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Explainer: ईरान-इजरायल के तनाव से ऑयल सप्‍लाई पर नहीं पड़ेगा असर, फ‍िर रेट में क्‍यों आएगी तेजी?

Crude Oil Supply: पेट्रोलियम म‍िन‍िस्‍टर हरदीप पुरी ने ओपेक के महासचिव हैथम अल-गहैस से करीब आधा घंटे फोन पर बातचीत की. इस दौरान उन्होंने तेल बाजार की अस्थिरता और इससे दुनियाभर में कीमत पर पड़ने वाले असर पर चर्चा की.

Explainer: ईरान-इजरायल के तनाव से ऑयल सप्‍लाई पर नहीं पड़ेगा असर, फ‍िर रेट में क्‍यों आएगी तेजी?
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Kriyanshu Saraswat|Updated: Apr 20, 2024, 12:01 PM IST

Iran Israel Conflict: इजरायल और ईरान के बीच चल रहे तनाव के बीच ऑयल और गैस सप्‍लाई पर असर द‍िखाई देने की संभावना कम है. लेक‍िन ऊंचे दामों पर सट्टेबाजी करने वालों के कारण कीमत में इजाफा हो सकता है. 13 अप्रैल को ईरान की तरफ से इजरायल पर मिसाइल हमला क‍िये जाने के बाद कच्चे तेल की कीमत 90 डॉलर प्रति बैरल से ज्यादा हो गई थीं. लेकिन ये कीमतें लंबे समय तक ट‍िक नहीं सकीं ओर गिरकर 87 डॉलर पर आ गईं. शुक्रवार को, तेहरान की तरफ से ईरान में हुए इजरायली हमलों की खबरों को कम करके बताने के बाद, ब्रेंट क्रूड की कीमत में ग‍िरावट आई और यह ग‍िरकर 86.4 डॉलर पर आ गईं. इससे अब यह उम्मीद की जा रही है क‍ि हालात और ज्यादा खराब नहीं होंगे.

भारत जरूरत का 83% तेल आयात करता है

पेट्रोलियम म‍िन‍िस्‍टर हरदीप पुरी ने ओपेक के महासचिव हैथम अल-गहैस से करीब आधा घंटे फोन पर बातचीत की. इस दौरान उन्होंने तेल बाजार की अस्थिरता और इससे दुनियाभर में कीमत पर पड़ने वाले असर पर चर्चा की. आपको बता दें भारत अपनी जरूरत के 83% तेल के ल‍िए आयात करता है. इसलिए कीमत बढ़ने या अस्थिर बाजार से सरकार के बजट पर असर पड़ता है. पश्‍च‍िम एशिया में किसी भी तरह का तनाव भारत पर सीधा असर डालता है. साल 2023-24 में ही भारत ने यहां से 46% तेल आयात किया था.

नेचुरल गैस और रसोई गैस का भी आयात
भारत अपनी जरूरत की करीब आधी नेचुरल गैस और रसोई गैस (LPG) का भी आयात करता है. इनमें से ज्यादातर आयात कतर और सऊदी अरब क‍िया जाता है. टाइम्‍स ऑफ इंड‍िया में प्रकाश‍ित खबर के अनुसार एक रिफाइनरी के बड़े अधिकारी ने बताया कि तेल की स्थिति पर दो तरह से असर पड़ता है. यह इसकी आपूर्ति और कीमत को लेकर होता है. उन्‍होंने बताया क‍ि अभी तक कहीं पर भी तेल निकालने, उसे रिफाइन करने या लाने-ले जाने में क‍िसी तरह की परेशानी नहीं आई है. ऐसे में तेल लगातार म‍िल रहा है.

मार्केट का सेंटीमेंट कभी भी बदल सकता है
उन्‍होंने कहा लेक‍िन यद‍ि कीमत की बात करें तो मार्केट सेंटीमेंट से चलता है. मार्केट का सेंटीमेंट कभी भी बदल सकता है. सट्टेबाज किसी भी लड़ाई-झगड़े का फायदा उठाकर जल्दी पैसा कमाना चाहते हैं. यही कारण है क‍ि ईरान के मिसाइल हमले के बाद ब्रेंट क्रूड की कीमत एक द‍िन में अचानक बढ़ गईं. लेक‍िन जब इजरायल ने उम्मीद के अनुसार जवाबी हमला नहीं किया तो कीमत नीचे आ गईं. उन्होंने यह भी बताया कि जहाजों के किराये और बीमा की ऊंची कीमत से रिफाइनिंग मुनाफे पर भी ज्यादा असर नहीं पड़ेगा.

ऑयल सप्‍लाई में क‍िसी तरह का कोई परेशानी नहीं
लेक‍िन ऊंची कीमत का कारण यह है क्‍योंक‍ि तनाव के डर से र‍िस्‍क ज्यादा माना जा रहा है. उन्होंने कहा, 'जैसे-ट्रेडर्स सेंटीमेंट का फायदा उठाते हैं, उसी तरह जहाज चलाने वाले और इंश्‍योरेंस कंपनियां भी करती हैं. इस हालात में ज्यादा से ज्यादा, पश्‍च‍िम एशिया से तेल लाने पर प्रत‍ि बैरल 2-3 सेंट और लंबी दूरी से लाने पर 3-4 सेंट का फर्क पड़ सकता है. रत्‍नाग‍िरी रिफाइनरीज और पेट्रोकेमिकल्स के सीईओ और एचपीसीएल के पूर्व चेयरमैन एमके सुराणा भी ऑयल सप्‍लाई में क‍िसी तरह का कोई परेशानी नहीं देखते.

उन्‍होंने बताया क‍ि मार्केट पहले ही यूक्रेन जंग और इजरायल-गाजा लड़ाई को लेकर सामान्य हो चुका था. अब ईरान की स्थिति से फिर से परेशानी बढ़ने का डर है. ये परेशानी खबरों के उतार-चढ़ाव के साथ कम-ज्यादा होती रहती है. एक्सपर्ट का कहना है कि तेल की सप्लाई सिर्फ तब रुक सकती है, जब ईरान स्‍ट्रेट ऑफ होर्मुज को बंद कर दे, जहां से दुनियाभर का एक तिहाई तेल जहाजों से जाता है.

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