषणा की है और यह लालू यादव के लिए 'डर' की बात है. कारण यहां यह भी है कि लालू ने इस अवसर पर बताया कि कांशीराम और लोहिया को भी भारत रत्न मिलना चाहिए. इससे साफ होता है कि उन्होंने भी इस घड़ी को चुनौतीपूर्ण बनाने का प्रयास किया है.

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लालू का दावा, कहा- कर्पूरी ठाकुर के लिए मैंने उठाई आवाज तो केंद्र ने डर से दिया भारत रत्न
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Zee Bihar-Jharkhand Web Team|Updated: Jan 24, 2024, 10:21 PM IST

पटना: बिहार के जननायक कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा, इसकी घोषणा मंगलवार को केंद्र सरकार ने की. इस खबर से सभी राजनीतिक दल उत्साहित हैं और उनमें श्रेय को लेकर हंगामा हो रहा है. जेडीयू, आरजेडी और बीजेपी- इन तीनों प्रमुख दलों ने भी इस मौके पर आपस में श्रेय बांटने का दावा किया है. लालू प्रसाद यादव जो खुद को कर्पूरी ठाकुर के अनुयायी मानते हैं. उन्होंने भी इसमें पिछड़ाई नहीं दिखाई. उन्होंने अपने  'एक्स' एकाउंट पर कर्पूरी ठाकुर की याद में एक पोस्ट किया और लिखा कि स्व. कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न का सम्मान पहले ही मिलना चाहिए था.

लालू ने टाइमिंग पर सवाल उठाते हुए कहा कि वही समय आया है जब चुनाव के करीब हैं और कर्पूरी ठाकुर की यादें फिर से आई हैं. उन्होंने कहा कि कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न मिलना चाहिए और इसकी मांग वे बार-बार कर रहे हैं. लालू ने इस समय को 'डर' के रूप में भी देखा, कहते हुए कि केंद्र सरकार ने इस फैसले को इसलिए लिया है क्योंकि बिहार सरकार ने जातिगत सर्वे कराया और अतिपिछड़ वर्ग के लिए आरक्षण बढ़ाया गया है. इस सर्वे की रिपोर्ट के आधार पर केंद्र सरकार ने इस घोषणा की है और यह लालू यादव के लिए 'डर' की बात है. कारण यहां यह भी है कि लालू ने इस अवसर पर बताया कि कांशीराम और लोहिया को भी भारत रत्न मिलना चाहिए. इससे साफ होता है कि उन्होंने भी इस घड़ी को चुनौतीपूर्ण बनाने का प्रयास किया है.

बिहार के प्रमुख राजनीतिक दलों ने कर्पूरी ठाकुर की जयंती के मौके पर अलग-अलग भव्यता के साथ कार्यक्रम आयोजित किए हैं. इसका उद्देश्य अतिपिछड़ा वोटरों को संबोधित करना है. सभी दलों ने कर्पूरी ठाकुर के बहाने से अपने-अपने दावे को मजबूत बनाने की कोशिश की है और इस घड़ी में भारत रत्न की घोषणा स्थानीय राजनीतिक चरण को और बढ़ा देती है. सम्मिलित इस तरह के समाचार से साफ है कि बिहार में राजनीतिक दलों के बीच संघर्ष बढ़ा हुआ है और आगामी चुनावों की तैयारियों में इस घड़ी का महत्वपूर्ण स्थान हो सकता है.

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