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Jagannath Rath Yatra 2022: इस गांव के जंगल में मिलते हैं वह पेड़, जिनकी लकड़ी से बनता है रथ

Rath Yatra 2022: हर साल रथ यात्रा निकाले जाने का कार्य खुद भगवान की इच्छा से ही कई सदियों से जारी है. उन्होंने देवी गुंडीचा को मौसी कहा था. इसके साथ ही उनसे मिलने आने का वरदान दिया था. भगवान ने कहा था कि वह साल में एक बार जरूर मिलने आएंगे और भक्तों के साथ आएंगे. 

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Jagannath Rath Yatra 2022: इस गांव के जंगल में मिलते हैं वह पेड़, जिनकी लकड़ी से बनता है रथ
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Zee Bihar-Jharkhand Web Team|Updated: Jul 01, 2022, 05:48 AM IST

पटनाः Jagannath Rath Yatra 2022: ओडिशा के पुरी में जगन्नाथ रथ यात्रा निकाले जाने की सारी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. इस बार 01 जुलाई, शुक्रवार से रथयात्रा की शुरुआत हो रही है. रथयात्रा में भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा को रथ पर बिठाकर देवी गुंडीचा के मंदिर तक जाते हैं. रथ यात्रा का समापन 12 जुलाई को होगा. भगवान का रथ खींचकर पुण्य कमाने की लालसा में लाखों भक्त पुरीधाम पहुंच चुके हैं. प्रदेश सरकार ने पूरी यात्रा शांतिपूर्ण कराने के लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं.

देवी गुंडीचा को दिया था वरदान
हर साल रथ यात्रा निकाले जाने का कार्य खुद भगवान की इच्छा से ही कई सदियों से जारी है. उन्होंने देवी गुंडीचा को मौसी कहा था. इसके साथ ही उनसे मिलने आने का वरदान दिया था. भगवान ने कहा था कि वह साल में एक बार जरूर मिलने आएंगे और भक्तों के साथ आएंगे. रथयात्रा आषाढ़ शुक्ल द्वितीया में होती है, लेकिन पुरी में इसका उत्सव बसंत पंचमी से ही शुरू हो जाता है. इस दिन रथखला जिसे रथ निर्माण शाला कहते हैं, उसकी पूजा होती है और एक दल पेड़ों को चुनने के लिए निकल जाता है. यह दल महाराणा कहलाता है. 

पेड़ों के चयन में बरती जाती है सावधानी
पेड़ों का चुना जाना और उन्हें काटकर लाने की भी प्रक्रिया में बहुत संजीदगी बरती जाती है. पुरी के पास स्थित जिले दसपल्ला के जंगलों से पेड़ चुने जाते हैं. इसके लिए नारियल और नीम के पेड़ ही काटकर लाए जाते हैं. नारियल के तने लंबे होते हैं. इनकी लकड़ी हल्की होती है. लेकिन इससे पहले यहां एक वनदेवी की पूजा होती है. उस जंगल के गांव की देवी की अनुमति के बाद ही लकड़ियां लाई जाती हैं. पहला पेड़ काटने के बाद पूजा होती है. फिर गांव के मंदिर में पूजा के बाद ही लकड़ियां पुरी लाई जाती हैं.

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