trendingNow/india/bihar-jharkhand/bihar01238172
Home >>Bihar

Ashadha Gupt Navratri 2022: कौन हैं गुप्त नवरात्रि की दस महाविद्या, जानिए उनका सबसे बड़ा रहस्य

Ashadha Gupt Navratri 2022: गुप्त नवरात्रि में माता दुर्गा की शक्ति पूजा एवं अराधना अधिक कठिन होती है और माता की पूजा गुप्त रूप से की जाती है, यही कारण है कि इसे गुप्त नवरात्रि कहते हैं. 

Advertisement
Ashadha Gupt Navratri 2022: कौन हैं गुप्त नवरात्रि की दस महाविद्या, जानिए उनका सबसे बड़ा रहस्य
Stop
Zee Bihar-Jharkhand Web Team|Updated: Jun 30, 2022, 12:04 PM IST

पटना: Ashadha Gupt Navratri 2022: गुप्त नवरात्रि में माता दुर्गा की शक्ति पूजा एवं अराधना अधिक कठिन होती है और माता की पूजा गुप्त रूप से की जाती है, यही कारण है कि इसे गुप्त नवरात्रि कहते हैं. 
रतीय परंपरा में शैव और वैष्णव परंपरा के साथ-साथ ही शाक्त परंपरा को भी मानने वाले हैं. शाक्त यानी के वे लोग जो केवल शक्ति के उपासक हैं और इस स्वरूप में मां दुर्गा का सूक्ष्म भैरवी स्वरूप उनकी अधिष्ठाता देवी हैं. शैव मत के लोग मानते हैं कि शिव ही सृष्टि का आदि और अंत हैं.

गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा की ऐसे करें पूजा
गुप्त नवरात्रि के दौरान आधी रात को मां दुर्गा की पूजा की जाती हैं. मां दुर्गा की प्रतिमा या मूर्ति स्थापित कर लाल रंग का सिंदूर और चुनरी अर्पित करें. फिर इसके बाद मां दुर्गा के चरणों में पूजा सामग्री को अर्पित करें. मां दुर्गा को लाल पुष्प चढ़ाना शुभ माना जाता है. सरसों के तेल से दीपक जलाकर  'ॐ दुं दुर्गायै नमः' मंत्र का जाप करना चाहिए.

गुप्त नवरात्रि में 10 महाविद्याओं की होती है पूजा
गुप्त नवरात्रि में 10 महाविद्याओं मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां ध्रुमावती, मां बंगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की पूजा-अर्चना की जाती है. गुप्त नवरात्रि में नौ दिनों तक दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाता है. अष्टमी या नवमी के दिन कन्या पूजन कर व्रत पूर्ण होता है. गुप्त नवरात्रि में माता दुर्गा की शक्ति पूजा एवं अराधना अधिक कठिन होती है और माता की पूजा गुप्त रूप से की जाती है, यही कारण है कि इसे गुप्त नवरात्रि कहते हैं. गुप्त नवरात्रि में 10 महाविद्याओं के पूजन के दौरान अखंड ज्योति प्रज्ज्वलित की जाती है. प्रात:काल और संध्या के समय देवी की पूजा अर्चना की जाती है. जो साधक तंत्र साधना करते हैं वो गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्याओं की साधना करते हैं

सबसे पहले धरा मां काली का रूप
सबसे पहले माता सती ने मां काली का रूप धारण किया उनका वह रूप भयभीत करने वाला था. उनका रंग काला और केस खुले और उलझे हुए थे. उनकी आंखों में गहराई थी और भौहें तलवार की तरह प्रतीत हो रही थी. कपालों की माला धारण किए हुए उनकी गर्जना से दसों दिशाएं भयंकर ध्वनि से भर गई. मां काली का उल्लेख और उनके कार्यों की रूपरेखा चंडी पाठ में दी गई है. काली मंत्र - ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं परमेश्वरि कालिके स्वाहा तारा श्री तारा महाविद्या इस सृष्टि के केंद्रीय सर्वोच्च नियामक और क्रिया रूप दसमहाविद्या में से द्वितीय विद्या के रूप में सुसज्जित हैं. इसके बाद माता ने तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां ध्रुमावती, मां बंगलामुखी, मातंगी और कमला देवी के अवतार लिए.

यह भी पढ़े- Ashadha Gupt Navratri 2022: आषाढ़ गुप्त नवरात्रि आज से, जानिए नौ दिनों में माता को क्या लगाएं भोग

Read More
{}{}