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किसान, आरक्षण.. कहां चूक गई बीजेपी, 400 तो दूर 300 भी हो रहा मुश्किल

Election Result: लोकसभा चुनाव परिणाम चौंकाने वाले आ रहे हैं. इसके कारणों की तह में जाएंगे. यह बात सही है कि लोकसभा चुनाव प्रचार की शुरुआत में आत्मविश्वास से लबरेज बीजेपी अपने उन मुद्दों पर सवार थी जिसमें विपक्ष बैकफुट पर नजर आ रहा था. लेकिन सवाल है कि देखते ही देखते और आखिरी दौर आते-आते क्या बीजेपी ने अपने सारे मुद्दे बदल दिए थे.

किसान, आरक्षण.. कहां चूक गई बीजेपी, 400 तो दूर 300 भी हो रहा मुश्किल
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Gaurav Pandey|Updated: Jun 04, 2024, 01:03 PM IST

Loksabha Chunav 2024: लोकसभा चुनाव 2024 की मतगणना जारी है. लेकिन जो शुरुआती रुझान और परिणाम आ रहे हैं वो बीजेपी के लिए काफी चौंकाने वाले हैं. 400 पार के नारे के साथ चुनाव प्रचार में उतरी बीजेपी को 300 के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है. लेकिन इसी बीच एक्सपर्ट्स अब उन कारणों को खंगालने में जुट गए हैं कि आखिर क्या कारण रहे जिनके चलते बीजेपी चूक गई. इसके लिए थोड़ा पीछे चलने की जरूरत है.

यूं तो लोकसभा चुनाव 2024 का प्रचार जब शुरू हुआ तो एक तरफ मोदी की तूफानी लहर पर सवार बीजेपी ने अपने काम और विकास के मुद्दे पर धुंआधार रैलियां शुरू की थी. उधर कांग्रेस का प्रचार उस बैकग्राउंड में शुरू हुआ जब इंडिया गठबंधन आकार लेने से पहले ही कई बार हिलोरे खा चुका था, नीतीश जा चुके थे, ममता आंख दिखा ही रही थीं. लेकिन फिर गेम बदल गया. 

यहां तक कि चुनाव का आखिरी दो चरण आते-आते राजनीतिक पंडितों को यह मानना पड़ा कि बीजेपी को विपक्ष की पिच में आकर खेलना पड़ा और पीएम मोदी समेत सभी बड़े नेता हिंदू मुस्लिम मुद्दे, कांग्रेस की तीखी आलोचना पर उतारू हो गई. यहां तक कि इंडिया गठबंधन के नेता चार सौ पार के नारे का मजाक भी उड़ाते दिख रहे थे. इसी बीच असली खेला जनता ने कर दिया था. 

वो मुद्दे जिन पर जनता का मूड नहीं भांप पाई बीजेपी

चुनाव प्रचार के दौरान ही ऐसा क्या हुआ कि एनडीए के नेताओं को विकास के मुद्दे को छोड़ हिंदू मुस्लिम, मुस्लिम आरक्षण और कांग्रेस की आलोचनाओं को ही हवा देनी पड़ी थी. ऐसा इसलिए क्योंकि विपक्ष ने उन मुद्दों की हवा दे दी जिनसे जनता कनेक्ट हो पा रही थी. इनमें किसान आंदोलन, आरक्षण और यहां तक कि बीजेपी के कई स्थानीय नेता तो संविधान बदलने की बात भी कहते नजर आए. इन्हीं सब मुद्दों को इंडिया गठबंधन ने चुनाव में उठाया और जनता के बीच इन मुद्दों की खूब चर्चा रही. कुछ लोगों ने महंगाई की भी बात की है. 

स्थानीय नेताओं की बयान बाजी.. आरक्षण की चर्चा और फिर संविधान

वैसे तो पीएम मोदी ने सिर्फ मुस्लिम आरक्षण का विरोध किया लेकिन यूपी बिहार के कई जगहों पर यह देखने को मिला कि कई स्थानीय नेताओं ने आरक्षण पर ही प्रहार किया जिससे कई जगहों पर यह मामला गरमा गया. यहां तक कि गृहमंत्री अमित शाह को एक टीवी इंटरव्यू में बयान देना पड़ा कि जब तक बीजेपी है आरक्षण को खत्म नहीं किया जाएगा और ना ही ऐसे होने देंगे.

कुछ राजनीतिक एक्सपर्ट्स का यह भी मानना है कि किसान आंदोलन.. आरक्षण और संविधान की चर्चा ये यह मैसेज भी कई जगहों पर गया है कि क्या संविधान बदलकर आरक्षण खत्म करने की बात की जा रही है. हालांकि इस बारे में बीजेपी पहले ही अपना रूख स्पष्ट कर चुकी है. इधर इस बीच पीएम मोदी की गांधी फिल्म पर टिप्पणी भी खूब चर्चा में रही है. इसको लेकर भी विपक्ष हमलावर हो गया. 

गेंद मतदाताओं के पाले में थी.. 

अब जबकि चुनाव परिणाम आ रहे हैं. मतदाता इस दौरान साइलेंट बने रहे. पीएम मोदी के ध्यान योग की भी चर्चा रही. इसको लेकर भी कांग्रेस ने आरोप लगाए थे. यहां एक चीज यह भी रहा पूरे प्रचार में कई राज्यों में कम मतदान और मतदाताओं की चुप्पी भी राजनीतिक एक्सपर्ट्स को खूब खल रही थी. ऐसे में बीजेपी का चार सौ का दावा भी कई एक्सपर्ट्स को खल रहा था. अब शुरूआती रुझान में एनडीए बहुमत के ही आसपास दिख रही है.

अब आगे क्या?

यह तो तय है कि एनडीए का चार सौ पार होना मुश्किल है. यहां तक कि 300 के लिए भी बीजेपी जूझ रही है. तो देखना होगा कि बहुमत के कितना करीब खुद को बीजेपी पाती है. उधर परिणामों से खुश कांग्रेस के लिए यह संजीवनी से कम नहीं है. वो भले ही सरकार ना बना पाए लेकिन राहुल गांधी ने अपनी स्वीकृति जरूर साबित कर दी है. अब देखना होगा कि फाइनल तस्वीर क्या निकलकर सामने आती है. 

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