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Bihar News: बिहार में 30 हजार नव नियुक्त शिक्षकों का योगदान से ना नुकूर, वजह चौंका देगी!

Bihar News: बिहार में बीपीएससी (BPSC) द्वारा आयोजित 1 लाख 70 हजार से ज्यादा शिक्षक पदों के लिए भर्ती परीक्षा में अतंमि रूप से 1 लाख 10 हजार से ज्यादा छात्रों का चयन हो गया.

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फाइल फोटो
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Gangesh Thakur|Updated: Nov 26, 2023, 08:17 PM IST

पटना: Bihar News: बिहार में बीपीएससी (BPSC) द्वारा आयोजित 1 लाख 70 हजार से ज्यादा शिक्षक पदों के लिए भर्ती परीक्षा में अतंमि रूप से 1 लाख 10 हजार से ज्यादा छात्रों का चयन हो गया. इन सबको बिहार शिक्षा विभाग की तरफ से नियुक्ति पत्र भी सौंप दिया गया और बड़ी संख्या में इसमें से उत्तीर्ण अभ्यर्थियों ने आवंटित स्कूलों में अपना योगदान भी कर लिया है. लेकिन, अभी तक लगभग 30 हजार के करीब शिक्षकों ने योगदान नहीं किया है यह जानकारी शिक्षा विभाग की टेंशन बढ़ानेवाली है. 

बिहार शिक्षा विभाग अभी भी इस चीज को जानने की कोशिश में लगी है कि आखिर स्कूलों में शिक्षकों के योगदान की स्थिति क्या है और कितने शिक्षकों ने अभी तक योगदान नहीं किया है और इसके पीछे की वजह क्या है. जिलों से शिक्षा विभाग को जो आंकड़े प्राप्त हुए हैं उसके अनुसार अभी तक 80 हजार नव नियुक्त शिक्षकों ने ही योगदान किया है. 

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जबकि बिहार शिक्षा विभाग के आदेश के अनुसार सभी नवनियुक्त शिक्षकों को 21 नवंबर तक किसी भी हाल में योगदान करे और 22 नवंबर से कक्षा लेना प्रारंत्र करने का आदेश दिया गया था. हालांकि त्यौहारों के मद्देनजर इसे शिक्षा विभाग ने बढ़ाकर 25 नवंबर कर दिया था. लेकिन, 25 नवंबर तक नव नियुक्त शिक्षकों के योगदान के जो आंकड़े शिक्षा विभाग को मिले उसने विभाग की टेंशन बढ़ा दी है. 

विभाग या बिहार के जिलों के डीईओ को भी यह पता नहीं है कि अभी तक 30 हजार के करीब नव नियुक्त शिक्षकों ने योगदान क्यों नहीं किया है. इसके पीछे की वजह क्या है. वह योगदान करने से पीछे क्यों हट रहे हैं. ऐसे में विभाग इन तीस हजार शिक्षकों के योगदान का इंतजार लगातार कर रहा है. 

इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि कई शिक्षकों को सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में पोस्टिंग मिल गई है. बड़ी संख्या में ऐसे शिक्षक हैं जिनको गांव या अपने घर से 30 से 40 किलोमीटर की दूरी पर योगदान के लिए स्कूल आवंटित किया गया है. ये पहले किसी ना किसी तरह से सेटिंग गेटिंग  करके शहर या उसके आसपास के स्कूलों में पदस्थापित थे. ऐसे में वह योगदान करने से हिचक रहे हैं.  

वहीं कई ऐसे शिक्षक हैं जिनको लाभ में मामूली इजाफा हुआ है और उनकी पोस्टिंग दूसरे जिले में हो गई है. जबकि वह अपने गृह जिले में ही नौकरी करने के बारे में सोचते रहे हैं. ऐसे में दूसरे जिले में योगदान करने की बात को लेकर वह योगदान करने से हिचकिचा रहे हैं. ऐसे में विभाग के पास जब इन शिक्षकों के तरफ से योगदान नहीं करने के कारण वाली रिपोर्ट पहुंचेगी तभी स्पष्ट हो पाएगा कि उन्होंने शिक्षक भर्ती परीक्षा में उत्तीर्ण होने और स्कूल आवंटन के बाद भी योगदान क्यों नहीं किया?   

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