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Jharkhand High court: परेशानी में सीएम सोरेन, झारखंड हाईकोर्ट ने सुना दिया ये अहम फैसला

Jharkhand High court: इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में यह मामला गया था. शीर्ष अदालत ने याचिका की स्वीकार्यता पर विचार करने के लिए मामला झारखंड हाईकोर्ट को सौंपा था. शुक्रवार को झारखंड हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुना दिया. मामले से संबंधित दोनों याचिकाओं पर 10 जून को सुनवाई होगी. हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ. रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की पीठ ने याचिका की स्वीकार्यता पर सुनवाई पूरी कर बुधवार को फैसला सुरक्षित रखा था. 

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Jharkhand High court: परेशानी में सीएम सोरेन, झारखंड हाईकोर्ट ने सुना दिया ये अहम फैसला
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Zee Bihar-Jharkhand Web Team|Updated: Jun 03, 2022, 07:59 PM IST

रांची: Jharkhand High court: माइनिंग लीज और शेल कंपनी मामले पर झारखंड हाई कोर्ट का बड़ा फैसला आया है. कोर्ट ने कहा कि याचिका की मेंटेनेबिलिटी वैध है. फैसले के बाद अब मामले को मेरीट पर होगी सुनवाई, इस मामले पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने कहा कि टिप्पणी करना उचित नहीं होगा, जो भी हाई कोर्ट का फैसला है वह उनका स्वागत करता है, जो जजमेंट आया है वह अभिनंदन के योग है. झारखंड हाईकोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि छद्म कंपनियों से जुड़ी ये याचिकाएं सुनने योग्य (Maintainable) हैं. इससे सीएम सोरेन की मुश्किलें बढ़ गई हैं. 

सुप्रीम कोर्ट में गया था मामला 
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में यह मामला गया था. शीर्ष अदालत ने याचिका की स्वीकार्यता पर विचार करने के लिए मामला झारखंड हाईकोर्ट को सौंपा था. शुक्रवार को झारखंड हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुना दिया. मामले से संबंधित दोनों याचिकाओं पर 10 जून को सुनवाई होगी. हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ. रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की पीठ ने याचिका की स्वीकार्यता पर सुनवाई पूरी कर बुधवार को फैसला सुरक्षित रखा था. अब शुक्रवार को हाईकोर्ट ने याचिकाएं विचारार्थ स्वीकार कर 10 जून से सुनवाई तय की. 

सोरेन सरकार ने ये दलीलें दी थीं
राज्य सरकार और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की ओर से याचिका को सुनवाई योग्य नहीं बताते हुए खारिज करने का आग्रह किया गया था. सरकार ने कहा था कि याचिकाकर्ता ने अपनी पहचान छिपाई है. याचिका दायर करने के पूर्व किस फोरम में प्रार्थी ने शिकायत की है इसका उल्लेख नहीं किया गया. वर्ष 2013 में इसी तरह की एक याचिका हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट खारिज कर चुका है. इस याचिका में भी उन्हीं तथ्यों को उठाया गया है, इसलिए इसे खारिज कर दिया जाना चाहिए. 

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