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Explainer: सोनिया गांधी या मेनका, संसद में किसका पलड़ा भारी; समझिए आंकड़ों की जुबानी

Sonia Gandhi Vs Maneka Gandhi: गांधी- नेहरू परिवार की बहू सोनिया गांधी और मेनका गांधी की शुरू से राजनीतिक अदावत रही है. सोनिया गांधी ने 7 बार लोकसभा चुनाव जीते हैं. क्या उन्होंने इस मामले में अपनी देवरानी को पीछे छोड़ दिया है या माजरा कुछ और है.

Explainer: सोनिया गांधी या मेनका, संसद में किसका पलड़ा भारी; समझिए आंकड़ों की जुबानी
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Devinder Kumar|Updated: Feb 16, 2024, 06:29 PM IST

Sonia Gandhi- Maneka Lok Sabha Election History: सोनिया गांधी और मेनका गांधी नेहरू- गांधी परिवार की खास मेंबर हैं और आपस में जेठानी- देवरानी का रिश्ता साझा करती हैं. एक ही परिवार से जुड़े होने के बावजूद दोनों की कभी बनी नहीं, जिसका असर उनके राजनीतिक जीवन पर भी नजर आया. सोनिया गांधी ने जहां अपनी कांग्रेस पार्टी में रहते हुए राजनीति का ग्राफ आगे बढ़ाया, वहीं मेनका गांधी बीजेपी में शामिल होकर राजनीति में लगातार सक्रिय रहीं. दोनों नेताओं में लोकसभा चुनाव में सबसे ज्यादा और बड़े अंतर से जीत हासिल करने की भी होड़ रही है. सोनिया गांधी पिछले 25 साल से रायबरेली सीट से लोकसभा चुनाव जीत रही हैं. अगर इस जीत को ही राजनीतिक सफलता का पैमाना माना जाए को क्या सोनिया अपनी देवरानी पर भारी पड़ती हैं या माजरा कुछ है. आइए आज आपको आंकड़ों के जरिए बताते हैं कि दोनों नेताओं में संसदीय जीत में कौन किस पर भारी रहा है.

रायबरेली की जनता को लिखा भावुक पत्र

सबसे पहले आपको यह बताते हैं कि कांग्रेस पार्टी में सबसे लंबे वक्त तक अध्यक्ष रहीं सोनिया गांधी अब लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगी. वे अब राज्यसभा की सदस्य बनेंगी. इसके लिए उन्होंने राजस्थान से पार्टी उम्मीदवार के रूप में नामांकन दाखिल किया है. उन्होंने अपने संसदीय क्षेत्र रायबरेली की जनता को एक भावुक पत्र लिखकर इस फैसले के बारे में जानकारी दी है. साथ ही बताया है कि बढ़ती उम्र (77) और खराब सेहत की वजह से उन्हें ये डिसीजन लेना पड़ा है. 

गिरती सेहत के लिहाज से उचित फैसला

बताते चलें कि सोनिया गांधी पिछले 25 वर्षों से लोकसभा सांसद हैं और अब वे लोकसभा छोड़कर संसद के ऊपरी सदन यानी राज्यसभा में जा रही हैं. ऊपरी सदन का मेंबर बनने वाले सांसद किसी विशेष क्षेत्र की जनता के लिए उत्तरदायी नहीं होते और उन्हें भागदौड़ भी कम करनी पड़ती है. ऐसे में गिरती सेहत के लिहाज से सोनिया गांधी का यह फैसला उचित माना जा रहा है. 

सोनिया से पहले इंदिरा बन चुकी हैं राज्यसभा मेंबर

गांधी- नेहरू परिवार के सदस्य अधिकतर लोकसभा चुनाव जीतकर संसद में पहुंचना पसंद करते रहे हैं. इसके जरिए उन्हें देश के लोगों के सामने अपनी लोकप्रियता दिखाने का भी मौका मिलता है. ऐसे में लोकसभा छोड़कर सोनिया गांधी का राज्यसभा की ओर मूव करना काफी लोगों को चौंका रहा है. इसके बावजूद ऐसा नहीं कि राज्यसभा जाने वाली सोनिया गांधी गांधी- नेहरू परिवार की पहली सदस्य होंगी. उनसे पहले उनकी सास यानी इंदिरा गांधी वर्ष 1964 से 1967 तक राज्यसभा मेंबर रही थीं. अब सोनिया गांधी अपने परिवार की दूसरी सदस्य होंगी, जो राज्यसभा जा रही हैं.

परिवार में किसने जीते ज्यादा चुनाव

अगर सबसे ज्यादा लोकसभा लोकसभा चुनाव जीतने की बात की जाए तो सोनिया गांधी के हिस्से में 7 जीत हैं. यानी कि वे 7 बार लोकसभा चुनाव जीत चुकी हैं. जबकि उनकी सास इंदिरा गांधी 5 बार, राहुल गांधी 4 बार, फिरोज वरुण गांधी 3 बार, राजीव गांधी 3 बार, जवाहर लाल नेहरू 3 बार और संजय गांधी ने एक बार लोकसभा चुनाव जीता था. 

रेस में देवरानी से पिछड़ीं सोनिया गांधी

यह टेली देखने से ऐसा लगता है कि नेहरू- गांधी परिवार में सबसे ज्यादा लोकसभा चुनाव जीतने के मामले में सोनिया गांधी अव्वल हैं लेकिन यह पूरा सच नहीं हैं. उनकी देवरानी यानी मेनका गांधी इस रेस में उनसे आगे हैं. उन्होंने 8 बार लोकसभा चुनाव जीते हैं. यानी वे पिछले 40 साल से सांसद हैं. जबकि सोनिया गांधी ने लोकसभा में जो 7 जीत तय की, उनमें से 5 सीधी जीत थी. जबकि 2 उपचुनाव थे. इस हिसाब से वे 25 साल से सांसद हैं. 

सोनिया के नाम दिलचस्प रिकॉर्ड

सोनिया गांधी के मामले में एक खास बात ये है कि वे आज तक कोई भी लोकसभा चुनाव नहीं हारी हैं. जबकि उनके बेटे राहुल गांधी, सास इंदिरा गांधी, देवर संजय गांधी और देवरानी मेनका गांधी को एक- एक बार लोकसभा चुनाव में हार झेलनी पड़ी है. अपनी सास इंदिरा गांधी की रायबरेली सीट को अपनी कर्मभूमि बनाने वाली सोनिया गांधी को पहले लोकसभा चुनाव में 80 प्रतिशत वोट मिले थे. लेकिन देश में जैसे- जैसे पीएम मोदी का ग्राफ चढ़ा तो उनका वोट पर्सेंटेज कम होता चला गया. वर्ष 2019 में हुए चुनाव में सोनिया गांधी रायबरेली सीट से फिर जीती थीं, हालांकि उनका वोट पर्सेंटेज घटकर 55 फीसदी रह गया था. ऐसे में अगर कहा जाए कि संसद में जेठानी सोनिया के बजाय उनकी देवरानी मेनका का दबदबा रहा है तो कुछ गलत नहीं होगा.

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