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Mughal History: जब बाजीराव ने सेना के साथ घेरी दिल्ली तो तहखाने में जा छिपा था मुगल बादशाह, बाद में अफगानी नादिरशाह ने मचा दिया था कत्लेआम

Bajirao Peshwa Attacks Delhi: वामपंथी इतिहासकारों की ओर से लिखी गई हिस्ट्री की किताबों में मुगलों का जमकर महिमागान सब जानते हैं. लेकिन असल सच्चाई कुछ और थी. जिस मुगल साम्राज्य को अजेय बताया जाता था, उसे मराठा साम्राज्य के पेशवा बाजीराव ने घुटने पर ला दिया था और मुगल बादशाह को तहखाने में छिपना पड़ा था.   

Mughal History: जब बाजीराव ने सेना के साथ घेरी दिल्ली तो तहखाने में जा छिपा था मुगल बादशाह, बाद में अफगानी नादिरशाह ने मचा दिया था कत्लेआम
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Devinder Kumar|Updated: Mar 09, 2023, 12:33 AM IST

Bajirao Peshwa Attacks Mughal emperor Mohammad Shah in Delhi: शिवाजी महाराज के बाद के शासनकाल में नियुक्त होने वाली महामंत्री को पेशवा कहा जाता था. इस पद पर आमतौर पर महाराष्ट्र के युद्ध कला में निपुण ब्राह्मणों की नियुक्ति होती थी. बालाजी विश्वनाथ की मौत के बाद 20 साल की उम्र में उनके बेटे बाजीराव मराठा साम्राज्य के पेशवा बने. उन्होंने शाहूजी महाराज के शासन और हिंदू साम्राज्य को देश में चारों ओर फैलाने का काम किया. बाजीराव ने अपने शासनकाल में कुल 40 युद्ध किए और सभी में जीत हासिल की. एक बार तो वे सेना लेकर दिल्ली में घुस गए थे, जिसके बाद मुगल बादशाह डर के मारे तहखाने में घुस गया था.

उच्च कोटि के रणनीतिकार थे बाजीराव पेशवा

इतिहासकारों के मुताबिक बाजीराव पेशवा (Bajirao Peshwa) उच्च कोटि के सैन्य रणनीतिकार थे. वे किसी भी युद्ध में जाने से पहले दुश्मन की हर मजबूती और कमजोरी का राज जान लेते थे. इसके बाद अपनी युद्ध रणनीति इस प्रकार तैयार करते थे कि दुश्मन भौंचक्का रह जाता था और उसे समझ ही नहीं आता था कि कैसे अपनी प्रतिक्रिया दे. 

वर्ष 1735 की बात है. बाजीराव पेशवा कई ऐसे इलाकों में चौथ वसूल करने का अधिकार मुगल बादशाह मोहम्मद शाह (Mughal Emperor Mohammad Shah) से मांग रहे थे, जो मुगलों के कब्जे में थे. लेकिन मुगलों ने बाजीराव की मांग को नजरअंदाज कर दिया. इससे नाराज होकर बाजीराव ने मुगलों को सबक सिखाने की ठान ली. उन्होंने मौके का इंतजार किया और अपनी सेना को तैयार करना शुरू कर दिया. 

नवंबर 1736 में दिल्ली की ओर कर दिया कूच

वहीं मुगलों का आकलन था कि उनकी विशालकाय सेना से भिड़ने की बाजीराव (Bajirao Peshwa) गलती नहीं करेंगे और अगर उन्होंने युद्ध शुरू भी किया तो ग्वालियर से दिल्ली पहुंचने में 15-20 दिनों का वक्त लग जाएगा. तब तक मुगल अपनी सैन्य शक्ति इकट्ठी करके उन्हें घेर लेंगे और खत्म कर देंगे.

बाजीराव ने अगले साल यानी नवंबर 1736 को एक बड़ी सेना लेकर अचानक दिल्ली की ओर कूच कर दिया. वे घोड़ों और रथों पर सवार अपनी सेना को लेकर बड़ी तेजी के साथ दिल्ली की ओर बढ़े. उनकी तेजी इतनी ज्यादा थी कि रोजाना 70 मील प्रतिदिन की दूरी कवर रहे थे. आगरा में हर वक्त मुगलों की बड़ी सेना मौजूद रहती थी. इसलिए बाजीराव ने आगरा से करीब 15-20 किमी दूर से होते हुए चुपचाप अपनी सेना निकाल ली और जंगलों के रास्तों से होते हुए दिल्ली में घुस गई. 

डर के मारे तहखाने में छिप गया मुगल बादशाह

बाजीराव (Bajirao Peshwa) की सेना 3 दिनों तक दिल्ली में जिस जगह पर बैठी रही, वहीं आज का तालकटोरा स्टेडियम बना है. जब मुगल बादशाह मोहम्मद शाह (Mughal Emperor Mohammad Shah) को पता चला कि बाजीराव की सेना ने दिल्ली घेर ली है तो वह घबरा गया और मरने के डर से तहखाने में जाकर छिप गया. उसने अपने सेनापति मीर हसन कोका को सेना लेकर बाजीराव से लड़ने के लिए भेजा. मराठा सैनिकों ने मुगल सेना की ऐसी गत बनाई कि कोका युद्ध छोड़कर भाग खड़ा हुआ और फिर नजर नहीं आया. 

अपने शौर्य का डंका बजवाने के बाद बाजीराव पेशवा (Bajirao Peshwa) मराठा सेना लेकर दूसरे रास्ते से पुणे की ओर कूच कर गए. इसके कुछ समय बाद आगरा से दूसरी मुगल सेना दिल्ली आई, लेकिन तब तक पेशवा वहां से निकल चुके थे. बाजीराव पेशवा ने अपने छोटे भाई चिमाजी अप्पा को लिखी चिट्ठी में दिल्ली हमले के पूरे वाक्ये के बारे में बताया. उन्होंने लिखा कि इस कूच का मकसद मुगलों को मराठा साम्राज्य की ताकत दिखाना था. उन्हें यह अहसास कराना था कि वे जब चाहे उन्हें मिट्टी में मिला सकते हैं. इस काम में वे पूरी तरह सफल रहे.

बाजीराव के जाने के बाद नादिरशाह ने दिल्ली को लूटा

बाजीराव के इस हमले से मुगल बादशाह मोहम्मद शाह में उनका डर बैठ गया. वहीं अफगानिस्तान के शासक नादिर शाह (Nadir Shah) को भी मुगल शासकों (Mughal Emperor Mohammad Shah) की कमजोरी पता चल गई. वह लंबे वक्त से दिल्ली की दौलत लूटने की कोशिश में था लेकिन मुगलों की अजेय ताकत के बारे में सुनकर डरता था. जब उसे पता चला कि कम सेना के बावजूद बाजीराव पेशवा मुगलों को उनकी औकात दिखाकर चले गए हैं तो उसने दिल्ली पर हमले का फैसला ले लिया. 

इसके बाद वह एक बड़ी सेना लेकर 1739-40 में दिल्ली पहुंच गया. उस वक्त तक मुगलों की ताकत बहुत कमजोर हो चुकी थी. नादिरशाह (Nadir Shah) की सेना के सामने मुगल टिक नहीं सके और शहर छोड़कर भाग खड़े हुए. इसके बाद नादिरशाह की सेना ने दिल्ली को जमकर लूटा. यह लूट कई दिनों तक जारी रही. इस दौरान हजारों लाखों लोगों को पकड़कर उनका कत्ल कर दिया गया. 

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