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Explainer: ऑनलाइन FIR, IPC की जगह BNS... आज से लागू नए आपराधिक कानूनों की 10 बड़ी बातें

New Criminal Laws: 01 जुलाई 2024 से, देशभर में तीन नए आपराधिक कानून प्रभावी हो रहे हैं. ब्रिटिश काल के IPC, CrPC और एविडेंस एक्ट की जगह लेने वाले नए कानूनों के तहत 10 प्रमुख बदलाव क्या हैं?

Explainer: ऑनलाइन FIR, IPC की जगह BNS... आज से लागू नए आपराधिक कानूनों की 10 बड़ी बातें
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Deepak Verma|Updated: Jul 01, 2024, 07:33 AM IST

New Criminal Laws In India: भारत की न्याय व्यवस्था में 01 जुलाई 2024 से बड़ा बदलाव हो रहा है. अंग्रेजों के समय बने आपराधिक कानूनों की जगह तीन नए कानून लागू हो चुके हैं. सोमवार से देशभर में भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम प्रभावी हुए. 01 जुलाई से पहले दर्ज हुए सभी मुकदमे IPC, CrPC और इंडियन एविडेंस एक्ट के तहत ही चलेंगे. नए कानूनों के तहत किए गए 10 बड़े बदलाव आगे जानिए.

  1. क्या से क्या बदला: अंग्रेजों के समय इंडियन पीनल कोड (IPC), क्रिमिनल प्रोसीजर कोड (CrPC) और इंडियन एविडेंस एक्ट (IAC) बनाया गया था. तीनों कानूनों की जगह 01 जुलाई से क्रमश: भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) प्रभावी हुए.
  2. IPC vs BNS: IPC में कुल 511 धाराएं थीं, BNS में 358 हैं. आईपीसी के तमाम प्रावधानों को भारतीय न्याय संहिता में कॉम्पैक्ट कर दिया गया है. आईपीसी के मुकाबले बीएनएस में 21 नए अपराध जोड़े गए हैं. 41 अपराध ऐसे हैं जिसमें जेल का समय बढ़ाया गया है. 82 अपराधों में जुर्माने की रकम बढ़ी है. 25 अपराध ऐसे हैं जिनमें न्यूनतम सजा का प्रावधान किया गया है. छह तरह के अपराध पर कम्युनिटी सर्विस करनी होगी. 19 धाराएं हटाई गई हैं.
  3. 01 जुलाई से क्या होगा: 01 जुलाई 2024 से सभी FIRs भारतीय न्याय संहिता के प्रावधानों के तहत लिखी जाएंगी. इससे पहले जो भी मुकदमे IPC, CrPC या एविडेंस एक्ट के तहत दर्ज हुए थे, वे उसी के हिसाब से चलेंगे. पुराने मामलों पर नए आपराधिक कानूनों का प्रभाव नहीं पड़ेगा.
  4. कहां दर्ज होगी FIR: नए आपराधिक कानूनों के तहत, आप कहीं से भी अपराध की शिकायत कर सकते हैं. ऑनलाइन FIR रजिस्टर करा सकते हैं. पुलिस थाने जाने की जरूरत नहीं है. जीरो FIR की शुरुआत हुई है जिससे कोई किसी भी पुलिस स्टेशन में, FIR दर्ज करा सकता है.
  5. महिलाओं के लिए: रेप पीड़ितों के बयान महिला पुलिस अधिकारी दर्ज करेंगी. इस दौरान पीड़ित के अभिभावक या रिश्तेदार की मौजूदगी जरूरी है. मेडिकल रिपोर्ट सात दिनों के भीतर पूरी हो जानी चाहिए. नए कानून में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों की सूचना दर्ज होने के दो महीने के भीतर जांच पूरी की जानी चाहिए. पीड़ितों को 90 दिनों के भीतर अपने मामले की प्रगति के बारे में जानकारी मिल सकेगी. बच्चे को खरीदना या बेचना जघन्य अपराध माना गया है. दोषी पाए जाने पर कड़ी सजा का प्रावधान है. नाबालिग के साथ सामूहिक बलात्कार के लिए मौत की सजा या आजीवन कारावास का प्रावधान किया गया है. वैसे मामलों के लिए सजा का प्रावधान किया गया है जहां महिलाओं को शादी के झूठे वादे करके गुमराह करके छोड़ दिया जाता है. 
  6. अन्य बदलाव: गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को यह अधिकार होगा कि वह मदद के लिए जिसे चाहे, उसे सूचना दे सके. गिरफ्तारी की जानकारी थानों और जिला मुख्यालय में प्रमुखता से दी जाएगी. गंभीर अपराध की स्थिति में, मौके पर फॉरेंसिक टीम का जाना अनिवार्य है.  आपराधिक मामलों में ट्रायल खत्म होने के 45 दिनों के भीतर फैसला सुना दिया जाना चाहिए. पहली सुनवाई के 60 दिन के भीतर आरोप तय हो जाने चाहिए. सभी राज्यों की सरकारें गवाहों की सुरक्षा और सहयोग सुनिश्चित करने के लिए विटनेस प्रोटेक्शन योजनाएं लागू करें.
  7. मुकदमेबाजी से जुड़े बदलाव: किसी भी मामले में, आरोपी और पीड़ित दोनों को 14 दिनों के भीतर एफआईआर, पुलिस रिपोर्ट, चार्जशीट, बयान, इकबालिया बयान और अन्य दस्तावेजों की कॉपी पाने का अधिकार है. मामले की सुनवाई में गैर-जरूरी देरी न हो, इसके लिए अदालतों को अधिकतम दो बार स्थगन की अनुमति होगी.
  8. CrPC vs BNSS: CrPC में 484 धाराएं थीं, BNSS में 531 हैं. CrPC की 177 धाराओं में बदलाव कर उन्हें BNSS में भी जगह दी गई है, 9 धाराएं और 39 उप-धाराएं जोड़ी गई हैं. CrPC की 14 धाराओं को न्यायिक प्रक्रिया से बाहर कर दिया गया है.
  9. Indian Evidence Act vs Bharatiya Sakshya Adhiniyam: एविडेंस एक्ट की जगह BSA लागू हो रहा है. 24 धाराओं में बदलाव कर BSA में कुल 170 धाराएं हैं. दो उप-धाराएं जोड़ी गई हैं और छह हटाई गई हैं.
  10. क्यों बदलाव किए गए: भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) को अधिनियमित होने के छह महीने बाद लागू किया जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने पिछले कार्यकाल में नए कानूनों को लाने के पीछे की नीयत समझाई थी. नए आपराधिक कानूनों के तहत, पुलिसिंग में 'डंडे' की जगह 'डेटा' लेगा. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में बहस के दौरान कहा था कि नए कानूनों का फोकस सजा देने के बजाय न्याय प्रदान करना है. साथ ही साथ पीड़ितों और आरोपियों के अधिकारों की रक्षा करना.
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