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यूं ही सिंगापुर नहीं पहुंचे पीएम मोदी, भारत के लिए बहुत खास है ये देश, चाहे तो 'ड्रैगन' की गर्दन मरोड़ सकते हैं दोनों दोस्त !

India Singapore Relation:  सिंगापुर भारत का छठवां सबसे बड़ा कारोबारी साझेदार है. सिंगापुर भारत का सबसे बड़ा आसियान व्यापार साझेदार है। इसके अलावा एफडीआई का सबसे बड़ा स्रोत है, जो वित्त वर्ष 24 में 11.77 बिलियन डॉलर था.   भारत के कुल व्यापार में सिंगापुर की हिस्सेदारी 3.2 फीसदी की है.

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Bavita Jha |Updated: Sep 04, 2024, 07:51 PM IST

PM Modi Singapore Visit: छह साल बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सिंगापुर पहुंचे हैं. ब्रुनेई के बाद अपने दो दिवसीय दौरे पर पीएम सिंगापुर पहुंच चुके हैं. सिंगापुर में पीएम मोदी का गर्मजोशी से स्वागत किया तो मोदी ने भी ढोल बजाकर उत्साह दिखाया. आकार से हिसाब से भले ही यह देश छोटा हो, लेकिन इसका राजनीतिक महत्व बेहद अहम है. भारतीय प्रधानमंत्री के सिंगापुर दौरे पर दुनियाभर की नजर है, लेकिन सबसे क्लोज वॉच तो पड़ोसी देश चीन ने लगा रखी है.  रखना भी जरूरी है, क्योंकि उसकी 'गर्दन' जो फंसी है. 

क्यों सिंगापुर के लिए जरूरी है भारत 

सिंगापुर ने साल 1965 में आजादी हासिल की थी, जिसके बाद से उसे चीन की विस्तारवादी रवैये के साथ-साथ मलेशिया और इंडोनेशिया के संभावित वर्चस्व के खतरों से जूझना पड़ा है. इन खतरों का सामना करने के लिए सिंगापुर भारत को एक प्रमुख भागीदार के तौर पर देखता है. दरअसल चीन अपनी विस्तारवादी नीतियों को लेकर बदनाम रहा है. उसके इसी रवैया के चलते कई देशों के साथ उसका विवाद रहा है. जमीन से लेकर समंदर तक वो अपनी दावेदारी ठोकता रहता है. दक्षिण चीन सागर के कुछ हिस्से को लेकर चीन और सिंगापुर के बीच तनाव रहता है. साल 2019 में दोनों देशों के बीच समझौता हो चुका है, लेकिन चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं है. ऐसे में सिंगापुर की चिंता बनी रहती है. भारत जिस रफ्तार से बढ़ रहा है. सिंगापुर उसे अपना प्रबल साझेदार और दोस्त के तौर पर देखता है.   उधर पीएम सिंगापुर पहुंचे, इधर घर आए ₹90000 करोड़, भारत की तरक्की देख गदगद हुई कंपनी, अगले 4 साल में दोगुना करेगी निवेश

 

भारत और सिंगापुर के संबंध पर चीन की पैनी नजर  

व्‍यापारिक और रणनीतिक लिहाज से सिंगापुर भारत के लिए काफी महत्‍वपूर्ण देश है. सिंगापुर मलक्का की खाड़ी के पास स्थित है. वहीं मलक्का स्ट्रेट, जहां से चीन की ईंधन होकर गुजरता है. इसी रास्ते से चीन का अधिकांश कारोबार होता है. यानी चीन के ग्रोथ इंजन का पहिया घूमता रहे, इसके लिए ये चेकप्वाइंट बेहद जरूरी है. चीन आने वाले आयात का 80 फीसदी फ्यूल इसी रास्ते से होकर गुजरता है. यानी अगर भारत और सिंगापुर चाहे तो चीन के ग्रोथ का ईंधन ठप पड़ सकता है. 

चीन की गर्दन को मरोड़ सकते हैं दोनों दोस्त  

एक तरह सिंगापुर भारत को अपना सबसे प्रबल साझेदार के तौर पर देखता है तो वहीं यह देश हिंद महासागर और दक्षिण चीन सागर में अपनी पकड़ को मजबूत करने और पहुंच बनाने के लिए भारत के लिए भी जरूरी है. भारत का अंडमान और निकोबार द्वीप समूह मलक्का की खाड़ी से महज 200 किलोमीटर की दूरी पर है. भारत का ये द्वीप मलक्का की खाड़ी के पश्चिमी तट पर स्थित है. आगे बढ़े उससे पहले इस मलक्का मार्ग की अहमियत को समझ लेते हैं. 800 किलोमीटर लंबा और 65 से 250 किलोमीटर मलक्का स्ट्रेच दुनिया के सबसे भीड़भाड़ और बिजी व्यापारिक समुद्री मार्गों में से एक है. हर साल यहां से 75 हजार जहाज गुजरते हैं. बेहद संकरे रास्ता हिंद महासागर में स्थित अंडमान सागर को दक्षिण चीन सागर से जोड़ता है. चीन के लिए यह मार्ग उसके विकास की चाबी है. उसके उद्योग और कारोबार इसी रास्ते पर निर्भर है. चीन के कुल ईंधन आयात का 80 फीसदी इसी मार्ग से होता है. अगर ये कहे कि मलक्का की खाड़ी चीन की लाइफलाइन है, तो गलत नहीं होगा.  

भारत की सिंगापुर से नजदीकी से चीन को बेचैनी 

चीन की विस्तारवादी नीतियों के खिलाफ भारत-सिंगापुर एकजुट हो रहे हैं. पीएम मोदी इस रिश्ते को और मजबूत करने के लिए सिंगापुर पहुंचे हैं. चीन के धुर विरोधी देश भारत और अमेरिका का सिंगापुर के साथ अच्छे संबंध है. ऐसे में चीन को हमेशा चिंता सताती रहती है कि भविष्य में गतिरोध बनने की स्थिति में सिंगापुर भारत के साथ मिलकर मलक्का स्ट्रेट मार्ग को बंद न करें . अगर इस मार्ग पर भारत का नियंत्रण हुआ तो चीन की गाड़ी ठप पड़ जाएगी, उसे बर्बाद होने से कोई नहीं बचा पाएगा. चीन इस स्थिति को समझता है, इसलिए वो कई बार मलक्का स्ट्रेट का विक्लप तलाशने की कोशिश करता रहा है, लेकिन फिलहाल उसे सफलता नहीं मिली है.  

भारत और सिंगापुर के कारोबारी संबंध  

सिंगापुर भारत का छठवां सबसे बड़ा कारोबारी साझेदार है. सिंगापुर भारत का सबसे बड़ा आसियान व्यापार साझेदार है। इसके अलावा एफडीआई का सबसे बड़ा स्रोत है, जो वित्त वर्ष 24 में 11.77 बिलियन डॉलर था.   भारत के कुल व्यापार में सिंगापुर की हिस्सेदारी 3.2 फीसदी की है. वित्तीय वर्ष 2024 में सिंगापुर से आयात 21.1 अरब डॉलर तो निर्यात कुल 14.4 अरब डॉलर था. ये देश भारत के लिए सिर्फ कारोबारी तौर पर नहीं बल्कि एशिया-प्रशांत और दक्षिण-पूर्व एशिया में प्रवेश के लिए भी जरूरी है.  भारत के सेमीकंडक्टर हब बनने के सपने को पूरा करने में सिंगापुर का अहम रोल होगा.   

 

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