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मिलेगा दिल की एक-एक धड़कन का हिसाब, जानें क्या है वियरेबल हार्ट मॉनिटर?

Wearable Heart Monitor: हार्ट में कुछ भी गड़बड़ी होने पर इसका पहला असर इसके धड़कने की स्पीड पर नजर आता है. ऐसे में वियरेबल हार्ट मॉनिटर जैसे टेक्नोलॉजी इसके निदान में अहम भूमिका निभा सकता है.   

मिलेगा दिल की एक-एक धड़कन का हिसाब, जानें क्या है वियरेबल हार्ट मॉनिटर?
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Sharda singh|Updated: Sep 02, 2024, 06:43 PM IST

अमेरिकी शोधकर्ताओं ने सोमवार को एक नई तकनीक के बारे में जानकारी दी है, जो दिल की एक-एक धड़कन को रिकॉर्ड करती है. इसकी सबसे खास बात यह है कि इस पहना जा सकता है. 

हालांकि, इस नई तकनीक के बावजूद, स्ट्रोक के कारण अस्पताल में भर्ती होने की संख्या में कोई कमी नहीं आई है. यह अध्ययन अमेरिका के नॉर्थ कैरोलिना में ड्यूक क्लिनिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट द्वारा किया गया है और इसका निष्कर्ष 'जर्नल ऑफ द अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी' में प्रकाशित हुआ है.

क्या है स्टडी 

शोधकर्ताओं ने लगभग 12,000 रोगियों को इस अध्ययन में शामिल किया, जिनकी उम्र कम से कम 70 वर्ष थी और जिनमें एट्रियल फाइब्रिलेशन (AF)की कोई हिस्ट्री नहीं थी. एट्रियल फाइब्रिलेशन दिल की धड़कनों का अनियमित होना है, जो अक्सर स्ट्रोक और अन्य हार्ट संबंधित समस्याओं का कारण बनता है. अध्ययन के दौरान, आधे रोगियों को हृदय गति मॉनिटर के माध्यम से 14 दिनों तक निगरानी की गई, जबकि अन्य को सामान्य देखभाल प्रदान की गई.

परिणाम

फॉलो-अप के बाद, शोध से पता चला कि हार्ट मॉनिटर पहनने वाले रोगियों में एट्रियल फाइब्रिलेशन का निदान 52 प्रतिशत अधिक हुआ. हालांकि, स्ट्रोक के कारण अस्पताल में भर्ती होने की संख्या में कोई महत्वपूर्ण कमी नहीं देखी गई. ड्यूक क्लिनिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट की टीम ने कहा कि हार्ट मॉनिटर ने एट्रियल फाइब्रिलेशन के निदान में सुधार किया, लेकिन इसका सीधा प्रभाव स्ट्रोक के मामलों में कमी पर नहीं पड़ा.

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हार्ट मॉनिटर की खासियत 

इस मॉनिटर में सेंसर लगा है, जो हार्ट या नाड़ी की स्पीड को ट्रैक करते हैं. यह फिचर स्मार्टवॉच में भी उपलब्ध हैं और व्यायाम के दौरान हार्ट बीट की निगरानी, स्ट्रेस लेवल की माप और संभावित स्वास्थ्य समस्याओं के लिए सचेत करने में सक्षम होते हैं. हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि ये उपकरण केवल सामान्य निगरानी के लिए उपयोगी हैं और अधिक सटीक चिकित्सा उपकरणों का विकल्प नहीं हो सकते. ड्यूक क्लिनिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट के शोधकर्ता ने बताया कि इस अध्ययन का उद्देश्य हार्ट मॉनिटर की प्रभावशीलता को समझना था और यह पता लगाना था कि क्या ये उपकरण एट्रियल फाइब्रिलेशन का जल्दी पता लगाने में मदद कर सकते हैं. 

विशेषज्ञों की राय

डॉ. आलोक मिश्रा, प्रमुख कार्डियोलॉजिस्ट ने कहा, "यह अध्ययन यह दर्शाता है कि हार्ट मॉनिटर एट्रियल फाइब्रिलेशन के निदान में सहायक हो सकते हैं, लेकिन स्ट्रोक जैसी जटिल स्थितियों के जोखिम को कम करने में उनकी भूमिका सीमित हो सकती है.उन्होंने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि इन उपकरणों को चिकित्सा परामर्श और अन्य परीक्षणों के साथ उपयोग किया जाए.

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