Rajasthan Lady Sarpanch Success Story: मुश्किलें चाहे जितनी भी हों, लेकिन अगर इंसान ठान ले तो उसे कामयाब होने से कोई नहीं रोक सकता है. राजस्थान (Rajasthan) के पाली (Pali) में प्रवीणा की कहानी भी कुछ ऐसी ही है. प्रवीणा का जन्म एक गरीब परिवार में हुआ था. उनके पिता शराबी थे. प्रवीण जब कम उम्र की थीं, तभी उनके सिर से पिता का साया उठ गया था. तब प्रवीणा के पास पढ़ाई के लिए पैसे नहीं थे, इसलिए उन्हें स्कूल छोड़ना पड़ा और दूसरों के मवेशियों को चराना पड़ा. लेकिन प्रवीणा ने मुश्किलों के सामने कभी हथियार नहीं डाले और आगे चलकर 7 गांवों की सरपंच बनीं. आइए प्रवीणा की सक्सेस स्टोरी पढ़ते हैं.
प्रवीणा की जिंदगी का सबसे बड़ा मोड़
जान लें कि प्रवीणा की जिंदगी में एक मोड़ तब आया जब उन्हें घर से 40 किलोमीटर दूर कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय (KGBV) में दाखिला मिला. केजीबीवी एक सरकारी स्कूल है जो गरीब परिवारों की लड़कियों को मुफ्त में शिक्षा देता है. पढ़ाई ने प्रवीणा की जिंदगी बदल दी. उन्होंने शिक्षा के महत्व को जाना और अपने सपने पूरे करने का फैसला किया.
23 साल की उम्र में बनीं सरपंच
हालांकि, 18 साल की उम्र में प्रवीणा की शादी हो गई, लेकिन उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी. उन्होंने बीए की डिग्री हासिल की और फिर 2014 में सरपंच का चुनाव लड़ने का फैसला किया. प्रवीणा पहली बार में ही 23 साल की उम्र में 7 गांवों की मुखिया बन गईं. सरपंच के रूप में प्रवीणा का कार्यकाल 2014 से 2019 तक रहा.
लड़कियों की पढ़ाई पर जोर देती हैं प्रवीणा
जान लें कि प्रवीणा ने अपने कार्यकाल के दौरान शिक्षा, स्वास्थ्य और महिला सशक्तिकरण पर विशेष ध्यान दिया. प्रवीणा का मानना है कि शिक्षा हर लड़की के लिए जरूरी है. वह उन लड़कियों को प्रोत्साहित करती हैं जो स्कूल नहीं जा सकती हैं. वह उन परिवारों को भी प्रोत्साहित करती हैं जो लड़कियों की शिक्षा के महत्व को नहीं समझते हैं.
जान लें कि प्रवीणा के प्रयासों से उनके इलाके की कई लड़कियों को शिक्षा का मौका मिला है. उन्होंने बाल विवाह जैसी सामाजिक बुराइयों के खिलाफ भी आवाज उठाई है. प्रवीणा सिखाती हैं कि कोई भी लड़की, चाहे उसकी परिस्थिति कितनी भी कठिन क्यों न हो, अपने सपनों को पूरा कर सकती है.