trendingNow/india/bihar-jharkhand/bihar01645159
Home >>भागलपुर

माथे पर आलू की बोरी लिए स्कूल पहुंची छात्राएं, प्रिंसिपल बोली- मैंने नहीं कहा

एक तरफ बिहार सरकार प्रदेश में शिक्षा की स्थिति में सुधार का दावा कर रही है वहीं दूसरी तरफ बिहार की शिक्षा की बदहाल स्थिति की तस्वीरें भी सामने आती रही है.

Advertisement
(फाइल फोटो)
Stop
Zee Bihar-Jharkhand Web Team|Updated: Apr 09, 2023, 01:44 PM IST

भागलपुर: एक तरफ बिहार सरकार प्रदेश में शिक्षा की स्थिति में सुधार का दावा कर रही है वहीं दूसरी तरफ बिहार की शिक्षा की बदहाल स्थिति की तस्वीरें भी सामने आती रही है. बता दें कि पिछले कुछ सालों से बिहार सरकार 10वीं और 12वीं के परीक्षा परिणाम सबसे पहले जारी कर रिकॉर्ड बना रही है वहीं प्रदेश के स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था की हालत क्या है. वह इन तस्वीरों से साफ पता चलता है. 

दरअसल बिहार में गरीब मां-बाप अपने बच्चे को बेहतर शिक्षा दिलाने के उद्देश्य से सरकारी स्कूलों में भेजते हैं. एक तो उनके पास संसाधनों की कमी है ऊपर से सरकार के दावों पर भी वह भरोसा करते हैं लेकिन भागलपुर के एक स्कूल से जो तस्वीर सामने आई वह सच में हैरान करने वाली थी. भागलपुर के एक सरकारी स्कूल में ड्रेस पहनी छात्राएं माथे पर आलू की बोरी उठाए स्कूल में पहुंचती नजर आई. अब इसपर बवाल होना शुरू हुआ कि एक तरफ तो सरकार इन्हें बेहतर शिक्षा मुहैया कराने का दावा कर रही है और दूसरी तरफ इन छात्राओं से मजदूरी कराई जा रही है. 

ये भी पढ़ें- Harivansh Narayan Singh: 'गांधी के सुझाए रास्तों पर नहीं चला देश...', राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह के बयान से सियासी पारा चढ़ा

भागलपुर का जगदीशपुर क्षेत्र जहां के उर्दू प्राथमिक विद्यालय सन्हौली (कन्या) में बच्चियों के सिर पर आलू से भरी बोरी वाली तस्वीर सामने आई है. इस इलाके के मुखिया के द्वारा छात्राओं को स्कूल ड्रेस में माथे पर आलू की बोरी लेकर जाते वीडियो को अधिकारियों के पास भेजा गया है. इनमें चौथी कक्षा की छोटी-छोटी बच्चियां हैं जिनके सिर पर आलू की बोरी है. जो इसे सिर पर उठाकर ले जा रही हैं, इस वीडियो को जिसने भी देखा उसका चेहरा लाल हो गया. लेकिन इन बच्चियों के अभिभावक कर ही क्या सकते हैं वह तो अभिभावक हैं और बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाने के उद्देश्य से स्कूल भेज रहे हैं. ऐसे में उनकी मजबूरी है कि वह इस पर चुप्पी साधे रहें.

इस तस्वीर को लेकर बताया गया कि उर्दू प्राथमिक विद्यालय सन्हौली (कन्या) की बच्चियां 400 मीटर दूर से मिड डे मिल के लिए आलू लाने गयी थी. इसको लेकर जब छात्राओं से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि वह अपनी मर्जी से आलू लाने गई थी. वहीं स्कूल की प्रभारी प्रधानाध्यापिका बीबी सालेहा खातुन का कहना है कि वह किसी बच्ची को आलू या अन्य कोई सामान लाने के लिए नहीं भेजती हैं बल्कि छात्राएं अपनी मर्जी से सामान लाने चली जाती हैं. 

लेकिन इससे उलट स्कूल के एक कर्मी ने पहचान छिपाए रखने की शर्त पर जो खुलासा किया वह बेहद चौंकाने वाला था. उसका दावा है कि स्कूल की प्रधानाध्यापिका ही छात्राओं को समान लाने भेजती हैं.वहीं यहां के मुखिया मरगूब का कहना है कि बच्चों से समान्यत: सामान मंगवाया जाता रहा है. कई बार इस पर कहा भी गया लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ा. ऐसे में इस पर कार्रवाई के लिए ही अधिकारियों को वीडियो उपलब्ध कराई गई है.

 

Read More
{}{}