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कश्मीर घाटी में हाइब्रिड सेब का उत्पादन, जानिए कैसे बूम कर रहा बाजार

Industry Of Apple: कश्मीर घाटी में सबसे बड़े सेब के बगीचे सोपोर शहर में हैं और कई किसान अब अपने पारंपरिक सेब खेतों को उच्च घनत्व वाले सेब खेतों में बदल रहे हैं. सरकार किसानों पर अपने बागों को हाइब्रिड बागों में बदलने के लिए पूरा सहयोग दे रही है.

कश्मीर घाटी में हाइब्रिड सेब का उत्पादन, जानिए कैसे बूम कर रहा बाजार
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Syed Khalid Hussain|Updated: Sep 04, 2023, 06:15 PM IST

Apple Farming: कश्मीर घाटी में सेब की फसल का मौसम शुरू हो चुका है. घाटी भर की फल मंडियां पूरे देश के खरीदारों से भरी पड़ी हैं और सेब उत्पादकों का कहना है कि इस साल अब तक बाजार बहुत अच्छा रहा है. कश्मीर घाटी में बागवानी उद्योग को और बढ़ावा देने के लिए, सरकार किसानों के लिए विश्वस्तरीय फल पैदा करने के लिए नई वैज्ञानिक तकनीक और तरीके ला रही है.

मुख्य उद्योगों में से एक
दरअसल, बागवानी केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में मुख्य उद्योगों में से एक है और जीडीपी में लगभग 8 प्रतिशत का योगदान देता है. कश्मीरी सेब बागवानी उद्योग में सबसे बड़े शेयरधारकों में से एक है. बागवानी विभाग किसानों को नई वैज्ञानिक तकनीकों के साथ-साथ उच्च घनत्व वाले सेब फार्मस्थापित करने में मदद करने की पूरी कोशिश कर रहा है.

सबसे बड़े बगीचे सोपोर में
कश्मीर घाटी में सबसे बड़े सेब के बगीचे सोपोर शहर में हैं और कई किसान अब अपने पारंपरिक सेब खेतों को उच्च घनत्व वाले सेब खेतों में बदल रहे हैं. भारत और जम्मू-कश्मीर सरकार किसानों पर अपने बागों को हाइब्रिड बागों में बदलने के लिए पूरा सहयोग दे रही है और ऐसा करने वाले किसानों को भारी सब्सिडी भी दी जाती है.

सदियों से पारंपरिक सेब के पेड़
मालिक वेल्किन फर्म्स सोपोर के मालिक वसीम हाजिनी ने कहा कि मैं 6-7 साल से सेब के कारोबार में हूं, हमारे पास सदियों से पारंपरिक सेब के पेड़ हैं लेकिन 2016 में मैंने पौधों को उखाड़ दिया और इटालियन हाइब्रिड वाले पौधे लगाए, यह एक शानदार बदलाव रहा है. सोपोर को सेब शहर के रूप में जाना जाता है और सोपोर से सेब के कारोबार से कुल लगभग 6000 करोड़ रुपये है. भविष्य हाइब्रिड खेती का है. सरकार की ओर से भी भरपूर सहयोग मिल रहा है. सरकार सेब की खेती को बढ़ावा दे रही है और बेरोजगार युवाओं के लिए यह बड़ी सौगात है. यह एक अच्छा अवसर है जो सरकार हमें प्रदान कर रही है और उन्हें इसका लाभ उठाना चाहिए. नई आयात नीति से कश्मीर, हिमाचल और उत्तराखंड के लोगोंको मदद मिलेगी.

अर्थव्यवस्था बागवानी पर निर्भर
किसान अब भूमि को उच्च हाइब्रिड बगीचों में परिवर्तित करके प्रति कनाल लगभग एक लाख रुपये कमा रहे हैं. यह क्षेत्र के अन्य लोगों को भी सेब उगाने के लिए प्रेरित कर रहा है. कश्मीर की मुख्य अर्थव्यवस्था बागवानी पर निर्भर करती है और अब सरकार की मदद से, अधिक से अधिक भूमि को न केवल व्यवसाय बढ़ाने के लिए बल्कि पर्यावरण की मदद के लिए बागों में परिवर्तित किया जा रहा है. कश्मीर घाटी में पिछले साल सेब का भारी उत्पादन हुआ था लेकिन कई कारणों से बाजार उनके लिए अच्छा नहीं था. अब नई आयात नीति लागू होने और सरकार द्वारा सब कुछ सही दिशा में ले जाने से सेब व्यापारियों के लिए बाजार बहुत अच्छे दिख रहे हैं.

पिछले साल उत्पादन बहुत था
सोपोर फल मंडी के महासचिव जहूर अहमद तांत्रे ने बताया कि पिछले साल उत्पादन बहुत था जबकि इस साल यह उतना नहीं है लेकिन बाजार बहुत अच्छा है. इस वर्ष राष्ट्रीय राजमार्ग के संबंध में कोई समस्या नहीं है और इस वर्ष हमें किसी समस्या का सामना नहीं करना पड़ रहा है. बाजार बहुत अच्छा है और इसे रेगुलेट किया जा रहा है और हम उम्मीद कर रहे हैं कि बाजार इसी तरह बेहतर रहेगा. यकीन है कि यह सेब व्यवसाय के लिए एक अच्छा वर्ष होगा.

बता दें कि जम्मू कश्मीर का सेब उद्योग 1.45 लाख हेक्टेयर भूमि पर फैला हुआ है और 8,000 करोड़ रुपये का उद्योग है. यह जम्मू और कश्मीर की अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी है. लगभग 35 लाख लोग सेब व्यापार पर निर्भर हैं, यह क्षेत्र जम्मू कश्मीर की जीडीपी में लगभग 8.2 प्रतिशत का योगदान देता है.

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