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मृत बच्चे को जीवित बताकर ठगी करनेवाले को अग्रिम जमानत देने से कोर्ट का इंकार

रांचीः मृत बच्चे को जीवित बताकर ठगी करने के आरोप को लेकर दायर याचिका पर रानी चिल्ड्रेन के निदेशक को अग्रिम जमानत देने से कोर्ट ने इंकार कर दिया है.

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(फाइल फोटो)
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Zee Bihar-Jharkhand Web Team|Updated: May 28, 2022, 11:20 PM IST

रांचीः मृत बच्चे को जीवित बताकर ठगी करने के आरोप को लेकर दायर याचिका पर रानी चिल्ड्रेन के निदेशक को अग्रिम जमानत देने से कोर्ट ने इंकार कर दिया है. यानी अब रानी चिल्ड्रेन अस्पताल के निदेशक डॉ राजेश कुमार पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है. 

बॉलीवुड की फिल्म गब्बर में आपने ऐसा देखा होगा कि भगवान कहे जाने वाले डॉक्टर किस तरीके से अपने पेशे को धंधा बनाकर पैसे उगाही करने का इसे व्यापार बना देते हैं. एक ऐसा ही मामला राजधानी रांची में आया है. रांची के नामी-गिरामी बच्चों का अस्पताल कहे जाने वाले रानी चिल्ड्रेन अस्पताल के निदेशक डॉ राजेश कुमार और प्रबंधन पर मरीज से 5 लाख का बिल भुगतान और धोखाधड़ी के आरोप में कोतवाली थाने में केस दर्ज हुआ था. इसी बीच डॉ राजेश कुमार द्वारा अग्रिम जमानत याचिका अदालत में लगाई गई जहां उनकी जमानत याचिका रद्द कर दी गई है. 

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मामले को लेकर पीड़ित परिवार के अधिवक्ता अविनाश पांडे ने बताया कि 23 मार्च 2022 को देवदत्त कुमार पांडे के 7 वर्षीय बच्चे को पैर में दर्द की शिकायत को लेकर रानी चिल्ड्रेन हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था. जिसके बाद डॉ राजेश कुमार द्वारा बताया गया कि बच्चे को न्यूरो संबंधी प्रॉब्लम है. हॉस्पिटल द्वारा 23 से 28 मार्च के बीच उसका इलाज किया गया. बच्चे की स्थिति इस बीच बिगड़ती गई बावजूद इसके राजेश कुमार और उनकी टीम द्वारा किसी भी न्यूरोसर्जन से बच्चे का इलाज नहीं कराया गया. 28 तारीख को बच्चे के पिता को बताया जाता है कि बच्चे की मौत हो चुकी है. जबकि उसके पिता के अनुसार 2 दिन पहले ही बच्चे की मौत हो चुकी थी.

इस दौरान वहां डॉक्टरों द्वारा आयुष्मान योजना के तहत 5 लाख रुपए जो इलाज के लिए मिलते हैं उसकी भी निकासी कर ली गई. इस संबंध में देवदत्त पांडे द्वारा जब अस्पताल प्रबंधन से जवाब मांगा गया तो रानी चिल्ड्रेन अस्पताल के निदेशक डॉ राजेश कुमार ने अस्पताल की घोर अनियमितता को स्वीकार करते हुए स्पष्ट रूप से लिख कर दिया कि उनके यहां कोई न्यूरोफिजिशियन उपलब्ध नहीं था. जिस वजह से बच्चे की मृत्यु हो गई है और सारी जिम्मेदारी स्वयं ली. 

इसके बाद बच्चे के पिता ने जो ठगी के शिकार हो चुके थे साथ ही अपने बच्चे को खो चुके थे वह कोतवाली थाने में डॉ राजेश कुमार और अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ लापरवाही और धोखाधड़ी का मामला दर्ज करवाया. इस बीच डॉ राजेश कुमार द्वारा अग्रिम जमानत याचिका न्यायालय में लगाई गई. आज सुनवाई के दौरान प्रशासन द्वारा केस डायरी कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किए गए. उस केस डायरी में पुलिस ने सारी घटनाओं को सत्य पाया. ऐसा न्यायालय द्वारा बताया गया है तथा सुनवाई के दौरान डॉ राजेश कुमार की अग्रिम जमानत की याचिका रद्द कर दी गई है. अब उन पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है. 

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