कैमूरः Kaimur Tourist Spot: अक्सर लोग प्राकृतिक वादियों का आनंद लेने के लिए शिमला, कश्मीर या फिर मनाली जाते रहते हैं, लेकिन कैमूर जिले के अधौरा पहाड़ी पर स्थित तेलहर कुंड वाटरफॉल लोगों को काफी आकर्षित कर रहा है. पहाड़ के ऊपर से नीचे गिरता हुआ पानी और पहाड़ी वादियां सबका मन मोह ले रही है. कोई पिकनिक स्पॉट के रूप में तेलहर कुंड का उपयोग कर रहा है तो कई लोग तेलहर कुंड पर नहाते हुए सेल्फी लेते मौज मस्ती करते दिख रहे है.
वन विभाग भी लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए पहाड़ के किनारे-किनारे बैरिकेडिंग करा रहे है. वन विभाग कुंड को देखने के लिए जाने वाले मार्ग की सड़कों को दुरुस्त करा रहे है. तो बाहर से आ रहे पर्यटकों के लिए बैठने का इंतजाम किया जा रहा है. जिससे कि लोगों को कोई परेशानी ना हो. कुंड का विशेषकर बारिश के मौसम में देखने लायक मनमोहक दृश्य होता है. उस वक्त चारों तरफ धुआं सा नजर आता है जो काफी ही मनमोहक रहता है. अक्सर यहां पर पर्यटकों की भीड़ देखी जाती है.
वहां आए सैलानी अमित कुमार बताते हैं कि प्राकृतिक नेचर को देखने के लिए हम लोग पटना से अपने दोस्तों के साथ आए हुए हैं. लोग तो कहते हैं कि बिहार में कुछ नहीं है, लेकिन बिहार में काफी प्राकृतिक छटा है जो लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करती है. कैमूर जिले में रहने वाले मेरे दोस्त द्वारा इसकी काफी चर्चा की गई थी जिसके बाद यह देखने के लिए आया हूं. उन्होंने आगे कहा कि जो लोग बिहार छोड़कर बाहर घूमने के लिए जाते हैं. वो एक बार बिहार के नेचर को देखें जो कश्मीर से कम नहीं है.
झारखंड से आए रघुवीर प्रजापति बताते हैं कि कैमूर जिले के तेलहर कुंड के बारे में मित्रों से काफी सुना था. जिसके बाद आज मैं देखने के लिए आया हूं. यहां आया तो देखा कि पर्यटन विभाग द्वारा इसे विकसित किया जा रहा है जो जबलपुर के पास नर्मदा नदी में धुआंधार जलप्रपात है ठीक उसी तरह का नजारा यहां भी देखने को मिल रहा है. प्रशासन जो यहां पर बैरिकेडिंग पहाड़ी पर करा रहे वह सराहनीय है.
कैमूर डीएफओ चंचल प्रकाश बताते हैं कि भभुआ अधौरा पथ पर तिलहर कुंड सीजनल जलप्रपात है. यहां बारिश के समय में पानी गिरता है और उसे देखने के लिए काफी संख्या में लोग आते हैं. कुंड के आसपास हम लोगों ने बैरिकेडिंग कराई हुई है क्योंकि कुंड बहुत गहरा है. जब बैरिकेडिंग नहीं थी तो लोगों के गिरने की संभावना बनी रहती थी. इसकी खूबसूरती बढ़ी है और सुरक्षित हो गया है. यहां पर्यटकों के बैठने के लिए बेंच और डेस्क की व्यवस्था करा दी गई है. यहां पर पश्चिम बंगाल, बिहार, यूपी, झारखंड सहित कई राज्यों से लोग आते हैं. क्योंकि इसकी गिनती गहरे कुंडों में होती है.
इनपुट- मुकुल जायसवाल
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