जमुई : भारत में जिस तरह आजादी के पहले देशवासियों को परेशान करने के लिए तरह-तरह की यातनाएं अंग्रेजों के द्वारा जिस तरह किया जाता था. शायद इसके लोग अब भूल चुके होंगे, लेकिन हम जिस अंग्रेज जमाने की यातनाओं की बात करने जा रहे हैं. दरअसल, पोझा पंचायत के दुम्मा गांव में रहने वाले 300 की आबादी वाले आदिवासी समाज के लोगों को दिया जा रहा है. ग्रामीणों के लिए मात्र एक चापाकल था उसको भी दबंगों के द्वारा दबंगई दिखाते हुए चापाकल को ही उखाड़ कर ले गया और नल जल से मिलने वाले पानी के पाइप को भी दबंग के द्वारा 2 साल पहले ही काट लिया गया.
आदिवासी समाज के ग्रामीणों ने बताया कि दुम्मा रविदास टोला के अमित दास कारू दास गोल्टेन दास के द्वारा 2 साल पहले नल जल के पाइप को भी काट दिया गया और एक चापाकल भी था. उसको भी उखाड़ कर ले गया और हम लोग को पीने की पानी के लिए तरसता और तड़पता हुआ छोड़ दिया. वहीं पूरे मामले को लेकर चकाई प्रखंड विकास पदाधिकारी दुर्गा प्रसाद का कहना है कि ग्रामीणों के द्वारा आवेदन दिया गया था उसको हम लोगों ने पीएचईडी विभाग को ट्रांसफर किया था लेकिन विभाग के द्वारा आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है.
मुरली गांव में जल संकट से निजात दिलाने के लिए 3 दिन का वक्त लिया था जो की आज 13 दिनों के बाद भी उसका कार्य पूरा नहीं किया जा सकता है. तो ऐसे में पीएचडी विभाग के पदाधिकारी के ऊपर दुम्मा गांव के लोगों की समस्या का समाधान करना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन भी साबित हो सकता है.
इनपुट- अभिषेक निराला
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