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मिलिए आदिवासी डिलीवरी बॉय से, 85 हजार रुपये का लोन लिया; अब कर रहा MBBS

Hebal Pradhan NEET: पैसे कमाने के लिए उन्होंने ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया और फिर हैदराबाद चले गए, जहां उन्होंने फिर से डिलीवरी बॉय के रूप में काम किया. 

मिलिए आदिवासी डिलीवरी बॉय से, 85 हजार रुपये का लोन लिया; अब कर रहा MBBS
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chetan sharma|Updated: Jan 11, 2024, 03:32 PM IST

Tribal Family Hebal Pradhan: कुछ लोग अपनी परिस्थितियों को खुद पर हावी नहीं होने देते और अपना भविष्य तय नहीं करते, बल्कि वे अपने जीवन की जिम्मेदारी लेते हैं और अपने अटूट समर्पण, और कड़ी मेहनत से इसे बदल देते हैं.

ऐसी ही एक मोटिवेशनल स्टोरी एक पूर्व डिलीवरी बॉय हेबल प्रधान की है, जिसने कोरापुट के शहीद लक्ष्मण नायक मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (एसएलएनएमसीएच) में एमबीबीएस की पढ़ाई करने के लिए बहुत कठिनाइयों का सामना किया. हालांकि, वह अभी भी कॉलेज की फीस भरने को लिए गए लोन को चुकाने के लिए संघर्ष कर रहा है. प्रधान का जन्म कंधमाल जिले के दरिंगीबाड़ी ब्लॉक के मेडुबाड़ी गांव में एक वंचित आदिवासी परिवार में हुआ था. उनके परिवार की आर्थिक स्थिति ने उन्हें अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए एक ई-कॉमर्स फर्म में डिलीवरी बॉय बनने के लिए मजबूर किया.

काम करने के साथ-साथ, प्रधान ने पढ़ाई भी की और एक अच्छे स्टूडेंट थे, जिन्होंने बचपन से ही डॉक्टर बनने का सपना देखा था. उन्होंने 12वीं क्लास फर्स्ट डिवीजन से पास की. हालांकि, अपने परिवार की ख़राब आर्थिक स्थिति के कारण उन्होंने अपनी पढ़ाई रोक दी.

पैसे कमाने के लिए उन्होंने ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया और फिर हैदराबाद चले गए, जहां उन्होंने फिर से डिलीवरी बॉय के रूप में काम किया. जो भी पैसा बचाया, उससे उन्होंने NEET की तैयारी शुरू की और आखिरकार इसमें सफलता हासिल की. वर्तमान में, प्रधान एसएलएनएमसीएच में अपने सपने को पूरा कर रहे हैं. हालांकि, फीस चुकाने के लिए उन्हें कर्ज लेना पड़ा, जो अभी तक वापस नहीं किया गया है. उनके गांव के लोगों ने सरकार से कर्ज चुकाने में मदद की गुहार लगाई है.

प्रधान का कहना है कि "मैं कोरापुट में एसएलएनएमसीएच में एमबीबीएस फर्स्ट ईयर का स्टूडेंट हूं. मेरे एडमिशन के समय लगभग 1 लाख रुपये की जरूरत थी. मेरे माता-पिता ने हल्दी बेचकर कुछ पैसों का इंतजाम किया था और मैंने निजी साहूकारों से 85,000 रुपये का कर्ज लिया था. चूंकि हम अपनी मासिक किस्तें चुकाने में विफल रहे हैं, वे हमारे घर आकर पैसे मांग रहे हैं. मैंने पिछले साल अक्टूबर में सरकार से स्कॉलरशिप के लिए आवेदन किया था. मुझे अपने परिवार की मदद करने और अपनी पढ़ाई के लिए धन जुटाने के लिए तत्काल मदद की ज़रूरत है."

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