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डायबिटीज के कारण जिंदगी से कम नहीं होगी मिठास, शोध में मिला टेबल शुगर का हेल्दी विकल्प


Sugar For Diabetes: डायबिटीज में टेबल शुगर की जगह नॉन-न्यूट्रिटिव स्वीटनर्स का उपयोग किया जा सकता है. इससे ब्लड शुगर के स्तर पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता है और साथ ही शरीर के वजन को भी नियंत्रित करने में मदद मिलती है

डायबिटीज के कारण जिंदगी से कम नहीं होगी मिठास, शोध में मिला टेबल शुगर का हेल्दी विकल्प
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Sharda singh|Updated: Aug 07, 2024, 08:45 PM IST

डायबिटीज के मरीजों के लिए एक अच्छी खबर सामने आई है. एक नए शोध के अनुसार, कॉफी और चाय जैसे दैनिक पेय पदार्थों में शुगर की जगह थोड़ी मात्रा में नॉन-न्यूट्रिटिव स्वीटनर्स का उपयोग करने से ब्लड शुगर के स्तर को बढ़ने से रोका जा सकता है. 

चेन्नई स्थित मद्रास डायबिटीज रिसर्च फाउंडेशन (एमडीआरएफ) द्वारा किए गए इस अध्ययन से पता चला है कि जिन लोगों ने पेलेट, तरल या पाउडर के रूप में शुगर का उपयोग किया, उनके शरीर का वजन, कमर की चौड़ाई और बॉडी मास इंडेक्स में थोड़ा सुधार हुआ है. एमडीआरएफ के अध्यक्ष और अध्ययन के नेतृत्व करने वाले वरिष्ठ मधुमेह विशेषज्ञ डॉ. वी. मोहन ने कहा, इससे कैलोरी को कम करने के साथ डाइट को बेहतर बनाने में मदद मिलती है.

शोध में क्या निकला?

डायबिटीज थेरेपी पत्रिका में प्रकाशित इस शोध का उद्देश्य एशियाई और भारतीयों में कॉफी/चाय में टेबल शुगर के स्थान पर नॉन-न्यूट्रिटिव स्वीटनर्स सुक्रालोज के उपयोग के प्रभाव का पता लगाना था. इस अध्ययन में 12 सप्ताह तक मधुमेह से पीड़ित 179 भारतीयों को दो समूहों में बांटा गया. एक समूह को कॉफी या चाय में अतिरिक्त चीनी की जगह सुक्रालोज-आधारित स्वीटनर दिया गया, जबकि दूसरे समूह ने पहले की तरह टेबल शुगर का उपयोग जारी रखा. 12 सप्ताह के बाद दोनों समूहों में रक्त शर्करा के स्तर में कोई महत्वपूर्ण अंतर नहीं पाया गया. हालांकि, शुगर का उपयोग करने वाले समूह में शरीर का वजन, कमर की परिधि और बॉडी मास इंडेक्स में थोड़ा सुधार देखा गया.

क्यों महत्वपूर्ण है यह शोध?

पिछले वर्ष, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने शारीरिक वजन को नियंत्रित करने के लिए टेबल शुगर का उपयोग करने के विरुद्ध चेतावनी दी थी. डॉ. मोहन ने कहा, यह शोध भारत के लिए बहुत प्रासंगिक है क्योंकि भारतीयों की आहार संबंधी आदतें दुनिया के बाकी हिस्सों की तुलना में काफी भिन्न हैं. कॉफी और चाय में अतिरिक्त चीनी का उपयोग इन पेय पदार्थों को भारतीयों के बीच चीनी सेवन का संभावित दैनिक स्रोत बनाता है. इसके अलावा भारत में कुल कार्बोहाइड्रेट की खपत भी बहुत अधिक है, जिससे मधुमेह का खतरा बढ़ जाता है.

क्या हैं नॉन-न्यूट्रिटिव स्वीटनर्स?

नॉन-न्यूट्रिटिव स्वीटनर्स वे पदार्थ होते हैं जो खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों में मिठास लाने के लिए उपयोग किए जाते हैं, लेकिन इनमें कैलोरी बहुत कम होती है या बिल्कुल नहीं होती है. शुगर इनमें से एक लोकप्रिय स्वीटनर है.

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Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.
 

 

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