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Explainer: UPSC में लेटरल एंट्री क्या है? अचानक कैसे मिलती है सीनियर IAS की पावर! रोकी गई भर्ती

Lateral Entry In UPSC: यूपीएससी ने 'लेटरल एंट्री' के जरिए सीनियर अधिकारियों के 45 पदों की भर्ती का विज्ञापन निकाला था. राहुल गांधी, अखिलेश यादव समेत विपक्षी नेताओं ने इस सिस्टम की आलोचना की. केंद्र ने पहले पलटवार किया लेकिन बाद में UPSC से भर्ती वापस लेने को कहा है.

Explainer: UPSC में लेटरल एंट्री क्या है? अचानक कैसे मिलती है सीनियर IAS की पावर! रोकी गई भर्ती
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Deepak Verma|Updated: Aug 20, 2024, 01:54 PM IST

Lateral Entry System: 'लेटरल एंट्री' के जरिए सीनियर ब्यूरोक्रेसी में 'एक्सपर्ट्स' की नियुक्ति वाली व्यवस्था सवालों के घेरे में है. यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन (UPSC) ने 'लेटरल एंट्री' से केंद्र में वरिष्ठ नौकरशाहों की नियुक्ति का विज्ञापन दिया था. लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने इसे 'देश विरोधी कदम' करार दिया है. उन्होंने कहा कि ऐसा करके 'खुलेआम आरक्षण छीना जा रहा है.' सरकार ने सोमवार को तो राहुल के आरोपों पर पलटवार किया. लेकिन कार्मिक एवं प्रशिक्षण मंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देशानुसार लेटरल एंट्री विज्ञापन रद्द करने के लिए यूपीएससी के अध्यक्ष को पत्र लिखा.


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समाजवादी पार्टी (सपा) के अखिलेश यादव और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष मायावती ने भी 'लेटरल एंट्री' के जरिए भर्ती के खिलाफ आवाज उठाई. सरकारी सूत्रों ने सोमवार को कहा कि 'लेटरल एंट्री' का कॉन्सेप्ट पहली बार कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) सरकार के दौरान आया था. केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि 'लेटरल एंट्री' सिस्टम की कांग्रेस द्वारा आलोचना उसका 'पाखंड' दिखाती है. वैष्णव ने कहा कि 2005 में यूपीए सरकार के समय बने प्रशासनिक सुधार आयोग ने लेटरल एंट्री के जरिए विशेषज्ञों की भर्ती की सिफारिश की थी.

'IAS का प्राइवेटाइजेशन करना चाहती है सरकार'

राहुल गांधी ने रविवार को कहा कि 'लेटरल एंट्री' के जरिए भर्ती 'राष्ट्र विरोधी कदम' है. कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि इस तरह की कार्रवाई से अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण 'खुलेआम छीना जा रहा है.' पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 'संघ लोक सेवा आयोग के बजाय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के माध्यम से लोक सेवकों की भर्ती करके संविधान पर हमला कर रहे हैं.'

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राहुल ने कहा, 'मैंने हमेशा कहा है कि शीर्ष नौकरशाहों समेत देश के सभी शीर्ष पदों पर वंचितों का प्रतिनिधित्व नहीं है, उसे सुधारने के बजाय 'लेटरल एंट्री' द्वारा उन्हें शीर्ष पदों से और दूर किया जा रहा है.' नेता प्रतिपक्ष ने कहा, 'यह यूपीएससी की तैयारी कर रहे प्रतिभाशाली युवाओं के हक पर डाका और वंचितों के आरक्षण समेत सामाजिक न्याय की परिकल्पना पर चोट है.'

राहुल गांधी ने कहा कि प्रशासनिक ढांचे और सामाजिक न्याय दोनों को चोट पहुंचाने वाले इस देश विरोधी कदम का 'INDIA' मजबूती से विरोध करेगा. उन्होंने कहा कि आईएएस का 'निजीकरण' आरक्षण खत्म करने की 'मोदी की गारंटी' है.

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लेटरल एंट्री से भर्ती: विपक्ष ने किया जोरदार विरोध

सपा प्रमुख एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस फैसले के खिलाफ दो अक्टूबर से प्रदर्शन करने की चेतावनी दी. यादव ने  पर लिखा, 'भाजपा अपनी विचारधारा के संगी-साथियों को पिछले दरवाजे से यूपीएससी (संघ लोक सेवा आयोग) के उच्च सरकारी पदों पर बैठाने की जो साजिश कर रही है, उसके खिलाफ एक देशव्यापी आंदोलन करने का समय आ गया है.' उन्होंने दावा किया कि यह तरीका आज के अधिकारियों के साथ युवाओं के लिए भी वर्तमान और भविष्य में उच्च पदों पर जाने का रास्ता बंद कर देगा. उन्होंने कहा, 'आम लोग बाबू व चपरासी तक ही सीमित हो जाएंगे. दरअसल यह सारी चाल पीडीए (पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यकों) से आरक्षण और उनके अधिकार छीनने की है.'

बसपा प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने भी सरकार के इस फैसले को गलत बताया. उन्होंने 'एक्स' पर लिखा, 'केंद्र में संयुक्त सचिव, निदेशक एवं उपसचिव के 45 उच्च पदों पर सीधी भर्ती का निर्णय सही नहीं है, क्योंकि सीधी भर्ती के माध्यम से नीचे के पदों पर काम कर रहे कर्मचारियों को पदोन्नति के लाभ से वंचित रहना पड़ेगा.'' उन्होंने कहा, 'इसके साथ ही, इन सरकारी नियुक्तियों में एससी (अनुसूचित जाति), एसटी (अनुसूचित जनजाति) व ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) समुदायों के लोगों को उनके कोटे के अनुपात में अगर नियुक्ति नहीं दी जाती है तो यह संविधान का सीधा उल्लंघन होगा.' मायावती ने कहा कि इन उच्च पदों पर सीधी नियुक्तियां करना भाजपा सरकार की मनमानी होगी, जो कि 'गैर-कानूनी एवं असंवैधानिक होगा.'


'लेटरल एंट्री' पर मायावती का बयान

'लेटरल एंट्री' पर केंद्र सरकार का जवाब

विपक्ष के आरोपों के जवाब में केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि '2005 में वरिष्ठ कांग्रेस नेता वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता में स्थापित दूसरे प्रशासनिक सुधार आयोग (ARC) ने इसका (लेटरल एंट्री) जोरदार समर्थन किया था. वैष्णव ने कहा, 'संप्रग शासन काल में एआरसी ने विशेष ज्ञान की आवश्यकता वाले पदों में रिक्तियों को भरने के लिए विशेषज्ञों की भर्ती की सिफारिश की थी.'

बीजेपी ने दिया DoPT के 2016 वाले नोटिफिकेशन का हवाला

बीजेपी की IT सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने X पर एक पोस्ट में कहा कि सच्चाई यह है कि UPA सरकार के दौरान इस तरह की 'लेटरल' भर्ती बिना किसी प्रक्रिया के होती थी. उन्होंने कहा, 'उस तदर्थवाद को समाप्त कर भारत सरकार ने अब यह सुनिश्चित किया है कि 'लेटरल एंट्री' स्थापित दिशानिर्देशों के आधार पर की जाएं ताकि आरक्षण और आरक्षण प्रणाली पर कोई प्रभाव न पड़े.'

मालवीय ने कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) द्वारा 2016 में जारी किये गये सरकारी ज्ञापन का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि 'लेटरल' भर्तियों में आरक्षण रोस्टर का पालन किया जाए और एससी, एसटी, ओबीसी और विकलांग उम्मीदवारों के लिए निर्धारित अनुपात बनाए रखना चाहिए. उन्होंने आरोप लगाया कि 2018 में भी इस मुद्दे पर भ्रम फैलाने की ऐसी ही कोशिश की गई थी. उन्होंने कहा, 'लेकिन जब डॉ. मनमोहन सिंह और मोंटेक सिंह अहलूवालिया जैसे कई प्रमुख 'लेटरल भर्ती' वाले शख्सों के सवाल उठाए गए तो कांग्रेस स्तब्ध रह गई.'

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'लेटरल एंट्री' से कैसे भर्ती करता है UPSC?

UPSC ने केंद्र के विभिन्न मंत्रालयों में संयुक्त सचिवों, निदेशकों और उप सचिवों के प्रमुख पदों पर 45 विशेषज्ञों की नियुक्ति का विज्ञापन निकाला था आमतौर पर ऐसे पदों पर अखिल भारतीय सेवाओं - भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS), भारतीय पुलिस सेवा (IPS) और भारतीय वन सेवा (IFOS) - और अन्य 'ग्रुप ए' सेवाओं के अधिकारी तैनात होते हैं. UPSC ने शनिवार को 45 पदों के लिए विज्ञापन दिया, जिनमें 10 संयुक्त सचिव और 35 निदेशक/उप सचिव के पद शामिल हैं. इन पदों को अनुबंध के आधार पर 'लेटरल एंट्री' के माध्यम से भरा जाना था.

विज्ञापन में कहा गया, 'भारत सरकार संयुक्त सचिव और निदेशक/उप सचिव स्तर के अधिकारियों की 'लेटरल एंट्री' के जरिये नियुक्ति करना चाहती है. इस तरह, राष्ट्र निर्माण में योगदान देने के आकांक्षी प्रतिभाशाली भारतीय नागरिकों से संयुक्त सचिव या निदेशक/उप सचिव के स्तर पर सरकार में शामिल होने के लिए ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किए जाते हैं.' विभिन्न मंत्रालयों, विभागों में रिक्तियों को अनुबंध के आधार पर तीन साल की अवधि के लिए (प्रदर्शन के आधार पर पांच साल तक बढ़ाया जा सकता है) भरा जाना है. इसके लिए यूपीएससी की वेबसाइट के माध्यम से 17 सितंबर तक आवेदन किए जा सकते हैं. 

'लेटरल एंट्री' वालों की सैलरी कितनी होती है?

यूपीएससी की ओर से, केंद्र सरकार में संयुक्त सचिव, निदेशक और उप सचिव के स्तर पर 'लेटरल एंट्री' से भर्ती 2018 से ही की जा रही है. अब तक 'लेटरल एंट्री' के जरिए 63 नियुक्तियां की गई हैं, जिनमें से 35 नियुक्तियां निजी क्षेत्र से हैं. संयुक्त सचिव स्तर के पद के लिए न्यूनतम और अधिकतम आयु सीमा क्रमशः 40 और 55 वर्ष है. अनुमानित सकल वेतन महंगाई, परिवहन और मकान किराया भत्ते सहित लगभग 2.7 लाख रुपये होगा.

लेटरल एंट्री सिस्टम: जानिए कौन और कैसे कर सकता है अप्लाई

निदेशक स्तर के पद के लिए न्यूनतम आयु 35 वर्ष और अधिकतम आयु 45 वर्ष है. चयनित उम्मीदवारों को लगभग 2.32 लाख रुपये वेतन मिलेगा. उप सचिव स्तर के लिए, न्यूनतम आयु 32 वर्ष और अधिकतम आयु 40 वर्ष वाले उम्मीदवार आवेदन करने के पात्र हैं. इस स्तर पर उम्मीदवारों के लिए लगभग 1.52 लाख रुपये का सकल वेतन निर्धारित किया गया है. (भाषा इनपुट्स)

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