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नींद की कमी से अधूरा रह सकता है मां बनने का सपना, जानें कैसे आएगी अच्छी नींद?

नींद ना आने की बीमारी से दिल की बीमारी, हाई ब्लड प्रेशर, मोटापा, डायबिटीज, कैंसर या डिप्रेशन जैसी कई स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो सकती हैं. आइए जाने कि अच्छी नींद कैसे पा सकते हैं.

प्रतिकात्मक तस्वीर
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Shivendra Singh|Updated: Nov 17, 2022, 06:42 PM IST

नींद की गुणवत्ता और टाइम दोनों का समान महत्व है. नींद किसी के शारीरिक, भावनात्मक स्वास्थ्य और तंदुरुस्ती के लिए आवश्यक है. नींद की कमी से कई स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो सकती हैं. यह एक फैक्ट है कि नींद ना आने की बीमारी, विशेष रूप से अनिद्रा (insomnia), दिल की बीमारी, हाई ब्लड प्रेशर, मोटापा, डायबिटीज, कम इम्यूनिटी, कैंसर, डिप्रेशन, सहित कई स्वास्थ्य समस्याओं से जुड़ा हुआ है. हाल के अध्ययनों से यह भी पता चला है कि महिलाओं में नींद की गड़बड़ी ओवुलेटरी डिसफंक्शन, अनियमित पीरियड्स और खराब प्रजनन क्षमता से जुड़ी है. 

फर्टिलिटी
इनफर्टिलिटी के इलाज के लिए अच्छी नींद क्यों जरूरी है, इसके कई कारण हैं. नींद और प्रजनन आपस में जुड़े हुए हैं और एक सर्कैडियन लय का पालन करते हैं. मेलाटोनिन एक हार्मोन है, जो शरीर की सर्कैडियन लय को बनाए रखता है. नींद या सर्कैडियन लय में कोई गड़बड़ी इन हार्मोनों के सामान्य उत्पादन और कामकाज में बाधा डाल सकती है. कुछ रातों में पर्याप्त नींद न लेने से हार्मोन उत्पादन और तनाव सहनशीलता को बाधित कर सकती हैं. 

हार्मोन का संतुलन बिगड़ना
नींद की कमी आपके मूड और प्रोडक्टिविटी से कहीं अधिक प्रभावित करती है. नींद की कमी से फर्टिलिटी को बढ़ावा देने वाले कुछ प्रजनन हार्मोन का उत्पादन ठीक ढंग से नहीं होता है. ओव्यूलेशन में हार्मोन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. सच तो यह है कि जब हम सो रहे होते हैं, तब भी हमारा शरीर एक्टिव रहता है. हर रात हमारी अंतःस्रावी प्रणाली (endocrine system) गर्भधारण में शामिल कुछ प्रमुख हार्मोन का उत्पादन करती है, जिसमें एस्ट्रोजन, प्रोजेस्टेरोन, ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन (एलएच) और कूप-उत्तेजक हार्मोन (एफएसएच) शामिल हैं. नींद की कमी इन हार्मोनों में हस्तक्षेप कर सकती है, जिससे गर्भ धारण करने में दिक्कत आती है. 

अंडे की क्वालिटी में कमी
देर तक जगे रहने और फोन का इस्तेमाल करने से हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है. आपके उपकरणों द्वारा उत्सर्जित नीली रोशनी मेलाटोनिन को दबाती है. मेलाटोनिन नींद को प्रेरित करती है और एंटीऑक्सीडेंट प्रभाव होने से ओव्यूलेशन के दौरान अंडों की रक्षा करती है. मेलाटोनिन के अपर्याप्त उत्पादन से अंडे की गुणवत्ता खराब हो सकती है, जिससे प्रजनन क्षमता कम हो जाती है.

कितनी नींद लेनी चाहिए?
हमें रोजाना 6-7 घंटे की नींद लेनी चाहिए. हालांकि इस बात का ध्यान रखें कि 9 घंटे से ज्यादा ना सोएं. अधिक नींद भी प्रजनन क्षमता के लिए हानिकारक हो सकती है.

सोने का अच्छा शेड्यूल

  • एक सुसंगत नींद कार्यक्रम बनाए रखें
  • व्यायाम करें
  • बेड पर जाने के बाद स्मार्टफोन को दूर कर दें
  • कमरे में शांति और अंधेरा कायम करें
  • कैफीन, शराब और निकोटीन का सेवन कम करें

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