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Colorectal Cancer Symptoms: भारत में तेजी से बढ़ रहे आंत के कैंसर के मामले, जनिए लक्षण और बचाव के तरीके

Colorectal Cancer: खराब लाइफस्टाइल और खानपान की गलत आदतों के कारण कैंसर जैसी बीमारी तेजी से बढ़ रही है. कोलोरेक्टल कैंसर से पीड़ित होने वालों की संख्या पिछले पांच वर्षों में दोगुनी हो गई है.

Colorectal Cancer Symptoms: भारत में तेजी से बढ़ रहे आंत के कैंसर के मामले, जनिए लक्षण और बचाव के तरीके
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Shivendra Singh|Updated: Feb 23, 2023, 08:50 AM IST

Colorectal Cancer: भारत में बड़ी आंत के कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं, हालांकि इससे होने वाली मौत की दर में कमी आने के बीच विशेषज्ञों ने खासतौर पर 45 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को एहतियाती जांच कराने और हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाने पर जोर दिया है. बड़ी आंत के इस कैंसर को ‘कोलोरेक्टल’ कैंसर कहा जाता है. विशेषज्ञों के अनुसार, आमतौर पर यह माना जाता है कि कैंसर के पारिवारिक इतिहास वाले व्यक्ति को इस बीमारी का मुकाबला करने में मुश्किल होती है, लेकिन कोलोरेक्टल कैंसर की वजह अक्सर लाइफस्टाइल से जुड़ी चीजें होती है. शुरुआती स्टेज में इस बीमारी का पता चल जाए को नतीजे बेहतर हो सकते हैं.

गैस्ट्रो-इंटेस्टिनल, हेपेटो-पैंक्रिटीक-बाइलरी और कोलोरेक्टरल सर्जन डॉ. विवेक मंगला ने बताया कि कैंसर कई कारणों से होता है. इसमें जीन की भूमिका होती है, लेकिन केवल 1-2 प्रतिशत मामले पारिवारिक इतिहास के होते हैं. उन्होंने कहा कि बीमारी की रोकथाम उसके उपचार से बेहतर है. यह सलाह दी जाती है कि यदि कोलोरेक्टल कैंसर का एक पारिवारिक इतिहास है तो तुरंत इसकी जांच कराई जाए. 45 वर्ष से अधिक उम्र के हर व्यक्ति को इसकी जांच करानी चाहिए.

डॉक्टरों के मुताबिक, टिशू की असामान्य वृद्धि और कोलोरेक्टल कैंसर का एक लक्षण व्यक्ति के शौच के लिए जाने की संख्या में बदलाव आना है. डॉ मंगला ने कहा कि कोलोरेक्टल कैंसर से पीड़ित होने का पता चलने के बाद किसी को ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि पहले और दूसरे स्टेज के कोलोरेक्टल कैंसर के 90 प्रतिशत से अधिक मामलों में मरीज ठीक हो सकते हैं, जबकि तीसरे स्टेज में 70-75 प्रतिशत मामले में ठीक हो जाते हैं. इसके अलावा, चौथे स्टेज में भी 40 प्रतिशत मरीज ठीक हो सकते हैं.

दिल्ली एम्स में सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. एम डी रे ने बताया कि अध्ययनों से यह पता चलता है कि खराब लाइफस्टाइल और खानपान की गलत आदतों के कारण कैंसर जैसी बीमारी तेजी से बढ़ रही है. बुजुर्ग ही नहीं, बल्कि युवाओं में भी कैंसर के इस रूप को सामान्य बना रही हैं. उन्होंने कहा कि कोलोरेक्टल कैंसर से पीड़ित होने वालों की संख्या पिछले पांच वर्षों में दोगुनी हो गई है.

कोलोरेक्टल कैंसर के लक्षण
मल त्याग की आदतों में परिवर्तन
लगातार दस्त, कब्ज या यह महसूस करना कि पेट पूरी तरह से खाली नहीं है
ज्यादा कमजोरी या थकान महसूस करना और भूख न लगना
वजन कम होना
हीमोग्लोबिन में कमी (एनीमिया)
पेट में दर्द या बेचैनी

कोलोरेक्टल कैंसर से बचाव के तरीके
इस बीमारी के खतरे को कम करने के लिए फैट की कमी, पर्याप्त मात्रा में फल, सब्जियां व कैल्शियम और अधिक वजन से बचाव भी शामिल हैं. एक अध्ययन के मुताबिक, हफ्ते में कम से कम एक बार ब्राउन राइस खाने से कोलोरेक्टल का खतरा 40% तक कम हो जाता है.

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