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Nirjala Ekadashi Vrat Katha 2022: जानिए क्या है निर्जला एकादशी की कथा, ऐसे रखिए व्रत

Nirjala Ekadashi Vrat Katha 2022: सनातन परंपरा में मान्यता है कि निर्जला एकादशी के दिन बिना जल के उपवास रहने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. इस एकादशी का विशेष धार्मिक महत्व बताया गया है. इस बार निर्जला एकादशी या भीमसेनी एकादशी कब है और इसकी कथा क्या है, जानिए यहां. 

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Nirjala Ekadashi Vrat Katha 2022: जानिए क्या है निर्जला एकादशी की कथा, ऐसे रखिए व्रत
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Zee Bihar-Jharkhand Web Team|Updated: Jun 09, 2022, 01:16 PM IST

पटनाः Nirjala Ekadashi Vrat Katha 2022: निर्जला एकादशी का व्रत सभी एकादशियों में सबसे कठिन माना जाता है. इस व्रत में जल पीने का निषेध होता है, इसीलिए इस व्रत के करने का फल सभी एकादशियों के बराबर होता है. निर्जला एकादशी का व्रत 10 जून 2022 यानी कल रखा जाएगा. घरों में इसे लेकर तैयारियां चल रही हैं. इस एकादशी का संबंध भीमसेन से भी है. इसी कारण इसे भीमसेनी एकादशी भी कहते है. 
निर्जला एकादशी का शुभ मुहूर्त (Nirjala Ekadashi 2022 Date)

निर्जला एकादशी 2022 तिथि और व्रत आरंभ- 10 जून सुबह 07:25 मिनट से शुरू.
निर्जला एकादशी तिथि समापन- 11 जून, शाम 05:45 मिनट समापन होगा.

सनातन परंपरा में मान्यता
सनातन परंपरा में मान्यता है कि निर्जला एकादशी के दिन बिना जल के उपवास रहने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. इस एकादशी का विशेष धार्मिक महत्व बताया गया है. इस बार निर्जला एकादशी या भीमसेनी एकादशी कब है और इसकी कथा क्या है, जानिए यहां. 

निर्जला एकादशी पर पढ़िए यह कथा
निर्जला एकादशी की कथा महाभारत से जुड़ी हुई है. महाभारत के समय एक बार पाण्डु पुत्र भीम ने महर्षि वेद व्यास जी से पूछा- ‘’हे मुनिवर! मेरे परिवार के सभी लोग एकादशी व्रत करते हैं व मुझे भी व्रत करने के लिए कहते हैं. लेकिन मैं भूख नहीं रह सकता हूं अत: आप मुझे कृपा करके बताएं कि बिना उपवास किए एकादशी का फल कैसे प्राप्त किया जा सकता है.’’

भीम के अनुरोध पर वेद व्यास जी ने कहा- ‘’पुत्र तुम निर्जला एकादशी का व्रत करो, इसे निर्जला एकादशी कहते हैं. इस दिन अन्न और जल दोनों का त्याग करना पड़ता है. जो भी मनुष्य एकादशी तिथि के सूर्योदय से द्वादशी तिथि के सूर्योदय तक बिना पानी पीये रहता है और सच्ची श्रद्धा से निर्जला व्रत का पालन करता है, उसे साल में जितनी एकादशी आती हैं उन सब एकादशी का फल इस एक एकादशी का व्रत करने से मिल जाता है.’’ महर्षि वेद व्यास के वचन सुनकर भीमसेन निर्जला एकादशी व्रत का पालन करने लगे और पाप मुक्त हो गए. इसके बाद से निर्जला एकादशी मनाई जाती है.

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