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राज्यसभा चुनाव: कमला कछार के संजय और कोसी किनारे के मनोज का बढ़ रहा बिहार की सियासत में कद!

बिहार से राज्यसभा चुनाव के लिए जदयू ने पूर्व मंत्री संजय झा को पहली बार और राजद ने प्रोफेसर मनोज कुमार झा को दोबारा उम्मीदवार बनाया है. दोनों नेताओं ने बिहार विधानसभा सचिव के सामने दो-दो सेट में अपना नामांकन दाखिल कर दिया है. दोनों निर्विरोध संसद के उच्च सदन में पहुंच जाएंगे. 

राज्यसभा चुनाव: कमला कछार के संजय और कोसी किनारे के मनोज का बढ़ रहा बिहार की सियासत में कद!
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Keshav Kumar|Updated: Feb 16, 2024, 11:02 PM IST

Bihar Politics: बिहार की 6 राज्यसभा सीटों पर 27 फरवरी को होने वाले चुनाव के लिए एनडीए और महागठबंधन के खाते में तीन-तीन सीटें हैं. इनमें दोनों ओर से एक-एक उम्मीदवार पर सबकी निगाहें हैं. सत्तारुढ़ जदयू की ओर से संजय झा और विपक्षी राजद की ओर से प्रोफेसर मनोज कुमार झा ने नामांकन पत्र भर दिया है. राजद नेता मनोज ने दूसरी बार और संजय झा ने पहली बार राज्यसभा के लिए नामांकन भरा है. 

राजद-जदयू गठबंधन के वक्त दोस्त अब सियासी तौर पर आमने-सामने

इसके बाद दोनों ही नेता को लेकर बिहार की राजनीति में चर्चा तेज हो गई है. राज्यसभा में साथ-साथ जाने के अलावा भी दोनों नेताओं में काफी समानताएं ढूंढी और बताई जाने लगी हैं. राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, बिहार की सियासत में कमला कछार के संजय झा और कोसी किनारे के मनोज झा का कद लगातार बढ़ रहा है. राजद-जदयू गठबंधन के वक्त दोस्त अब सियासी तौर पर आमने-सामने हैं, लेकिन राजनीतिक परिपक्वता दोनों को ही अलग धरातल पर काफी गहरे जोड़ती है.

अलग-अलग समाजवादी दलों में तेजी से बढ़े मीडिया फ्रेंडली दोनों नेता 

बिहार की राजनीति में बड़े चेहरे के रूप में तेजी से उभर रहे जदयू नेता संजय झा और राजद नेता मनोज झा कुशल रणनीतिकार, भरोसेमंद राजनेता, अच्छे वक्ता और कठोर प्रशासक माने जाते हैं. अलग-अलग समाजवादी दलों के दोनों नेता मीडिया फ्रेंडली हैं. संजय झा जहां बिहार में सूचना एवं प्रसारण विभाग संभाल चुके हैं. वहीं, मनोज झा नेशनल टीवी चैनलों पर लगातार नजर आते रहे हैं. तमाम मीडिया घरानों से दोनों नेताओं के अच्छे संबंध बताए जाते हैं. राज्यसभा जाने के लिए दोनों नेताओं ने एक दिन के अंतर पर नामांकन दाखिल किया.

जन्म साल, जाति, इलाका, भाषा, खानपान... साझा करते हैं कई समानताएं

संजय झा और मनोज झा दोनों ही नेता बिहार में खास इलाके के मिथिला के हैं. एक ही इलाके के अलावा दोनों एक समाज यानी ब्राह्मण जाति से आते हैं. मैथिल ब्राह्मण संजय झा मधुबनी जिला के और मनोज झा सहरसा के रहने वाले हैं. मिथिलांचल के खानपान और मैथिली की मीठी जुबान को लेकर दोनों ही लोकप्रिय है. दिलचस्प बात यह भी है कि दोनों का जन्म भले ही अलग-अलग महीने यानी अगस्त और दिसम्बर में हुआ, मगर साल एक ही है. 1967 में जन्म लेने वाले दोनों नेताओं की उम्र 56 साल है. 

लंबे समय से जदयू और नीतीश कुमार के संकटमोचक कहे जाते हैं संजय झा

संजय झा और मनोज झा दोनों ही नेता अपने-अपने सियासी दलों के आलाकमान के बेहद करीबी और लंबे समय से भरोसेमंद चेहरे हैं. संजय झा जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेहद नजदीक हैं. नीतीश के बड़े और गंभीर राजनीतिक रणनीतियों और अभियानों में सक्रिय जिम्मेदारी निभाते हैं. जदयू के दिल्ली प्रदेश प्रभारी की भूमिका निभानी हो, देश में जदयू संगठन का विस्तार की रणनीति, विपक्षी दलों के इंडिया गठबंधन में समन्वय और 2017 और 2024 दोनों बार भाजपा के साथ वापस अलायंस के लिए नीति बनाने में वह नीतीश कुमार के सबसे करीब दिखे. 

लालू- तेजस्वी के करीबी और राजद के थिंक टैंक माने जाते हैं मनोज झा

दूसरी ओर, फिलहाल राजद के थिंक टैंक माने जाने वाले मनोज झा फिलहाल लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव के काफी करीबी हैं. राजद के लिए रणनीति बनाने और राष्ट्रीय स्तर पर उसकी आवाज बुलंद करने में मनोज आगे रहते हैं. राजद के नारे और नैरिटेव गढ़ने से लेकर नेताओं के भाषण तक तैयार करने में वह महारथी हैं. बौद्धिक जगत के लोगों को राजद की ओर आकर्षित करने में लालू यादव खुद उनका लोहा मानते हैं. हाल ही में संसद में ठाकुर का कुआं कविता के बाद बढ़े विवाद में लालू-तेजस्वी ने आगे बढ़कर उनका बचाव किया.

दोनों नेताओं ने दिल्ली में हासिल की ऊंची शिक्षा और सीखे सियासत की गुर

संजय झा और मनोज झा दोनों ही नेताओं ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में पढ़ाई की और राजनीति के गुर सीखे. संजय झा ने दिल्ली स्थित जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी से और मनोज झा ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से ऊंची डिग्री ली है. मनोज झा दिल्ली यूनिवर्सिटी में ही प्रोफेसर भी हैं. संजय झा समावेशी धारी की राजनीति करते हैं तो मनोज झा प्रगतिशील राजनीति के लिए चर्चा में रहते हैं. संजय झा भाजपा नेता अरुण जेटली के मार्फत नीतीश कुमार के करीब आए. वहीं, मनोज झा वामपंथी नेताओं के जरिए लालू परिवार तक पहुंचे. दोनों नेताओं ने दिल्ली में राजनीति की शुरुआत की.

मुख्यधारा की संसदीय राजनीति में मनोज झा से पहले सक्रिय हो गए थे संजय झा

संजय झा साल 2012 से मुख्य धारा की राजनीति में सक्रिय हो गए. वहीं, मनोज झा राजद की ओर से राज्यसभा भेजे जाने के बाद साल 2018 में सुर्खियों में आए. दोनों ही नेता गंभीर राजनीतिक मुद्दों पर पहले से तैयारी करने और विषय पर गहरी समझ बनाने के बाद बोलने के लिए जाने जाते हैं. मनोज झा दूसरी बार राज्यसभा जा रहे हैं. वहीं पहली बार राज्यसभा जाने वाले संजय झा इससे पहले बिहार में राज्य योजना परिषद के सदस्य, दरभंगा से लोकसभा के उम्मीदवार, बिहार विधान परिषद के सदस्य, राज्य सरकार में जल संसाधन विभाग और सूचना एवं प्रसारण विभाग के मंत्री रह चुके हैं.

बिहार से राज्यसभा की 6 सीटों के लिए एनडीए और महागठबंधन के उम्मीदवारों ने पर्चा भरा

बिहार से राज्यसभा की 6 सीटों के लिए एनडीए के तीनों उम्मीदवार यानी जदयू से संजय झा और भाजपा से धर्मशीला गुप्ता और डॉक्टर भीम सिंह ने अपना नामांकन पत्र पहले भर दिया. एक दिन बाद महागठबंधन के तीनों उम्मीदवारों ने अपना नामांकन दाखिल किया. कांग्रेस से प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह और राजद से मनोज कुमार झा और संजय यादव ने राज्यसभा उम्मीदवार के रूप में नामांकन पत्र भरा.

 

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