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राम मंदिर के लिए झमेली बाबा ने ली थी 'ये भीष्म प्रतिज्ञा', 31 साल बाद अन्न करेंगे ग्रहण

  अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही हैं, जिसको लेकर पूरे देश में उत्साह का माहौल है. वहीं, दरभंगा जिला के खैरा गांव में एक ऐसे राम भक्त हैं, जिन्होंने संकल्प लिया था कि जबतक राम मंदिर बनकर तैयार नहीं होगा, तबतक वे अन्न ग्रहण करेंगे.

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(फाइल फोटो)
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Zee Bihar-Jharkhand Web Team|Updated: Jan 19, 2024, 01:23 PM IST

दरभंगा:  अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही हैं, जिसको लेकर पूरे देश में उत्साह का माहौल है. वहीं, दरभंगा जिला के खैरा गांव में एक ऐसे राम भक्त हैं, जिन्होंने संकल्प लिया था कि जबतक राम मंदिर बनकर तैयार नहीं होगा, तबतक वे अन्न ग्रहण करेंगे. ये राम सेवक 31 वर्ष से फल खा कर अपना जीवन यापन कर रहे है. वहीं, 22 जनवरी को जब रामलला अपने घर में प्रवेश करेंगे तो खुद के हाथ से सेंधा नमक से खाना बनाएंगे और खाना खाकर 31 वर्ष के बाद संकल्प तोड़ेंगे. बाबरी मस्जिद ध्वस्त करने के दौरान झमेली बाबा ने वहां के स्टूडियो में अपनी तस्वीर भी खिंचाई थी. जिसे आज भी झमेली बाबा संभाल कर रखे हुए हैं.

दरअसल, दरभंगा जिला के बहादुरपुर प्रखंड के खैरा गांव के रहने वाले वीरेंद्र कुमार बैठा उर्फ झमेली बाबा बचपन से ही स्वयं सेवक के सक्रिय सदस्य रहे हैं. जिस वक्त विश्व हिंदू परिषद के आह्वान पर 1992 अयोध्या चलकर बाबरी मस्जिद को ध्वस्त करने का निर्णय पर जिला से लगभग ढाई सौ कार सेवक के साथ अयोध्या के लिए निकले थे. अयोध्या पहुंचने पर विश्व हिंदू परिषद के बिहार प्रांत के अध्यक्ष महादेव प्रसाद जायसवाल, झमेली बाबा व अन्य लोग लोहे का पाइप के सहारे मस्जिद पर चढ़ने में सफल रहे और बाबरी मस्जिद को ध्वस्त करने में सफल रहे.

जैसे ही बाबरी मस्जिद धराशायी हुआ, सभी राम भक्त निशानी के रूप में ईंट आदि लेकर वहां से रवाना हो गए. इस बीच सरयू नदी में स्नान पश्चात अयोध्या में भव्य रामलला मंदिर निर्माण हो, इस मनोकामना के साथ झमेली बाबा ने संकल्प लिया कि जबतक राम मंदिर बनकर तैयार नहीं होगा, तबतक अन्न का एक दाना ग्रहण नही करेंगे. सिर्फ फलहार कर रहेंगे. संकल्प के बाद झमेली बाबा दरभंगा लौटे और अपने गांव में पान दुकान चला कर जीवन यापन करने लगे. इस दौरान उन्होंने शादी तक नहीं की. अपने जीवन को समाज के लिए समर्पित कर दिया.

झमेली बाबा ने बताया कि अयोध्या से आठ दिसंबर को अपने कुछ साथियों के साथ दरभंगा पहुंचें. हालांकि, यहां भी पुलिस उन लोगों को खोज रही थी. लहेरियासराय स्टेशन से रेलवे ट्रैक होते हुए बलभद्रपुर आरएसएस कार्यालय पहुंचे. इसके बाद उन लोगों की जान बची. जिसके बाद वे बाबा के रूप में रहने लगे और लहेरियासराय थाना क्षेत्र के जीएन गंज रोड में पान की दुकान चलाने लगे और दिव्यांग भाई को गांव की सारी संपत्ति सौंप दी. अयोध्या में मंदिर बने उसको लेकर सभी पूर्णिमा और सावन माह के हर सोमवार को देवघर डाक बम बन कर जाते रहे. आज उनका सपना पूरा हुआ और वो फिर 23 तारीख को सुल्तानगंज से जल लेकर देवघर बाबा को जल अर्पण करेंगे. फिर अयोध्या जाकर रामलला की पूजा भी करेंगे.

 

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