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बहुत बड़े खतरे की ओर धरती, पश्चिमी अंटार्कटिका को रोकना मुश्किल..डूब जाएगा दुनिया का ये हिस्सा

Ice Sheet: अगर ऐसा हुआ तो तबाही मच जाएगी. यह एक भयानक भविष्यवाणी है लेकिन यह वास्तविक होगी. पहले ही पश्चिमी अंटार्कटिका में बर्फ की चादर के पिघलने में तेजी देखी गई है, 20वीं शताब्दी के अंत से, बर्फ की चादर चालीस प्रतिशत से अधिक सिकुड़ गई है.

बहुत बड़े खतरे की ओर धरती, पश्चिमी अंटार्कटिका को रोकना मुश्किल..डूब जाएगा दुनिया का ये हिस्सा
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Gaurav Pandey|Updated: Oct 30, 2023, 10:54 PM IST

West Antarctica: जलवायु परिवर्तन का एक और भंयकर परिणाम सामने आ रहा है. यह एक नए अध्ययन से पता चला है कि पश्चिमी अंटार्कटिका की बर्फ की चादर अब इतनी तेजी से पिघल रही कि इसे रोकना मुमकिन नहीं है. यदि ऐसा होता है तो परिणाम भयानक होंगे. पश्चिमी अंटार्कटिका की बर्फ की चादर समुद्र के स्तर को 5.3 मीटर यानि कि 17.4 फीट तक बढ़ा सकती है. यह दुनिया भर के तमाम तटीय शहरों को तबाह कर देगा, लाखों लोगों को विस्थापित कर देगा और साथ ही लाखों लोगों को बेघर कर देगा. इसका मतलब यह हुआ कि धरती का एक बड़ा हिस्सा डूब जाएगा.

गर्म पानी के कारण तेजी से पिघल रही
दरअसल, हाल ही में 'नेचर' पत्रिका द्वारा एक रिसर्च प्रकाशित किया गया है. इस रिसर्च का नाम 'इक्कीसवीं सदी में पश्चिम अंटार्कटिक बर्फ-शेल्फ के पिघलने में वृद्धि' दिया गया है. इसे ब्रिटिश अंटार्कटिक सर्वेक्षण में काम करने वाले कैटलिन नॉटेन और पॉल आर हॉलैंड के साथ नॉर्थम्ब्रिया यूनिवर्सिटी के जान डी रिड्ट द्वारा किया गया है. इस रिसर्च में ऐसी प्रबल संभावनाएं जताई गई हैं जिसे जानना बहुत ही जरूरी है. बताया गया कि गर्म पानी के कारण यह बर्फ की चादर तेजी से पिघल रही है. यह पिघलना इतना तेज़ है कि ग्लोबल वार्मिंग को सीमित करने के लिए किए गए सभी प्रयासों के बावजूद बर्फ की चादर के पूरी तरह से गायब हो सकती है.

तबाही से बचने का सिर्फ एक उपाय
अगर ऐसा हुआ तो तबाही मच जाएगी. यह एक भयानक भविष्यवाणी है लेकिन यह वास्तविक होगी. पहले ही पश्चिमी अंटार्कटिका में बर्फ की चादर के पिघलने में तेजी देखी गई है, 20वीं शताब्दी के अंत से, बर्फ की चादर चालीस प्रतिशत से अधिक सिकुड़ गई है. इससे बचने का सिर्फ एक उपाय कि बहुत ही जल्दी और तेजी से जरूरी कार्रवाई करने की आवश्यकता है. कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है. यदि ऐसा नहीं करते हैं, तो हम भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक विनाशकारी विरासत छोड़ देंगे.

समुद्र के स्तर में वृद्धि
ग्लोबल वार्मिंग के चलते इस चादर के पिघलने की दर में 21वीं सदी में 10% की वृद्धि होगी. यदि यह बढ़ गया तो समुद्र के स्तर में वृद्धि का कारण बनेगा. अध्ययन के प्रमुख लेखक कैटलिन नॉटेन ने बताया कि अध्ययन बताता है कि पश्चिम अंटार्कटिक बर्फ-शेल्फ का पिघलना अब और भी तेज़ होगा, यह एक गंभीर चिंता का विषय है. अध्ययन ने पाया कि पिघलने की दर में वृद्धि के कई कारण हैं. इस रिसर्च रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि अंटार्कटिका के अमुंडसेन सी में बहने वाली बर्फ की पट्टियों के नीचे का पानी तेजी से गर्म हो रहा है.

कार्बन उत्सर्जन कम करना होगा
यह गर्म पानी बर्फ की पट्टियों को पिघला रहा है. अगर हमने कार्बन उत्सर्जन को कम नहीं किया, तो 21वीं सदी में समुद्र 20वीं सदी की तुलना में तीन गुना तेजी से गर्म होंगे. इससे अंटार्कटिका की बर्फ की पट्टियां और भी तेजी से पिघलेंगी. हमने जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाया तो अंटार्कटिका में बर्फ की पट्टियां तेजी से पिघलती जाएंगी और समुद्र का पानी तीन गुना तेजी से गर्म होता जाएगा. इससे समुद्र का स्तर बढ़ेगा, तटीय इलाकों में बाढ़ आएगी और मौसम की चरम घटनाएं बढ़ेंगी.

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