PM Modi campaign: उत्तर भारत की प्रमुख क्षेत्रीय पार्टी राष्ट्रीय जनता दल(RJD) और समाजवादी पार्टी(SP) को लेकर हमेशा से ही कहा जाता रहा है कि ये MY(मुस्लिम-यादव) की पार्टी है. उसी तरह उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की पार्टी बसपा (BSP) को लेकर एक समय पर कहा जाने लगा था कि ये दलित-ब्राह्मणों की पार्टी है. वहीं, भारतीय जनता पार्टी 90 के दशक से ही मंदिर और हिंदुत्व के ईर्द-गिर्द राजनीति करती आ रही है. लेकिन इस लोकसभा चुनाव में बीजेपी का पूरा चुनाव प्रचार 'म' फैक्टर के ईर्द-गिर्द रहा. 'म' फैक्टर मतलब मंदिर, मुसलमान, मटन और मंगलसूत्र. आइए एक नजर डालते हैं कि भाजपा के 'म' फैक्टर में कितना दम है?
'म' फॉर मंदिर में कितना दम?
भारतीय जनता पार्टी 90 के दशक से ही मंदिर और हिंदुत्व के ईर्द-गिर्द राजनीति करती आ रही है. अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के मेनिफेस्टो में शामिल था. चुनावी विश्लेषकों की मानें तो राम मंदिर निर्माण के मुद्दे पर एक बड़ा वोट बैंक बीजेपी से जुड़ा है. यही वजह है कि लोकसभा चुनाव की घोषणा से कुछ महीने पहले अयोध्या के नवनिर्मित राम मंदिर का उद्घाटन किया गया. पीएम मोदी खुद भी राम मंदिर निर्माण को बीजेपी की उपलब्धि बता रहे हैं.
उत्तर प्रदेश के बलिया में एक रैली को संबोधित करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था, "प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कारण ही राम मंदिर का निर्माण हो सका. यह चुनाव राम मंदिर बनाने वालों और रामभक्तों पर गोली चलाने वालों के बीच है. आप मंदिर बनाने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ हैं या रामभक्तों पर गोली चलाने वालों के साथ?"
'म' फॉर मुसलमान में कितना दम?
लोकसभा चुनाव से कुछ दिन पहले सेंटर फॉर स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज (सीएसडीएस) और लोकनीति के सर्वे में यह सामने आया कि इस लोकसभा चुनाव में तीन सबसे बड़े मुद्दे बेरोजगारी, महंगाई और विकास हैं. सर्वे के नतीजों में यह भी सामने आया कि राम मंदिर, हिंदुत्व जैसे मुद्दे इस चुनाव में एक तरह से गौण हैं.
लोकसभा चुनाव 2024 के पहले चरण में मतदान प्रतिशत में गिरावट ने सभी को चौंकाया. विश्लेषकों ने अनुमान लगाया कि बीजेपी के वोटर वोट देने के लिए बाहर नहीं निकल रहे हैं. इसके कुछ दिन बाद ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजस्थान के बांसवाड़ा में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कहा, "कांग्रेस सत्ता में आई तो वह देश की संपत्ति को 'घुसपैठियों' और 'जिनके अधिक बच्चे हैं' के बीच बांट देगी. पहले जब उनकी सरकार थी, उन्होंने कहा था कि देश की संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है. इसका मतलब ये संपत्ति इकट्ठी करके किसको बांटेंगे? जिनके ज्यादा बच्चें हैं, उनको बांटेंगे, घुसपैठियों को बांटेंगे."
विपक्षी पार्टियों ने प्रधानमंत्री मोदी के इस बयान की निंदा करते हुए कहा था कि झूठ के जरिए फिर से हिंदू-मुसलमानों को बांटने की कोशिश की जा रही है.
'म' फॉर मटन और मछली में कितना दम?
सितंबर 2023 में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव ने कांग्रेस नेता और सांसद राहुल गांधी को दिल्ली स्थित अपने आवास पर मटन खिलाया था. राहुल गांधी ने मटन की रेसिपी सीखते हुए एक वीडियो भी जारी किया था. जम्मू कश्मीर में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा था, "कोर्ट ने जिसे सजा दी है, जो जमानत पर है. ऐसे मुजरिम के घर जाकर सावन में मटन बनाने की मौज ले रहे हैं. उसका वीडियो बनाकर के देश के लोगों को चिढ़ाने का काम करते हैं."
नवरात्रि से एक दिन पहले बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और पूर्व मंत्री मुकेश सहनी ने मछली खाते हुए वीडियो शेयर किया था. पीएम मोदी ने इस पर भी निशाना साधते हुए कहा था, "नवरात्रि में नॉन-वेज खाना. आप किस मंशा से वीडियो दिखा-दिखाकर के लोगों की भावनाओं को चोट पहुंचाकर किसे खुश करने का खेल कर रहे हो. मैं जानता हूं कि मेरे बोलने के बाद ये लोग पूरा गोला-बारूद लेकर गालियों की बौछार कर देंगे और मेरे पीछे पड़ जाएंगे."
'म' फॉर मंगलसूत्र में कितना दम?
एक चुनावी रैलो में कांग्रेस पर निशाना साधते हुए पीएम मोदी ने कहा था, "कांग्रेस का मेनिफेस्टो में जो कहा गया है, वो चिंताजनक और गंभीर है. कांग्रेस का मेनिफेस्टो कह रहा है कि वो मां-बहनों के सोना का हिसाब करेंगे. हमारी बहनों के पास कितना सोना है, उसकी जांच की जाएगी. फिर उसे बांट देंगे. मनमोहन सिंह की सरकार ने कहा था संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है. भाइयो-बहनो ये अर्बन नक्सल की सोच, मेरी मां-बहनों, ये आपका मंगलसूत्र भी नहीं बचने देंगे. ये यहां तक जाएंगे."
पीएम मोदी के इस बयान पर पलटवार करते हुए कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा था, "मेरी मां का मंगलसूत्र इस देश को कुर्बान हुआ है. अगर मोदी जी मंगलसूत्र का महत्व समझते तो ऐसी अनैतिक बातें नहीं करते."