Cell Damage In Long Covid: स्विस रिसर्चर्स की एक टीम ने डिकोड किया है कि शरीर की इम्यूनिटी सिस्टम का एक हिस्सा लंबे समय तक रहने वाले कोविड में अहम भूमिका निभाता है. सार्स-सीओवी-2 वायरस से संक्रमित ज्यादातर लोग गंभीर बीमारी के बाद ठीक हो जाते हैं. हालांकि, संक्रमित लोगों में कुछ को लंबे समय तक चलने वाले लक्षणों का सामना करना पड़ता है. लॉन्ग कोविड के कारण अभी भी नामालूम हैं. अब तक इसका कोई मेडिकल जांच या सटीक इलाज नहीं हैं.
स्विट्जरलैंड में ज्यूरिख विश्वविद्यालय की स्टडी में सेल डेमैज का कारण डिकोड
स्विट्जरलैंड में ज्यूरिख विश्वविद्यालय (UZH) की स्टडी ने लॉन्ग कोविड बारे में शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली के एक हिस्से की भूमिका को इंगित किया जो आम तौर पर संक्रमण से लड़ने और क्षतिग्रस्त और संक्रमित शरीर कोशिकाओं को खत्म करने में मदद करता है. यूजेडएच में इम्यूनोलॉजी के प्रोफेसर ओनूर बॉयमैन ने कहा, "लंबे समय तक कोविड वाले रोगियों में प्रतिरक्षा प्रणाली का एक हिस्सा जिसे पूरक प्रणाली कहते हैं, अपनी मूल स्थिति में वापस नहीं आती, बल्कि सक्रिय रहती है और इस तरह स्वस्थ शरीर की कोशिकाओं को भी नुकसान पहुंचाती है."
जर्नल साइंस में पब्लिश रिपोर्ट में रिसर्चर्स ने एक्टिव लॉन्ग कोविड पर क्या बताया
जर्नल साइंस में पब्लिश रिपोर्ट में रिसर्चर्स ने सार्स-सीओवी-2 संक्रमण के बाद एक वर्ष तक 113 कोविड-19 मरीजों का अध्ययन किया और उनकी तुलना 39 स्वस्थ लोगों से की. छह महीने के बाद 40 मरीजों में सक्रिय लॉन्ग कोविड बीमारी थी. अध्ययन में हिस्सा लेने वाले के खून में 6,500 से अधिक प्रोटीन का तीव्र संक्रमण के दौरान और छह महीने बाद विश्लेषण किया गया.
बॉयमैन की टीम में शामिल पोस्टडॉक्टरल रिसर्चर कार्लो सर्विया-हस्लर ने समझाया, "लॉन्ग कोविड में किन प्रोटीनों में बदलाव किया गया, इसके विश्लेषण से पूरक प्रणाली की अत्यधिक गतिविधि की पुष्टि हुई. सक्रिय लॉन्ग कोविड वाले रोगियों में भी खून में प्रोटीन का स्तर ऊंचा था, जो लाल रक्त कोशिकाओं, प्लेटलेट्स और रक्त वाहिकाओं सहित शरीर की विभिन्न कोशिकाओं को नुकसान का संकेत देता है."
एक्टिव लॉन्ग कोविड की पहचान खून में प्रोटीन पैटर्न से होती है, रिसर्च रिपोर्ट में दावा
एक्टिव लॉन्ग कोविड में ब्लड प्रोटीन में परिवर्तन पूरक प्रणाली के प्रोटीन के बीच संबंध का संकेत देते हैं, जो रक्त के थक्के जमने और टीशू क्षति और सूजन की मरम्मत में शामिल होते हैं. इसके उलट, लंबे समय तक बीमारी से उबरने वाले कोविड रोगियों का रक्त स्तर छह महीने के भीतर सामान्य हो गया. इसलिए एक्टिव लॉन्ग कोविड की पहचान खून में प्रोटीन पैटर्न से होती है.
बॉयमैन ने कहा, "हमारा काम न केवल बेहतर इलाज की नींव रखता है, बल्कि मेडिकल रिसर्च का भी समर्थन करता है जिनका इस्तेमाल पूरक प्रणाली को विनियमित करने के लिए किया जा सकता है. यह लंबे समय तक कोविड वाले मरीजों के लिए अधिक डेडिकेटेड इलाज के विकास के लिए नए रास्ते खोलता है."
नीदरलैंड की एम्स्टर्डम यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर में भी एक्टिव लॉन्ग कोविड पर स्टडी
एक्टिव लॉन्ग कोविड के इसी सवाल को लेकर पहले नीदरलैंड की एम्स्टर्डम यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर में एक स्टडी की जा चुकी है. स्टडी में शामिल किए गए कुल 46 लोगों में से 25 को पहले कोविड-19 हो चुका था. वहीं बाकी 21 लोग कभी कोरोना वायरस के संपर्क में नहीं आए थे.सभी 46 लोगों के 15 मिनट तक साइकिल चलाने के बाद पाया गया कि बाकी लोगों की तुलना में कोरोना से ठीक हुए लोगों की मसल्स में एनर्जी कम बनती है. इसका मतलब है कि कोरोना संक्रमण से रिकवर होने के बाद भी लोग कई तरह की शारीरिक परेशानियों से जूझ रहे हैं.
लॉन्ग कोविड के क्या हैं लक्षण, क्यों कमजोर हो जाता है मरीज का इम्यून सिस्टम
लॉन्ग कोविड के मरीजों को याददाश्त में कमी, थकावट, सांस लेने में तकलीफ, चक्कर आना, सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द जैसे शारीरिक बदलावों को लेकर शिकायत करते देखा जाता है. क्योंकि कोरोनावायरस श्वसन तंत्र के अलावा मल्टीऑर्गन को नुकसान पहुंचाता है. इससे मरीज का इम्यून सिस्टम बेहद कमजोर हो जाता है. कई बार लंबे समय तक ICU या हॉस्पिटल में रहने से कोविड मरीज मेंटली भी कमजोर हो जाता है. इससे उबरने में भी समय लगता है. इसे पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) कहा जाता है.
लॉन्ग कोविड या पोस्ट कोविड सिंड्रोम से कैसे करें बचाव, क्या है उपाय
लॉन्ग कोविड या पोस्ट कोविड सिंड्रोम को लेकर विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोनावायरस निगेटिव होने यानी रिकवर होने के बाद भी वायरस के प्रभाव से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है.इसलिए तमाम तरह के इंफेक्शन से बचना चाहिए. अगर पहले से कोई बीमारी है तो पूरी तरह रिकवर होने में कई महीने या साल भर का समय भी लग सकता है. अभी तक लॉन्ग कोविड के इलाज की कोई सटीक दवा नहीं बन पाई है. दुनिया भर के कई देशों में इसे लेकर रिसर्च चल रही हैं. ऐसे में बचाव ही सबसे बेहतर उपाय है.
खानपान में बदलाव के साथ प्राणायाम, ध्यान, पजल्स और शतरंज अपनाएं
रेगुलर ब्रींदिग एक्सरसाइज या प्राणायाम कोविड-19 से रिकवरी के बाद कमजोर नाक और फेफड़े के लिए बेहद जरूरी है. सांसों के व्यायाम से कुछ ही महीनों में फेफड़े मजबूत हो जाएंगे और बार-बार होने वाली सर्दी, खांसी में भी राहत मिलेगी. भूलने की बीमारी या ब्रेन फॉग, किसी काम में मन न लगने की दिक्कत होने पर नियमित ध्यान करने के अलावा पजल्स और चेस जैसे गेम जरूर खेलने चाहिए.साथ ही प्रोटीन, विटामिन, फाइबर, आयरन, मिनरल्स को अपने खाने में शामिल करें. वहीं, कफ और बदहजमी से बचने के लिए तले हुए या ज्यादा मसालेदार खाने से बचना चाहिए.