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लीची के सीजन में ही क्यों होता है चमकी बुखार,लोग हो जाएं अलर्ट, जानें लक्षण और बचाव

Chamki Bukhar: डॉ. रवि शर्मा के अनुसार बता दें कि मस्तिष्क में लाखों कोशिकाएं और तंत्रिकाएं होती हैं. इन्हीं कोशिकाओं और तंत्रिकाएं की वजह से शरीर के सभी अंग सुचारू रूप से काम करते हैं, लेकिन विशेष रूप से बता दें कि जब इन कोशिकाओं में सूजन आ जाती है.

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लीची के सीजन में ही क्यों होता है चमकी बुखार,लोग हो जाएं अलर्ट, जानें लक्षण और बचाव
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PUSHPENDER KUMAR|Updated: Apr 26, 2023, 05:43 PM IST

पटना: Chamki Bukhar: बिहार में जैसे-जैसे गर्मी का कहर बढ़ेगा ठीक उसी तरह मासूम बच्चे भी चमकी बुखार का शिकार होते रहेंगे. दरअसल, चमकी बुखार बहुत ही खतरनाक है खासकर छोटे बच्चों के लिए, अगर कोई इस संक्रमण से ग्रस्त है तो उसका शरीर अचानक सख्त हो जाएगा और मस्तिष्क व शरीर में ऐठंन शुरू हो जाएगी. आइए जानते है इससे बचाव के उपाय.

शरीर में खून के रास्ते प्रजनन करते है संक्रामण
डॉ. रवि शर्मा के अनुसार बता दें कि मस्तिष्क में लाखों कोशिकाएं और तंत्रिकाएं होती हैं. इन्हीं कोशिकाओं और तंत्रिकाएं की वजह से शरीर के सभी अंग सुचारू रूप से काम करते हैं, लेकिन विशेष रूप से बता दें कि जब इन कोशिकाओं में सूजन आ जाती है तो उस स्थिति को एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम कहा जाता है. इसी को आम भाषा में चमकी बुखार भी कहते है. यह एक ऐसा संक्रामक है जो सीधे तौर पर शरीर के अंदर खून के रास्ते पहुंचे और अपना प्रजनन शुरू करते है. इसके साथ ही खून के माध्यम से प्रजनन दिमांग तक पहुंचते है. इस बीमारी में बच्चो को तेज बुखार, दौरे आना और संदेह में रहते है.  

बता दें कि बिहार में यह बीमारी सबसे ज्यादा फैलती है. इसे आम बोलचाल में एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम यानी चमकी बुखार भी कहते है. इस बीमारी की खास बात यह है कि यह सिर्फ 1 से 15 साल तक के बच्चे इस बीमारी से संक्रमित होते है. इसका मुख्य कारण  इम्यूनिटी है. मात्र इम्यूनिटी की वजह से ही बच्चों का कमजोर होना इसकी एक वजह है. जब सबसे ज्यादा गर्मी और नमी के मौसम में यह बीमारी बहुत ही तेजी के साथ बढ़ती है.

संक्रमित बच्चों के शरीर में शुरू होती है ऐंठन
डॉ. रवि शर्मा कहते है कि चमकी बुखार छोटे बच्चों में बहुत ही तेजी से फैलता है. इस बीमारी से संक्रमित बच्चों का शरीर एक दम ऐंठन शुरू कर देता है. साथ ही इसके अलावा जब बच्चे को कमजोरी होती है तो बच्चा बेहोश होना शुरू कर देता है. कई बच्चे बहुत ही कमजोर होते है उनका शरीर इसके प्रभाव को कंट्रोल नहीं कर पाता है ऐसे बच्चो का शरीर सुन्न हो जाता है. अगर किसी में इस प्रकार के लक्षण दिखाई दें तो वो सीधे बिना देरी करते हुए डॉक्टर से संपर्क करें.

बचाव के लिए ऐसे बरते सावधानी
बता दें कि यह एक ऐसी बीमारी है कि जो सिर्फ गर्मी के मौसम में फैलती है. अगर इस बीमारी से अपने बच्चों का बचाव करना है तो विशेष ध्यान देना चाहिए. इसके अलावा बता दें कि बच्चों को ऐसी चीजों का सेवन न करने दें, जो उनके शरीर के लिए नुकसान दायक हो. इसके अलावा बता दें कि बच्चों को गंदगी से दूर रखें, साथ ही खाना खाने से पहले और बाद में हाथों को बहुत ही अच्छे से साफ करें. साथ सबसे जरूरी बात बता दें कि उन्हें बाहर धूप में बिलकुल भी खेलने ना दें. साथ ही बता दें कि जापानी इंसेफलाइटिस के लिए सरकार ने टीकाकरण की शुरुआत कर दी है, ज्यादा से ज्यादा लोग अपने बच्चों को टीकाकरण जरूर करवाएं.

(डॉ रवि शर्मा कड़कड़डूमा कोर्ट परिसर में दिल्ली सरकार की डिस्पेंसरी में वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी व प्रभारी है)

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