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बिहार का एक मंदिर जहां विराजती हैं 'माता सती', डकैतों से जुड़ा है मंदिर का चमत्कारी रहस्य

बिहार के समस्तीपुर जिले के अंतर्गत ध्रुवगामा गांव में 800 सालों से माता सती की पूजा नवरात्रि में धूमधाम से की जाती है. यहां माता की किसी प्रतिमा की नहीं बल्कि उनके समाधी की पूजा-अर्चना की जाती है.

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(फाइल फोटो)
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Zee Bihar-Jharkhand Web Team|Updated: Oct 03, 2022, 07:21 AM IST

समस्तीपुर :  नवरात्रि के त्योहार का आज आठवां दिन है. आज महागौरी की पूजा पूरे देश में धूमधाम से की जा रही है. ऐसे में हम बिहार के एक ऐसे मंदिर के बारे में आपको बताएंगे जहां मां सती विराजती हैं और साथ ही यहां के इतिहास को जानकर आप भी चौंक जाएंगे. बिहार के समस्तीपुर जिले के अंतर्गत ध्रुवगामा गांव में 800 सालों से माता सती की पूजा नवरात्रि में धूमधाम से की जाती है. यहां माता की किसी प्रतिमा की नहीं बल्कि उनके समाधी की पूजा-अर्चना की जाती है. इस मंदिर की प्रसिद्धि बिहार में ही नहीं देश-विदेश में फैली हुई है. यह मंदिर समस्तीपुर जिला मुख्यालय से महज 20 किलोमीटर की दूरी पर ध्रुवगामा गांव में स्थित है.

माता सती के इस मंदिर के बारे में यह है कथा
कहते हैं कि आज से 800 साल पहले सन 1430 में अगहन मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को इसी ध्रुवगामा गांव के रहनेवाले गति राम सिंह की मृत्यु हो गई. उसकी मृत्यु के पश्चात भी उसकी पत्नी चंद्रवती देवी श्रृंगार कर घूमती रहीं और वहां उपस्थित लोगों को आशीर्वाद देती रहीं. इसके बाद वह पति की चिता की आग में जलकर सती हो गईं. उनका एक बेटा था बौद्ध राम जो गूंगा था. ऐसे में माता सती के सतित्व प्राप्त करने के बाद गांव में तमाम तरह की परेशानियां शुरू हो गई. इसके बाद माता सती ने अपने पुत्र बौद्ध राम सिंह को वाक शक्ति प्रदान की और उसकी बोलने की शक्ति वापस आ गई. कहते हैं इसके बाद से ही गांव की सभी परेशानियां माता ने हर ली, वहां इसके बाद से कोई  आपदा या विपत्ति नहीं आई. तब से माता के चिता रूप को ही यहां पूजा जाने लगा. 

इस मंदिर परिसर में किया जाता है दाह संस्कार
माता सती ने अपने सती होते समय सह कहा था कि उनके वंश के जितने भी लोग मृत्यु को प्राप्त होंगे उनका दाह संस्कार यहीं होगा, इसके बाद से यह परंपरा चल निकली. इसके बाद से उनके वंश के किसी भी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उनका दाह संस्कार यहीं मंदिर परिसर में किया जाता है. यहां परिसर में हनुमान, माता दुर्गा, काली, पार्वती के साथ-साथ शिव का मंदिर भी है. यहां माता की पूजा करने देश विदेश से लोग आते हैं. 

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डकैतों से जुड़ा है मंदिर का चमत्कारी रहस्य
इस गांव के बारे में कहा जाता है कि यहां एक समय डकैतों का आतंक था. एक बार डकैत डकैती कर गांव से निकले और माता सती के मंदिर के सामने से गुजरे तो सभी डकैत अंधे हो गए. इस बात की जानकारी सुबह गांव के लोगों को मिली तब से इस गांव में कभी डकैती नहीं हुई. इसके साथ ही गांव के लोगों को यह वरदान माता सती से प्राप्त है कि गांव में जितनी लड़कियां ब्याह कर आएंगी उनके परिवार में हमेशा खुशियां व्याप्त होंगी. इस कारण इस मंदिर में जो भी श्रद्धालु अपनी मुराद लेकर आते हैं, माता सती उनकी सभी मनोकामना पूर्ण करती हैं.

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