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Sawan Special: बाबा बैद्यनाथ को सुल्तानगंज का गंगाजल क्यों चढ़ाया जाता है? जानें पौराणिक महत्व

Sawan 2023 Special: भारत में गंगा नदी को पवित्र माना जाता है. गंगा नदी की पूजा भी की जाती है. गंगा नदी की धारा चारों दिशाओं में प्रवाहित होती है, लेकिन उत्तरवाहिनी गंगा का विशेष महत्व माना जाता है. बाबा भोलेनाथ को भी उत्तरवाहिनी गंगा का जल अति प्रिय है.

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Zee Bihar-Jharkhand Web Team|Updated: Jul 07, 2023, 03:08 PM IST

सुल्तानगंजः Sawan 2023 Special: भारत में गंगा नदी को पवित्र माना जाता है. गंगा नदी की पूजा भी की जाती है. गंगा नदी की धारा चारों दिशाओं में प्रवाहित होती है, लेकिन उत्तरवाहिनी गंगा का विशेष महत्व माना जाता है. बाबा भोलेनाथ को भी उत्तरवाहिनी गंगा का जल अति प्रिय है. भारत में दो जगह ऐसे हैं जहां उत्तरवाहिनी गंगा प्रवाहित होती है. उत्तर प्रदेश के काशी विश्वनाथ में और बिहार के सुलतानगंज अजगैबीनाथ धाम में.

भागलपुर के सुल्तानगंज स्थित अजगैबीनाथ धाम में उत्तरवाहिनी गंगा प्रवाहित होती है और इसका विशेष और पौराणिक महत्व है. पवित्र सावन का महीना चल रहा है. देश विदेश से लाखों श्रद्धालु सुल्तानगंज पहुंच रहे हैं. यहाँ से उत्तरवाहिनी गंगा का जल लेकर देवघर जाते हैं और वहां बाबा बैद्यनाथ पर जलार्पण करते हैं. महाशिवरात्रि में शिव विवाह से पूर्व बाबा बैद्यनाथ का अंतिम जलाभिषेक उत्तरवाहिनी गंगा के जल से होता है. लेकिन कई लोग हैं जो ये जानना चाहते है कि आखिर सुल्तानगंज में उत्तर दिशा की ओर गंगा की प्रवाह कैसे है. 

इतिहास और पौराणिक कथाओं के अनुसार अजगैबीनाथ मठ के महंत प्रेमानन्द गिरी महाराज ने बताया कि जाह्नवी नामक ऋषि यहां रहते थे और पहाड़ पर तपस्या करते थे. पहले यहां गंगा नदी थी. उस नदी में स्नान करने के दौरान जाह्नवी ऋषि का कमण्डल बह गया था. जिसके बाद वो क्रोधित हो गए थे और गंगा का पान कर लिया. जिसके बाद गंगा सूख गयी थी. देवी देवताओं ऋषि मुनियों ने जाह्नवी ऋषि से प्रार्थना की उनकी तपस्या की इसके बाद जाह्नवी ऋषि ने जंघा चिड़कर उत्तर दिशा को गंगा को प्रवाहित कर दिया. उसी समय से उत्तर दिशा में गंगा प्रवाहित होने लगी.

भगवान श्री राम ने पहले उत्तरवाहिनी में गंगा स्नान कर जल भरा था और बैद्यनाथ को जल चढ़ाया था. तभी से भगवान भोलेनाथ को उत्तरवाहिनी गंगा का जल अति प्रिय है. इसके बाद से सावन महीने में भारत के सभी राज्यों समेत नेपाल व भूटान से श्रद्धालु सुलतानगंज पहुंचते हैं और यहां से कांवड़ में जल लेकर बैधनाथ धाम रवाना होते है. कई सारी कहानियां और मान्यताएं उत्तरवाहिनी गंगा से जुड़ी है. यहां गंगा तट पर अजगैबीनाथ धाम अवस्थित है. इससे उत्तरवाहिनी गंगा की महत्ता और भी बढ़ जाती है.

सावन का महीना चल रहा है. कई राज्यों से श्रद्धालु सुल्तानगंज पहुंच रहे हैं. सिलीगुड़ी से पहुंचे कांवड़ियों ने बताया कि उत्तरवाहिनी गंगा में स्नान कर सुखद अनुभूति होती है. ऐसा लगता है मानो सारे पाप धुल गए हों. वर्षों से वह कांवड़ यात्रा कर रहे हैं. सुल्तानगंज उत्तरवाहिनी गंगा पहुंचते हैं. यहां से जल लेकर बैद्यनाथ धाम जाते हैं और पूजा के बाद इस गंगा का जल लेकर घर भी जाते हैं.

ऐसे तो हर दिशा में प्रवाहित हो रही गंगा में स्नान करने मात्र से मन और तन की शुद्धि होती है लेकिन उत्तरवाहिनी गंगा में स्नान कर श्रद्धालु खुद को सौभाग्यशाली भी समझते हैं.
इनपुट-अश्वनी कुमार

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