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Dengue and Chikungunya: कैसे पता करें आपको डेंगू हुआ है या चिकनगुनिया? जानिए दोनों बीमारियों का फर्क

Monsoon Disease: बारिश का मौसम भले ही आपको कितना भी पसंद क्यों न हो, लेकिन इस सीजन में डेंगू और चिकनगुनिया के मच्छरों से खतरा काफी ज्यादा बढ़ जाता है, ऐसे में आपको इन दोनों बीमारियों के बीच अंतर पता होना चाहिए. 

Dengue and Chikungunya: कैसे पता करें आपको डेंगू हुआ है या चिकनगुनिया? जानिए दोनों बीमारियों का फर्क
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Shariqul Hoda|Updated: Jun 07, 2024, 08:37 AM IST

Difference Between Dengue and Chikungunya: भारत में मानसून का असर देखने को मिल रहा है, तेज और लगातर होती बारिश के कारण जगह-जगह जल जमाव होने लगता है, जिसके कारण डेंगू और चिकनगुनिया के मच्छर पनपने लगते हैं. जब ये मच्छर हमें काटते हैं तो तबीयत खराब हो सकती है, लेकिन आपको कैसे पता चलेगा कि डेंगू और चिकनगुनिया में से कौन सा बुखार हुआ है.

डेंगू और चिकनगुनिया में अंतर

डेंगू और चिकनगुनिया दोनों ही बीमारियां मच्छर के काटने से होती हैं. डेंगू के लिए जीनस फ्लेवीवायरस जिम्मेदार होता है, वहीं चिकनगुनिया जीनस अल्फावायरस के कारण होता है. इन दोनों बीमारियों में सबसे पहले बुखार चढ़ने लगता है. ऐसे में दोनों बीमारियों में से अंतर कैसे करें आइए जानते हैं

डेंगू के लक्षण

अगर आपको कभी मच्छरों के काटने से बुखार हो जाए सबसे पहले आईने में अपनी आंखें देखें, अगर ये लाल हैं तो समझ जाएं कि आपको डेंगू हो चुका है. इस बीमारी में स्किन का कलर हल्का लाल हो जाता है. आमतौर पर ये बुखार 3 से 4 दिनों तक रहता है, जिसके कारण खून में प्लेटलेट्स की कमी होने लगती है. ऐसे में मुंह का स्वाद बदलना, चक्कर, उल्टी और बेहोशी का भी सामना करना पड़ सकता है. बुरे कंडीशन में तो शरीर का तापमान 104 डिग्री फारनहाइट तक पहुंच जाता है.

चिकनगुनिया के लक्षण

डेंगू की तरह चिकगुनिया में भी सबसे पहले बुखार आता है, इसके साथ ही जोड़ों में ऐसा दर्द होता है जो कई बार बर्दाश्त से बाहर हो जाता है. ये बुखार उतर भी जाए तो इसका असर कई दिनों तक रहता है.  चिकनगुनिया में आंखों में दर्द और गले में खराशकी भी शिकायत होती है. 

डेंगू और चिकनगुनिया से कैसे बचें?

1. इन बीमारियों से बचने का तरीका ये है कि मच्छरों को पैदा ही न होने दें
2. जल जमाव को रोकने की कोशिश करें, क्योंकि इसमें मच्छरों का लारवा पनपते हैं
3. गमले, टायर, नारियल के बचे हुए खोल, गड्ढे से पानी निकाल दें
4. कूलर को हफ्ते में 2 बार जरूर साफ करें
5. अगर कूलर साफ करना मुमकिन न हो, तो इसमें 2 चम्मच मिट्टी का तेल डाल दें
6. रात हो या दिन आप मच्छरदानी में ही सोएं, इससे आपको इस बीमारी का खतरा कम हो जाएगा.

Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.

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