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लोहे के फेफड़ों में बिताया पूरा जीवन, पॉल अलेक्जेंडर ने जी ऐसी जिंदगी जिसने दुनिया को किया हैरान!

'द मैन इन द आयरन लंग' के नाम से मशहूर पॉल अलेक्जेंडर का 78 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है. उनका जीवन अनगिनत लोगों के लिए प्रेरणा का सोर्स बना हुआ है. 

लोहे के फेफड़ों में बिताया पूरा जीवन, पॉल अलेक्जेंडर ने जी ऐसी जिंदगी जिसने दुनिया को किया हैरान!
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Shivendra Singh|Updated: Mar 15, 2024, 07:51 PM IST

'द मैन इन द आयरन लंग' के नाम से मशहूर पॉल अलेक्जेंडर का 78 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है. उनका जीवन अनगिनत लोगों के लिए प्रेरणा का सोर्स बना हुआ है. अलेक्जेंडर को मात्र छह वर्ष की उम्र में पोलियो हो गया था, जिसके बाद से उन्हें सांस लेने में मदद के लिए विशेष रूप आयरन लंग (लोहे के फेफड़े) पर निर्भर रहना पड़ा. इसके बावजूद, उन्होंने एक असाधारण जीवन जिया, जो उनकी परिस्थितियों को चुनौती देने वाली उपलब्धियों से भरा रहा.

अलेक्जेंडर की जर्नी किसी चमत्कार से कम नहीं थी. गर्दन के नीचे से लकवाग्रस्त होने और आयरन लंग पर निर्भर रहने के बाद, उन्होंने दृढ़ संकल्प के बल पर थोड़े समय के लिए स्वतंत्र रूप से सांस लेना सीख लिया. यह एक ऐसी स्किल थी जिसे हासिल करने में उन्हें वर्षों लग गए. उनके दोस्त डैनियल स्पिंक्स बताते हैं कि अलेक्जेंडर ने अपने फेफड़ों में हवा भरना सीखा था, जिससे वह दिन में कुछ समय के लिए आयरन लंग से बाहर रह सकते थे.

विशेष उपकरण से चलाते थे फोन और कंप्यूटर
स्पिंक्स के अनुसार, अलेक्जेंडर अपने मुंह में एक विशेष उपकरण की मदद से कंप्यूटर पर टाइप कर सकते थे और फोन का भी इस्तेमाल कर सकते थे. यह क्षमता उन्हें विपरीत परिस्थितियों में भी अपने सपनों को पूरा करने में मददगार बनी. उन्होंने कानून की डिग्री हासिल की और अपनी आत्मकथा 'थ्री मिनट्स फॉर ए डॉग: माय लाइफ इन एन आयरन लंग' भी लिखी.

प्रेरणा का प्रतीक
अपनी पर्सनल उपलब्धियों से परे, अलेक्जेंडर आशा की किरण और प्रेरणा का सोर्स बन गए. जीवन के प्रति उनके पॉजिटिव दृष्टिकोण और अपनी सीमाओं से परे जाने का जज्बा दुनिया भर के लोगों के दिलों को छू गया. टिकटॉक से लेकर इंटरव्यू तक, उनकी कहानी विभिन्न माध्यमों से शेयर की गई, जो उनकी अविश्वसनीय दृढ़ता और हंसमुख स्वभाव को प्रदर्शित करती थी.

पॉजिटिविटी की विरासत
डैनियल स्पिंक्स और गैरी कॉक्स जैसे दोस्त अलेक्जेंडर को न केवल उनकी उपलब्धियों के लिए, बल्कि उनके पॉजिटिव रवैये और दयालुता के लिए भी याद करते हैं. उनका जीवन दृष्टिकोण (जो आस्था, पॉजिटिविटी और दृढ़ इच्छाशक्ति पर आधारित था)उनसे जुड़ने वाले हर व्यक्ति पर गहरा प्रभाव छोड़ता था. अलेक्जेंडर की कहानी मानवीय भावना की शक्ति और प्रतीत होने वाली असंभव चुनौतियों को पार करने की क्षमता का प्रमाण है.

निरंतर प्रभाव
अपने निधन के बाद भी, अलेक्जेंडर की विरासत बनी रहेगी। उन्होंने यह साबित कर दिया कि दृढ़ संकल्प और सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ, सबसे कठिन परिस्थितियों में भी एक सार्थक जीवन जिया जा सकता है. उनका जीवन दूसरों को अपनी सीमाओं से परे देखने और अपने सपनों को पूरा करने का प्रयास करने के लिए प्रोत्साहित करता है, यही कारण है कि उनकी कहानी आने वाली पीढ़ियों को भी प्रेरित करती रहेगी.

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